पावन माटी से सिर पर चंदन करने निकला हूं

धनबाद : 'सोच के देख उड़ता दुपट्टा कैसा लगता है, मरता नहीं प¨रदा, बेपर कैसा लगता है' औ

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Aug 2018 08:55 PM (IST) Updated:Sun, 05 Aug 2018 08:55 PM (IST)
पावन माटी से सिर पर चंदन करने निकला हूं
पावन माटी से सिर पर चंदन करने निकला हूं

धनबाद : 'सोच के देख उड़ता दुपट्टा कैसा लगता है, मरता नहीं प¨रदा, बेपर कैसा लगता है' और 'भारत मां के चरणों की वंदन करने निकला हूं, इस पावन माटी से सिर पर चंदन करने निकला हूं।' महिला मान सम्मान व राष्ट्र भक्ति की ये पंक्तियां रविवार को सिंफर के सभागृह में युवा कवियों द्वारा पेश की गई। मौका था राष्ट्रीय कवि संगम की ओर से आयोजित युवा कवि सम्मेलन सह 'काव्याभिषेक' नामक स्मारिका के विमोचन का।

सम्मेलन में राज्य के विभिन्न जिलों से आए युवा कवियों ने अपनी रचनाएं पेश कीं। उपरोक्त दोनों पंक्तियां क्रमश: धनबाद के तुषार कश्यप और देवघर के दीपांशु सिंह ने पेश की। इनके अलावा गिरीडीह की कुमारी निशा ने 'मां मुझे डर लगता है', निकुंज उपाध्याय ने 'मां की चूड़ी, कंगन, बिंदी' शीर्षक से अपनी कविताएं पेश की, जिसे सुन उपस्थित लोगों ने जोरदार तालियों से कवियों का स्वागत किया।

इन कवियों के अलावा हजारीबाग से पुष्प कुमार पुष्प, रामगढ़ से अविनाश सिंह अमेठिया, बोकारो से ब्रजेश पांडेय व नितेश सागर, जामताड़ा से चितरंजन दुबे समेत अन्य कवियों ने अपनी प्रस्तुति दी। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर सिंफर निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, समाजसेवी और पूर्व बियाडा अध्यक्ष विजय झा, प्रदीप सिंह, सिंफर स्टाफ क्लब के राजशेखर सिंह, संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल, राष्ट्रीय मंत्री दिनेश देवघरिया, वरिष्ठ पत्रकार बनखंडी मिश्रा, सरोज झा, अजय मिश्र धुनी आदि ने काव्याभिषेक नामक स्मारिका का विमोचन किया।

chat bot
आपका साथी