Indian Railways: सिक्किम तक दौड़ेगी रेल, सिवोक से रांगपो तक बिछाई जा रही 44.96 किलोमीटर लंबी लाइन

अब पहाड़ों की रानी सिक्किम को रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए ऐसी लाइन बिछ रही है जिसका 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा सुरंगों से होकर ही गुजरेगा। इस पर दार्जिलिंग सरीखे टाय ट्रेन नहीं चलेगी बल्कि सिक्किम तक ब्राॅड गेज लाइन पर सामान्य ट्रेन चलेगी।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Thu, 13 Oct 2022 09:42 AM (IST) Updated:Thu, 13 Oct 2022 09:42 AM (IST)
Indian Railways: सिक्किम तक दौड़ेगी रेल, सिवोक से रांगपो तक बिछाई जा रही 44.96 किलोमीटर लंबी लाइन
रांगपो में सिक्किम के प्रवेश द्वार पर बना चेकपोस्‍ट।

धनबाद [तापस बनर्जी]: वैसे तो देशभर में ऐसे कई रेल मार्ग हैं, जो सुरंगों से गुजरते हैं और सफर को रोमांच का अनुभव भी कराते हैं, मगर सुरंगों से गुजरने का रोमांच कुछ पलों का ही होता है। अब पहाड़ों की रानी सिक्किम को रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए ऐसी लाइन बिछ रही है, जिसका 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा सुरंगों से होकर ही गुजरेगा। ट्रेन एक सुरंग को पार करते ही दूसरे में घुस जाएगी।

हिमालय की वादियों में ले जानेवाले इस रेल मार्ग की बड़ी खासियत यह है कि इस पर दार्जिलिंग सरीखे टाय ट्रेन नहीं चलेगी, बल्कि सिक्किम तक ब्राॅड गेज लाइन पर सामान्य ट्रेन चलेगी। नार्थ फ्रंटियर रेलवे के सीपीआरओ सव्यसाची डे बताते हैं कि सिवोक से रांगपो प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। इस मार्ग पर ब्राॅड गेज लाइन बिछाई जाएंगी।

बंगाल के सिवोक से सिक्किम के रांगपो तक बिछ रही 44.96 किमी रेललाइन के लिए पहाड़ों का सीना चीर कर सुरंग बनाई जा रही है। सुरंग निर्माण के लिए धनबाद के केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान-सिंफर विज्ञानियों की टीम बतौर ब्लास्टिंग कंसल्टेट अहम भूमिका में है। कई महीनों के अध्ययन के बाद सिंफर विज्ञानियों ने कंट्रोल्ड ब्लास्टिंग और ओवरब्रेक की रोकथाम की रिपोर्ट भी सौंप दी है। रिपोर्ट के आधार पर ही सुरंगों में ब्लास्टिंग की जा रही है। कंट्रोल्ड ब्लास्टिंग ऊर्जा के सिद्धांत पर आधारित है। इसकी मदद से विस्फोट से ऊर्जा बाहर आएगी, जिसका पूरा केंद्र निर्धारित पहाड़ी चट्टानें होंगी, जिन्हें तोड़ना है।

विस्फोट के दौरान इसका ख्याल रखना है कि छिटकने वाले पत्थर ज्यादा दूर नहीं जाएं। विस्फोट से पूरी पहाड़ी में कंपन न हो। ओवरब्रेक का भी खास ख्याल रखना है, ताकि पहाड़ी चट्टानें ज्यादा न टूटें। खर्च का दबाव कम करने के साथ ही प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने में भी इससे काफी हद तक मदद मिलेगी। प्रोजेक्ट अगले साल के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य है।

पांच किलोमीटर से ज्यादा लंबी सुरंग से गुजरना होगा रोमांचक

सिवोक से रांगपो तक रेल के सफर में वैसे तो 14 सुरंगें मिलेंगी, पर सबसे ज्यादा रोमांचक होगा इस रेलमार्ग की पांच किलोमीटर से ज्यादा लंबी सुरंग से गुजरना। इस सुरंग की लंबाई 5.27 किलोमीटर होगी। इसके निर्माण के लिए भी ब्लास्टिंग का अध्ययन भी सिंफर विज्ञानियों की टीम ने ही किया है। इस रेलमार्ग की सबसे छोटी सुरंग 538 मीटर की होगी। साथ ही सुरंगों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए पहाड़ पर 13 अलग-अलग जगहों पर ब्रिज भी तैयार होंगे।

रांगपो से गंगटोक की दूरी तकरीबन 40 किमी, पहुंचना आसान

रांगपो तक ट्रेन चलने से सिक्किम की राजधानी गंगटोक तक पहुंचने की राह भी ज्यादा आसान होगी। बंगाल के रास्‍ते होकर जाने में रांगपो ही सिक्किम का एंट्री प्‍वांइट है। रांगपो का एक हिस्‍सा बंगाल तो दूसरा सिक्किम है। रांगपो रिवर दोनों को एक-दूसरे से अलग करती है। यहां से गंगटोक की दूरी तकरीबन 40 किमी है। अभी सिलीगुड़ी से गंगटोक के लिए लगभग 113 किमी सड़क मार्ग से सफर करना पड़ता है, जो छोटी गाड़ियों से पांच-छह घंटे और बस से आठ-नौ घंटे का है। रांगपो से यह सफर डेढ़ से दो घंटे का होगा। रांगपो प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद रेल लाइन के गंगटोक तक विस्तार की भी संभावना तलाशी जा सकती है।

कौन कौन हैं टीम में

प्रोजेक्ट लीडर डाॅक्‍टर आदित्य राणा, ब्लास्टिंग विभाग के वरिष्ठ विज्ञानी डा. सी सौम्लियाना, अमर कौशिक व सैकत बनर्जी, सुजीत कुमार, गजेंद्र पाल जादौन, सूरज सिंह, अतुल सिंह और अफ्रीका के चार्ल्स कोमड़जा शामिल हैं।

chat bot
आपका साथी