प्‍यार के दो बोल बोले न दोस्‍ती को बढ़ाया हाथ, फिर किसकी खातिर डाल दें खतरे में अपनी जान

धनबाद गिरिडीह में एक साथ चुनाव होना है। टुंडी के नक्सल प्रभावित सुदूर इलाके में भी वोटिंग होगी। इसके लिए पुलिस प्रशासन की तैयारी अंतिम चरण पर है।

By Deepak PandeyEdited By: Publish:Thu, 09 May 2019 01:18 PM (IST) Updated:Thu, 09 May 2019 02:20 PM (IST)
प्‍यार के दो बोल बोले न दोस्‍ती को बढ़ाया हाथ, फिर किसकी खातिर डाल दें खतरे में अपनी जान
प्‍यार के दो बोल बोले न दोस्‍ती को बढ़ाया हाथ, फिर किसकी खातिर डाल दें खतरे में अपनी जान

नीरज दुबे, धनबाद: धनबाद गिरिडीह में एक साथ चुनाव होना है। टुंडी के नक्सल प्रभावित सुदूर इलाके में भी वोटिंग होगी। इसके लिए पुलिस प्रशासन की तैयारी अंतिम चरण पर है। इस बार चुनाव में पुलिस को पूरी सावधानी बरतनी होगी। क्योंकि नक्सल प्रभावित टुंडी इलाके में नक्सल गतिविधियां पहले से कुछ बढ़ी है। अब नक्सल प्रभावित इलाके में किसी प्रकार की सूचना प्राप्त करने के लिए पुलिस को खुद अपना नेटवर्क मजबूत रखना होगा।

पहले सुदूर इलाके के ग्रामीणों से भी पुलिस को कुछ सूचना मिलती थी, पर अब ऐसा लग रहा है कि नेटवर्क कुछ कमजोर हुआ है। इसका कारण यह भी है कि पुलिस काफी दिनों से वैसे इलाके में जनता के बीच नहीं पहुंच पाई है। पूर्व में पुलिस वैसे सुदूर इलाके में कार्यक्रम कर जनता का विश्वास जीतने की भरपूर कोशिश करती थी। कई बार पुलिस को इसमें कामयाबी भी मिली। अक्सर सुदूर इलाके में गरीब व जरूरतमंदों के बीच पुलिस पहुंच सौगात भी बांटा करती थी। वर्ष 2019 के पांच माह गुजर गए, लेकिन इस बीच पुलिस सुदूर इलाके में जनता के बीच नहीं गई और ना ही जरूरतमंदों के बीच कोई सौगात बांटा। यह सच है कि ठंड के मौसम में एक बार पुलिस मनियाडीह सीआरपीएफ कैंप में कार्यक्रम आजोयित कर इलाके के कुछ गरीब ग्रामीणों को बुलाकर कंबल जरूर दिए, परंतु उसके बाद से कोई बड़ा कार्यक्रम किसी भी सुदूर गांव में नहीं हुआ।

मालूम हो कि पूर्व में सुदूर इलाके में ग्रामीण अक्सर पुलिस को देख कर भागते थे। परंतु जब पुलिस उसके घर तक जाने लगी और दोस्ती का हाथ बढ़ाना शुरू किया, जरूरतमंदों के बीच साड़ी-धोती, बच्चों को किताब चॉकलेट, फुटबॉल बांटने लगे तो लोगों का पुलिस पर विश्वास बढऩे लगा। अक्सर पुलिस इस तरह के कार्यक्रम उन इलाकों में करती थी। सुदूर इलाके में कई लोग पुलिस के दोस्त भी बने और कई तरह की सूचनाएं भी पुलिस को मिला करती थी।

वर्ष 2018 के अगस्त, सितंबर माह में पुलिस ने टुंडी के सुदूर इलाके में कई कार्यक्रम किए। इससे पुलिस व जनता के बीच बेहतर संबंध स्थापित हुआ था। वहां के लोग भी पुलिस के संपर्क में रहते थे अपना दुख सुख सुनाते थे लेकिन इस बार पुलिस ने कुछ देरी की है और चुनाव भी सर पर है। यह सच है कि टुंडी तोपचांची इलाके में नक्सल गतिविधियों पहले से कम हुई है पर खत्म नहीं है अब भी उस इलाके में नक्सलियों के भ्रमणशील रहने की सूचना छनकर आती रहती है।

वर्ष 2018 में पूर्व एसएसपी मनोज रतन चोथे की टीम जब दल्लूबेड़ा गांव पहुंची तो पहले तो ग्रामीण डर गए, फिर जब पुलिस ने ग्रामीणों के बीच सौगात बांटकर उनसे दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो कुछ ग्रामीणों ने पुलिस के पास अपना दुखड़ा भी सुनाया। तभी एसएसपी ने उन्हें आश्वासन दिया था कि गांव की समस्या दूर करवाने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास करेगी। अभी भी वैसे कुछ गांव में सड़क व स्कूल नहीं है तो कुछ गांव में पानी का अभाव है।

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