Weekly News Roundup Dhanbad: छुकछुक... बाअदब, बामुलाहिजा, होशियार ! ECR GM तशरीफ ला रहे हैं

धनबाद जंक्शन की सुरक्षा के लिए पूरे तामझाम के साथ मेन गेट पर चीन से आई लगेज स्कैनर मशीन खड़ी हो गई। पूरे 27 लाख की। चीन से ट्रेनर भी आए ये बताने कि यह कैसे काम करेगी।

By MritunjayEdited By: Publish:Fri, 24 Jan 2020 08:56 AM (IST) Updated:Fri, 24 Jan 2020 08:56 AM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: छुकछुक... बाअदब, बामुलाहिजा, होशियार ! ECR GM तशरीफ ला रहे हैं
Weekly News Roundup Dhanbad: छुकछुक... बाअदब, बामुलाहिजा, होशियार ! ECR GM तशरीफ ला रहे हैं

धनबाद [ तापस बनर्जी ]।  रेलवे स्टेशन पर ऑटो, टैक्सी के साथ-साथ ठेला और फुटपाथी दुकानों का मेला लगा रहता है। जिसकी जहां मर्जी, वहीं खड़े हो गए। अंदर जाने से लेकर बाहर आने तक ऑटो वालों से परमिट जरूरी है। उनकी रजामंदी हो तभी सामान लेकर आसानी से आ-जा सकते हैं। उनका मूड ठीक नहीं रहा तो ऑटो यूं खड़ी कर देंगे कि क्या मजाल है आप आराम से स्टेशन तक पहुंच पाएं। और, रात ज्यादा हो गई तो मुश्किलें भी ज्यादा बढ़ेंगी और उनका रौब भी। कुछ ऐसा ही हाल पार्किंग का है। गाडिय़ां ठेकेदार की मर्जी से खड़ी होती हैं। रेलवे ने भले ही 100 फीट जगह दी हो, घेराबंदी 500 फीट तक है। मगर, गुरुवार को पूरा स्टेशन परिसर बदला-बदला सा दिख रहा था। एकदम चकाचक। महकमा लगा था। परिसर में न ऑटो का रेला, न ठेला। वजह इतनी है कि जीएम साहब आ रहे हैं।

साहब! कुछ तो कीजिए

जिन्होंने ट्रेन रोककर उसे हॉस्पिटल पहुंचाया। कर्मचारी की जान बचाने के लिए महकमे ने न सिर्फ उसे पटना रेफर किया बल्कि दोनों हमलावरों की नौकरी भी छीन ली। बारी आई पुलिसिया कार्रवाई की तो मामला जीआरपी के खाते में चला गया। काफी हीलाहवाली के बाद एफआइआर दर्ज हुई। आइओ बनाए गए मिश्रा जी। घायल रेलकर्मी के घरवाले पैरवी को पहुंचे तो मिश्रा जी ने मेडिकल रिपोर्ट उनके सामने रख दी। सिर पर लगे जख्म की गहराई भी बयां कर दी। घरवालों को इशारों ही इशारों में समझा दिया। पिछले साल की आखिरी रात यानी 31 दिसंबर को घटना हुई थी। तीन हफ्ते से ज्यादा वक्त गुजर चुका है मगर मिश्रा जी ने पूरे मामले को ही हजम कर रखा है। अरे साहब! कुछ तो कीजिए...।

हाजमा खराब हो जाएगा

बख्श दीजिए, हाजमा खराब करके ही मानेंगे क्या...। यह दर्द और करुणा भरी आवाज उस मशीन की है जो प्लास्टिक की बोतल खाकर अपना पेट भरती है, मगर यात्रियों को कौन समझाए। उन्हें लगता है कि बोतल और दो-चार बूंद पानी पिलाने से मशीन का पेट नहीं भरेगा। पेट तो तब टाइट होगा जब उसे चिप्स और पॉपकॉर्न के पैकेट खिलाए जाएंगे। लिहाजा, बोतल डालने वाली जगह पर रैपर घुसेड़ रहे हैं। धनबाद जंक्शन पर बोतल क्रश मशीन उस वक्त लगायी गई थी जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का चाबुक चला। स्टेशन परिसर को प्लास्टिक बोतलों के प्रदूषण से मुक्त करने के लिए मशीन लगी। यह बात और है कि एक-दो दिन तक तो इसकी खूब आवभगत हुई। हर आने-जाने वाले यात्री को इसके इस्तेमाल के तौर तरीके बताए गए। अब बेचारी चुपचाप बोतल की बजाय रैपर से भूख मिटाने की कोशिश रही है। कुछ करें...।

बोहनियो पर आफत है

धनबाद जंक्शन की सुरक्षा के लिए पूरे तामझाम के साथ मेन गेट पर चीन से आई लगेज स्कैनर मशीन खड़ी हो गई। पूरे 27 लाख की। चीन से टे्रनर भी आए ये बताने कि यह कैसे काम करेगी। सुरक्षा बलों को मशीन की खूबियों के साथ उसके इस्तेमाल का तौर-तरीका भी सिखा गए। जब बारी आई मशीन के इस्तेमाल की तो आरपीएफ के एक जवान की ड्यूटी भी लगा दी गई। प्रवेश और निकास के सभी दरवाजों को लोहे की जालियों ने घेर लिया। इतने जतन किए गए। इसके बाद भी जवान दिनभर यात्रियों के इंतजार में टकटकी लगाए बैठा रहता है। कुछ ऐसा ही नजारा जंक्शन के दूसरे छोर वाले प्रवेश द्वार का है। शिफ्ट पूरी होने के बाद जब जवान से डाटा की मांग होती है तो उसका मायूस जवाब आता है- का कहें सर, यहां तो बोहनियो पर आफत आ गई है।

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