चार बार विधायक रहे आनंद महतो ने चुनावी राजनीति से लिया संन्यास

दिलीप सिन्हा धनबाद सिदरी विधानसभा क्षेत्र का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके मा‌र्क्सवादी समन्वय समिति के आनंद महतो ने चुनावी राजनीति से सन्यास ले लिया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 Jan 2022 06:14 AM (IST) Updated:Fri, 07 Jan 2022 06:14 AM (IST)
चार बार विधायक रहे आनंद महतो ने चुनावी राजनीति से लिया संन्यास
चार बार विधायक रहे आनंद महतो ने चुनावी राजनीति से लिया संन्यास

दिलीप सिन्हा, धनबाद : सिदरी विधानसभा क्षेत्र का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके मा‌र्क्सवादी समन्वय समिति के केंद्रीय अध्यक्ष आनंद महतो ने चुनावी राजनीति से संन्यास ले लिया है।

अब वह कोई भी चुनाव नहीं लड़ेंगे हालांकि राजनीति में सक्रिय रहेंगे। ढलती उम्र एवं नए कैडरों को आगे लाने के लिए उन्होंने यह निर्णय लिया है। आनंद महतो ने यह घोषणा दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में की है। चुनाव नहीं लड़ने का एलान कर आनंद महतो ने पार्टी की चुनौती बढ़ा दी है। इसका कारण यह है कि सिदरी मासस की परंपरागत सीट है। इस सीट पर तीन बार प्रसिद्ध मा‌र्क्सवादी चितक व मासस के संस्थापक एके राय एवं चार बार आनंद महतो प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। एके राय एवं मासस की राजनीति की शुरूआत ही इसी विधानसभा सीट से हुई थी। 1977 से अब तक इस सीट पर मासस से आनंद महतो ही चुनाव लड़ रहे हैं। करीब पांच दशक से एके राय संग आनंद महतो सिदरी समेत पूरे कोयलांचल की वाम राजनीति के अगवा रहे हैं। ऐसे में यहां आनंद महतो का विकल्प तलाशना पार्टी के लिए बहुत ही मुश्किल होगा। मासस से टिकट के यहां कई दावेदार खड़े हो जाएंगे। ऐसे में पार्टी को यहां एक सूत्र में बांधकर रखना नेतृत्व के लिए चुनौती होगा। आनंद महतो का मानना है कि नेताओं को चुनाव तभी तक लड़ना चाहिए जब तक उनका शारीरिक एवं मानसिक संतुलन बना रहे। उनका कहना है कि 23 जनवरी को उनकी उम्र 80 साल हो जाएगी। ऐसे में अब आगे चुनाव लड़ना उनके लिए संभव नहीं होगा। झारखंड आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले आनंद महतो पहली बार 1977 में सिदरी से निर्दलीय विधायक बने थे। चार बार विधायक रहे आनंद महतो झारखंड बनने के बाद एक बार भी चुनाव नहीं जीत सके हैं। संयुक्त बिहार में कभी भी चुनाव नहीं हारने वाले वाले आनंद महतो झारखंड बनने के बाद हर बार कांटे की टक्कर में पिछड़ गए। झारखंड बनने के बाद चुनाव नहीं जीत पाने का उन्हें मलाल रह गया है। उन्होंने बताया कि झारखंड आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने के बावजूद वह और एके राय झारखंड बनने के बाद कभी भी चुनाव नहीं जीत सके। झारखंड बनने के पूर्व एके राय तीन बार सिदरी से विधायक एवं तीन बार धनबाद से सांसद बने थे।

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बगावत कर लड़ा था चुनाव और फहराया था परचम : एके राय, बिनोद बिहारी महतो, आनंद महतो, एसके बक्सी आदि नेताओं ने 1972 में मासस का गठन किया था। इसके पूर्व एके राय तीन बार सिदरी विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुके थे। 77 में एके राय के धनबाद से सांसद बनने के बाद सिदरी से मासस ने एसके बक्सी को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। बक्सी को प्रत्याशी बनाने से मासस में बवाल मच गया था। पार्टी के नेता जहां बक्सी के साथ थे वहीं कार्यकर्ता आनंद महतो के साथ। पार्टी निर्णय के खिलाफ आनंद महतो निर्दलीय चुनाव लड़े। आनंद महतो का चुनाव चिन्ह तीर-धनुष था। आनंद महतो चुनाव जीत गए जबकि बक्सी अपनी जमानत भी नहीं बचा सके थे।

----------------------- बिनोद बाबू के लिए छोड़ दी थी सीटिग सीट : राजनीति में जहां पिता के लिए बेटा अपनी सीट नहीं छोड़ता है वहीं आनंद महतो ऐसे नेता हैं जिन्होंने बिनोद बिहारी महतो के लिए अपनी सीटिग सीट छोड़ दी थी। 77 में निर्दलीय चुनाव जीतने वाले आनंद महतो 80 में मासस से चुनाव जीते थे। सीटिग विधायक होते हुए भी झामुमो के संस्थापक बिनोद बिहारी महतो के लिए वह 1985 में चुनाव नहीं लड़े। बनोद बिहारी महतो झामुमो से सिदरी से लड़े और जीते। आनंद महतो ने उनके लिए पूरा पसीना भी बहाया था। वादे के मुताबिक बिनोद बिहारी 90 में सिदरी से चुनाव नहीं लड़े। इसके बाद आनंद महतो 90 और 95 में सिदरी से जीते।

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