Railways History: क्या बंबई से ठाणे के बीच नहीं चली थी पहली यात्री रेल, भाजपा सांसद ने की इतिहास पुनर्लेखन की वकालत

Indian Railways News झारखंड के गोड्डा लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद निशिकांत दुबे ने भारतीय रेलवे के इतिहास का पुनर्लेखन करने की वकालत की है। उन्होंने लोकसभा में कहा है कि बंबई और ठाणे के बीच पहली यात्री ट्रेन नहीं चली थी।

By MritunjayEdited By: Publish:Sun, 20 Mar 2022 01:09 PM (IST) Updated:Sun, 20 Mar 2022 01:11 PM (IST)
Railways History: क्या बंबई से ठाणे के बीच नहीं चली थी पहली यात्री रेल, भाजपा सांसद ने की इतिहास पुनर्लेखन की वकालत
बंबई से ठाणे के बीच चली थी पहली यात्री रेल ( प्रतीकात्मक फोटो)।

जागरण संवाददाता, गोड्डा। हमसब जानते और पढ़ते हैं कि 1853 में 16 अप्रैल को भारत (India) में पहली यात्री रेल (Passenger Train) बंबई से ठाणे के बीच चली थी। इस दिन को देश में भारतीय रेल परिवहन दिवस (Indian Rail Transport day) के रूप में मनाया जाता है। इस इतिहास से झारखंड के गोड्डा लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद निशिकांत दुबे सहमत नहीं हैं। वे चाहते हैं कि इतिहास का पुनर्लेखन हो। नए इतिहास में यह बात शामिल हो कि बंबई से ठाणे के बीच देश की पहली यात्री रेल नहीं चली थी।

देश का पहला रेल मुंबई ठाणे नहीं बल्कि कोलकाता रेलवे था, ये इतिहास हमें ठीक करना होगा । साथ ही ब्रिटिश काल का रेट ऑफ रिटर्न हमें छोड़ना होगा ताकि हम गांव , गरीब और पिछड़े इलाकों में रेल की सुविधाएं उपलब्ध करवा सकें ।1/2@PMOIndia @AshwiniVaishnaw @EasternRailway pic.twitter.com/VJnzHJTFTQ

— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) March 19, 2022

16 अप्रैल भारतीय रेलवे के इतिहास में अहम दिन

16 अप्रैल भारतीय इतिहास (के लिए बहुत अहम दिन माना जाता है. इस दिन भारत में पहली यात्री ट्रेन (Passenger Train) पटरियों पर दौड़ी थी। यह ट्रेन मुंबई से ठाणे (Bombay to Thane) के बीच चली थी। इसे भारतीय रेल (Indian Railways) के इतिहास की शुरुआत माना जाता है। यही वजह है कि भारत में 16 अप्रैल को भारतीय रेल परिवहन दिवस मनाया जाता है। 

चार साै लोगों ने किया था सफर

अंग्रेजों में भारत में रेल का नेटवर्क अपने व्यापार के लिए बिछाया था। कई लोगों को लगता है कि यह ट्रेन एक माल गाड़ी थी और भारत में रेल परिवहन के लिहाज से पहली गाड़ी थी। लेकिन हकीकत यह है कि यह एक पहली यात्री ट्रेन थी और इसमें 400 लोगों में सफर किया था। 34 किलोमीटर का यह सफर इस ट्रेन ने एक घंटा 15 मिनट में पूरा किया था। डेक्कन क्वीन नाम की इस ट्रेन में कुल 14 डिब्बे थे। यह ट्रेन दोपहर 3.30 बजे बोरीबंदर से प्रारंभ हुई थी जिसे आज छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन के नाम से जाना जाता है और यह अपने गंत्वय पर शाम 4.45 बजे पहुंची थी। इस ट्रेन को चलाने के लिए तीन इंजनों का उपयोग किया गया था। इन इंजनों के नाम साहिब, सुल्तान और सिंध थे। 

भारत में 1837 में चली थी पहली मालगाड़ी

अंग्रेजों ने भारत में रेल नेटवर्क लोगों की जरूरत के लिए नहीं बल्कि अपने माल की आवाजाही को प्राथमिकता देते हुए बनाया गया। भारत में रेलवे के प्रयास1932 में मद्रास से शुरु हुए  थे। रेल परिवहन के नाम पर भारत में सबसे पहले मालगाड़ी चली थी जिसका नाम रेड हिल रेलवे था। यह मद्रास में रेड हिल से चिंताद्रीपेट ब्रिज तक 1837 में चली थी।

कोलकाता की कंपनी ने बिछाई थी रेलवे लाइन

इसके बाद 1845 में कोलकाता में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेल कंपनी की स्थापना की गई थी। इसी कंपनी ने 1850 में मुंबई से ठाणे तक रेलवे लाइन बिछाने का काम शुरू किया था। जिसके बाद यात्री गाड़ियों के चलने का सिलसिला चला था। 1853 के बाद से यात्री गाड़ियों के नेटवर्क का विस्तार किया जाने लगा। भारत में इसके बाद 15 अगस्त 1854 को कोलकाता में हावड़ा से हुगली के बीच पहली ट्रेन चली जिसने 39 किलोमीटर का सफर तय किया। इसके ट्रैक का रखरखाव ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी ने किया था। वहीं दक्षिण भारत मे पहली यात्री गाड़ी मद्रास के रोयापुरम-वेयासारपैडी ओर्कोट के बीच चली।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का तर्क

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में रेलवे के इतिहास पुनर्लेखन की वकालत की है। उन्होंने संसद में सवाल उठाते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से कहा कि बंबई से ठाणे के बीच पहली यात्री ट्रेन चलाने की बात गलत है। दुबे ने कहा है कि पहली ट्रेन कोलकाता से हुगली के बीच चलाने की तैयारी थी। उस समय विदेश से इंजन आता था। इंजन लाते समय जहाज समुद्र में डूब गया। इस कारण कोलकाता में ट्रेन चलाने की तैयारी धरी की धरी रह गई। 

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