Neeraj singh murder case: पुलिस ने अदालत को साैंपा पिंटू का कॉल डिटेल, बचाव पक्ष ने उठाए सवाल

कांड के अनुसंधानकर्ता निरंजन तिवारी पर इस कांड का निष्पक्षतापूर्वक अनुसंधान नहीं करने का आरोप लगाया था और कहा था कि अनुसंधानकर्ता ने निष्पक्ष अनुसंधान नहीं किया।

By Edited By: Publish:Wed, 23 Oct 2019 02:04 AM (IST) Updated:Wed, 23 Oct 2019 11:12 AM (IST)
Neeraj singh murder case: पुलिस ने अदालत को साैंपा पिंटू का कॉल डिटेल, बचाव पक्ष ने उठाए सवाल
Neeraj singh murder case: पुलिस ने अदालत को साैंपा पिंटू का कॉल डिटेल, बचाव पक्ष ने उठाए सवाल

धनबाद, जेएनएन। नीरज हत्याकाड में पुलिस और बचाव पक्ष के बीच शह मात का खेल अब भी चल रहा है। इसी कड़ी में मंगलवार को काड के अनुसंधानकर्ता निरंजन तिवारी ने फूलपुर वाराणसी निवासी अनित कुमार दुबे उर्फ पिंटू दूबे के मोबाइल का 79 पन्नों का सीडीआर अदालत को सौंपा। अदालत को सौंपे सीडीआर मे पिंटू का 1 जनवरी 17 से 24 मार्च 17 तक के कॉल का ब्यौरा है। इसे एयरटेल कंपनी के नोडल ऑफिसर निर्भय कुमार सिन्हा ने 3 अक्टूबर 19 को जारी किया है। वहीं पुलिस ने ट्रिनिटी मल्टी स्टेट कॉपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी द्वारा जारी एक पत्र भी अदालत में दाखिल किया है, जिसके मुताबिक पिंटू दूबे इस कंपनी में सीनियर टेरेटरी कंसलटेंट के पद पर कार्यरत है। इसके पूर्व वह यूनाइटेड मेगा प्रोजेक्ट लिमिटेड में काम करता था। दोनों कंपनी एक दूसरे से संबंधित है।

यूनाइटेड मेगा प्रोजेक्ट कंपनी ने एयरटेल से उक्त सिम लेकर अपने कर्मचारी पिंटू दुबे को आवंटित किया था। उक्त सीम नंबर का उपयोग पिंटू दूबे करता था। बचाव पक्ष ने दावा किया था कि कांड के अनुसंधानकर्ता निरंजन तिवारी ने जिरह के दौरान 26 सितंबर को कहा था कि कुसुम विहार के आवास के कमरे से बरामद 1 मार्च के अखबार पर लिखे नंबर के विषय में उन्होंने जांच नहीं किया था। इस पर बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अनुसंधानकर्ता तिवारी को कहा था कि उक्त नंबर यूपी के बाहुबली बृजेश सिंह के सहयोगी पिंटू दुबे का है, जिसका कांड के सूचक अभिषेक सिंह से बात होती थी। इसी कारण उन्होंने इस नंबर की जाच नहीं की थी। हालाकि अनुसंधानकर्ता ने इस बात से इंकार किया था। 26 सितंबर को हुई गवाही के महज 6 दिन बाद ही अनुसंधानकर्ता द्वारा उपरोक्त नंबर का सीडीआर अदालत में दिया जाना कई सवाल पैदा करता है।

विधायक संजीव के अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने इस बाबत कहा कि जब अनुसंधानकर्ता ने अदालत में कहा कि उन्होंने इसकी जांच नहीं की तो अचानक उनके द्वारा उक्त मोबाइल नंबर का सीडीआर लाया जाना अपने आप में प्रश्न खड़ा करता है कि आखिर अनुसंधानकर्ता किसको बचाना चाह रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने संवाददाता सम्मेलन कर कांड के अनुसंधानकर्ता निरंजन तिवारी पर इस कांड का निष्पक्षतापूर्वक अनुसंधान नहीं करने का आरोप लगाया था, और कहा था कि अनुसंधानकर्ता ने निष्पक्ष अनुसंधान नहीं किया। सूचक के अनुसार काड का अनुसंधान किया है। यह बात अनुसंधानकर्ता के इस आचरण से भी साबित होती है। बहरहाल मामले की सुनवाई 8 नवंबर को अदालत में होनी है जिस दिन बचाव पक्ष अनुसंधानकर्ता से जिरह करेंगें।

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