मणीन्द्र मंडल हत्याकांड: बेकार गई 19 वर्ष की कानूनी लड़ाई

मणीन्द्र की जान जिस गोली से गयी थी उसकी फॉरेंसिक जाच रिपोर्ट पुलिस की फाइल से गुम हो गई थी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Sep 2018 08:52 AM (IST) Updated:Thu, 13 Sep 2018 10:39 AM (IST)
मणीन्द्र मंडल हत्याकांड: बेकार गई 19 वर्ष की कानूनी लड़ाई
मणीन्द्र मंडल हत्याकांड: बेकार गई 19 वर्ष की कानूनी लड़ाई

धनबाद, जेएनएन। मणीन्द्र नाथ मंडल हत्याकाड की सुनवाई निचली अदालत में लगातार 19 वषरें तक चली थी। 21 तिथियों तक अभियोजन और बचाव पक्ष ने अपने-अपने तर्क दिए थे। कॉमन इंटेशन ऑफ मर्डर के बिन्दु पर जोरदार दलीलें दी गयी थी। आरोपियों के विरुद्ध आरोप को साबित करने के लिए अभियोजन ने कुल 10 गवाहों का परीक्षण अदालत में कराया था। अभियोजन के मुताबिक काड के छह प्रत्यक्षदर्शी गवाह थे। जिन्होंने घटना का अक्षरश: समर्थन किया। इनमें सुनील रजवार, खेदन महतो, प्रेमचन्द्र मंडल, राजेन्द्र प्रसाद महतो, बिनोद बिहारी महतो, राजेंद्र विश्वकर्मा शामिल थे। वहीं काड के अनुसंधानकर्ता विवेकानंद ठाकुर एवं मृतक का पोस्टमार्टम करने वाले डॉ. विनोद कुमार ने भी अभियोजन के साक्ष्य को मजबूती दी। हालाकि गवाह एतवारी महतो व नागेश्वर सिंह अपने बयान से पलट गए थे।

तीनों की हुई थी उम्र कैद की सजा : दो सितंबर 2013 को धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश अशोक कुमार पाठक की अदालत ने काड के नामजद आरोपित विधायक कुंती सिंह के भाई पवन सिंह, संजय सिंह एवं पिंटू उर्फ जैनेन्द्र सिंह को मणीन्द्र की हत्या का दोषी पाते हुए सश्रम उम्र कैद की सजा एवं पाच-पाच हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। जुर्माने की राशि अदा न करने की स्थिति में अदालत ने एक-एक वर्ष के अतिरिक्त कारावास भुगतने का आदेश दिया था।

गुम हो गई थी फॉरेंसिक जाच रिपोर्ट : मणीन्द्र की जान जिस गोली से गयी थी उसकी फॉरेंसिक जाच रिपोर्ट पुलिस की फाइल से गुम हो गयी थी। इस पर रेखा मंडल ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। बाद में अपर लोक अभियोजक कंसारी मंडल के प्रयास से उक्त जाच रिपोर्ट राची स्थित प्रयोगशाला से मंगाई गई थी।

हजारीबाग जेल में बंद हैं पवन व संजय : इस मामले में विधायक संजीव सिंह के मामा पवन सिंह एवं संजय सिंह हजारीबाग सेंट्रल जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं, जबकि पिंटू सिंह उर्फ जैनेन्द्र सिंह नीरज हत्याकाड में धनबाद जेल में बंद है।

अधिवक्ता अनूप कुमार सिन्हा ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश निचली अदालत को एक-दो दिनों में प्राप्त होने की संभावना है। निचली अदालत को आदेश प्राप्त होते ही पवन सिंह एवं संजय सिंह जेल से बाहर आ जाएंगे। हालाकि पिंटू सिंह जेल से बाहर नहीं आ सकते। बताते हैं कि इसी मामले से संबंधित आ‌र्म्स एक्ट के केस में पवन सिंह और संजय सिंह को सजा हुई थी परंतु दोनों उच्च न्यायालय से जमानत पर है।

मणीन्द्र हत्याकाड एक नजर में :

- 12 अक्टूबर 1994 मणीन्द्र को मारी गई गोली।

- 12 अक्टूबर 1994 शिबू सोरेन रात्रि में पहुंचे सेंट्रल अस्पताल।

- 12 अक्टूबर 1994 राजीव समेत चारो गिरफ्तार।

- 13 अक्टूबर 1994 भेजे गए जेल।

- 13 अक्टूबर 1994 युवकों ने कुंती निवास पर की पत्थरबाजी गुमटी में लगायी आग।

- 17 अक्टूबर 1994 मणीन्द्र की मौत, शिबू सोरेन फिर पहुंचे धनबाद।

- 17 अक्टूबर 1994 धनबाद रहा बंद, मणीन्द्र समर्थकों ने जीटी रोड किया जाम।

- 31 दिसंबर 1994 पुलिस ने सौंपी चार्जशीट।

- 01 सितंबर 2003 कानूनी खींचतानी के बाद चार्ज हुआ था फ्रेम।

- 22 दिसंबर 2004 राजीव रंजन सिंह फरार घोषित, संजय, पिन्टू और पवन की सुनवाई हुई थी पृथक।

- 05 मार्च 2013 अभियोजन साक्ष्य बंद।

- 09 अप्रैल 2013 धारा 313 के तहत बयान दर्ज।

- 23 अप्रैल 2013 से 20 अगस्त 2013 तक चली बहस।

- 02 सितंबर 2013 अदालत ने सुनाया था उम्र कैद का फैसला

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