काॅमर्शियल माइनिंग पर तत्काल रोक राष्ट्रहित में, ग्रुप ऑफ मिनिस्ट्री मजदूरों की मांगों पर करे विचार : इंटक सचिव Dhanbad News

इंटक सचिव एके झा ने कहा कि कॉमर्शियल कोल ब्लॉक की नीलामी पर तत्काल रोक राष्ट्रहित में है। भारत सरकार के इस फैसले का सभी मजदूरों और श्रमिक संगठनों ने स्वागत किया है।

By Sagar SinghEdited By: Publish:Fri, 14 Aug 2020 12:43 PM (IST) Updated:Fri, 14 Aug 2020 04:58 PM (IST)
काॅमर्शियल माइनिंग पर तत्काल रोक राष्ट्रहित में, ग्रुप ऑफ मिनिस्ट्री मजदूरों की मांगों पर करे विचार : इंटक सचिव Dhanbad News
काॅमर्शियल माइनिंग पर तत्काल रोक राष्ट्रहित में, ग्रुप ऑफ मिनिस्ट्री मजदूरों की मांगों पर करे विचार : इंटक सचिव Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। काॅमर्शियल कोल ब्लॉक की नीलामी को तत्काल दो महीने के लिए रोकना राष्ट्रहित में एक उचित एवं सही कदम है। भारत सरकार के इस फैसले का कोयला उद्योग में कार्यरत सभी मजदूरों और श्रमिक संगठनों ने स्वागत किया है। यह बातें इंटक (Indian National Trade Union Congress) सचिव एके झा ने की। उन्होंने इस संबंध में कोयला मंत्री को पत्र लिखकर मांग सौंपा है। उन्होंने कहा कि कोल ब्लॉक की नीलामी किसी भी स्थिति में देश और मजदूरों के हित में नहीं है।

झा ने कहा कि कोयला उद्योग को वैज्ञानिक ढंग से चलाने का काम कोई पूंजीपति नहीं कर सकता है, जब तक उस पर सरकार का नियंत्रण ना हो। कोयला बेचने का अधिकार पूंजीपतियों को देने का मतलब है कि महंगाई को आमंत्रित करना, बेरोजगारी को आमंत्रित करना, बिजली को महंगा करना, कोयले पर आधारित और कोयले से निर्मित वस्तुओं का दाम बढ़ना। इससे राष्ट्र को बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचेगा।

एके झा ने कहा कि पूंजीपति बेशुमार कोयला उत्पादन करने के लोभ में संबंधित राज्य के भूमि, जल, वायु को अंधाधुन प्रदूषित करेंगे, जिससे मानवीय जीवन खतरे में पड़ेगा। सरकार के नियंत्रण के अभाव में विस्थापन की बड़ी समस्या पैदा होगी। संबंधित क्षेत्र के जमीनी स्तर का जलस्तर बहुत नीचे चला जाएगा, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान पहुंचेगा। कृषि उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। सामुदायिक विकास की योजना रुक जाएगी। मजदूरों की मजदूरी निम्न स्तर पर चली जाएगी। मजदूरों को पेंशन और  ग्रेच्युटी के लिए भटकना पड़ेगा। उनके मौलिक अधिकार छिन लिए जाएंगे।

इंटक सचिव ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा की गारंटी समाप्त हो जाएगी। श्रम कानून और खान सुरक्षा के नियमों की अवहेलना होगी। मजदूरों के कार्य करने के घंटे बढ़ा दिए जाएंगे। अब तक प्राप्त सारी सुविधाएं काट ली जाएंगी। सरकार के नियंत्रण के अभाव में कोयला उद्योग और मजदूर पूंजीपतियों के हाथ की कठपुतली हो जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्रों का विकास रुक जाएगा। आर्थिक शोषण बढ़ेगा। इसके साथ ही दबंग लोगों का एकाधिकार बढ़ेगा, जो सिर्फ मजदूरों का आर्थिक, शारीरिक एवं मानसिक शोषण करेगा। उन्होंने कहा कि देश की सरकार ही कोयला उद्योग की खुशहाली को बचा सकती है। उद्योग की खुशहाली के लिए मजदूरों का खुशहाल होना जरूरी है। 

मुख्य मांगें : केंद्रीय श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर या प्रधानमंत्री स्तर पर हो, ताकि मजदूरों की भावना और विचारों को सरकार के समक्ष रखा जा सके। ग्रेच्युटी की बढ़ोतरी राशि का लाभ दिनांक 1 जनवरी 2017 से कोल इंडिया लिमिटेड में लागू किया जाये। वर्तमान में ग्रेच्युटी की राशि में और बढ़ोतरी की जाए। मेडिकल अनफिट कोयला मजदूर जिनके आश्रित का नियोजन पिछले 4 वर्षों से लंबित है, सभी आवेदित मजदूरों के बच्चों को वेज बोर्ड के प्रावधान के तहत नियोजन दिया जाए। सेवामुक्त कामगार को अधिकारियों की तरह पैनल अस्पतालों में कैशलेस मेडिकल सुविधा मुहैया कराया जाए। फीमेल वीआरएस के तहत कोल इंडिया लिमिटेड और सभी कंपनी स्तर पर लंबित आवेदन पर संबंधित महिला कामगार के बच्चे को नियोजन दिया जाए। सभी नियोजित कामगार को उनकी योग्यता के अनुसार अधिकारी संवर्ग में पदोन्नति दिया जाए। मजदूरों और अधिकारियों के बीच की सीढ़ी (लिपिकीय वर्ग) को आवास, वेतन, हॉलिडे, ओवरटाइम आदि की सुविधा में न्यायोचित बढ़ोत्तरी की जाए।

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