जानें-जापानी तकनीक अकीरा मियावाकी से कैसे बदल रही चास की आबोहवा

इस्पात नगर में रहने वाली आरती सिन्हा ने बताया कि चास में कचरे की बड़ी समस्या है। अकीरा मियावाकी तकनीक के बारे में हमें जानकारी थी। बस इसे ही आजमाने का निर्णय लिया।

By MritunjayEdited By: Publish:Sat, 21 Dec 2019 01:59 PM (IST) Updated:Tue, 24 Dec 2019 09:35 AM (IST)
जानें-जापानी तकनीक अकीरा मियावाकी से कैसे बदल रही चास की आबोहवा
जानें-जापानी तकनीक अकीरा मियावाकी से कैसे बदल रही चास की आबोहवा

बोकारो [राममूर्ति प्रसाद]। ग्लोबल वार्मिंग से लगातार बढ़ रही गर्मी से निजात को बोकारो की अर्चना सिन्हा व उनके पति बोकारो स्टील प्लांट में अधिकारी एके सिन्हा की पहल रंग ला रही है। ये जापानी तकनीक अकीरा मियावाकी के तहत कूड़े के ढेर पर जंगल उगाने की पहल कर रहे हैं। इससे चास की आबोहवा दुरस्त हो रही है। इस तकनीक में पौधे एक दूसरे से सटे हुए होते हैैं। इससे सूर्य की रौशनी जमीन तक नहीं पहुंच पाती है। इससे खर-पतवार नहीं उगते। पौधों की देखभाल पर विशेष खर्च नहीं है। तीन साल में पौधे जंगल का रूप ले लेते हैं। दंपती की पहल पर चास नगर निगम ने गत वर्ष इस तकनीक का प्रयोग निर्माणाधीन नगर निगम कार्यालय व सदर अस्पताल में कचरे के ढेर पर किया है।

इस्पात नगर में रहने वाली आरती सिन्हा ने बताया कि चास में कचरे की बड़ी समस्या है। अकीरा मियावाकी तकनीक के बारे में हमें जानकारी थी। बस इसे ही आजमाने का निर्णय लिया। पति के साथ चास नगर निगम के अपर नगर आयुक्त शशि प्रकाश झा से मुलाकात की। उनकी इस विधि से कचरा प्रबंधन की जानकारी दी। उन्होंने एनएच के किनारे बन रहे नगर निगम कार्यालय परिसर में कूड़े के ढेर पर  पौधारोपण की सहमति दे दी।

दिव्यांग युवाओं को खुलवाई नर्सरी

अर्चना ने दस दिव्यांग युवाओं को पर्यावरण संरक्षण की मुहिम से नर्सरी के माध्यम से जोड़ा है। उनको आशा लता नर्सरी सेक्टर पांच में खुलवा दी। नर्सरी से पांच रुपये प्रति पौधे की दर से पौधा लिया। इसके बाद निर्माणाधीन नगर निगम परिसर में पौधे रोपे गए। इन पौधों को लगाने में दंपती के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे रौशन, संजय, प्रतीक, साकेत ने भी मदद की। यहां पलाश, बेर, महोगनी, आम, कटहल, नीम समेत 35 प्रकार के 1,111 पौधे लगाए गए। चार माह बाद ही यहां हरियाली छा गई। अब इन पौधों को न ङ्क्षसचाई की आवश्यकता है, न खास देखभाल की। इसी प्रकार चास सदर बाजार परिसर में 800 पौधे लगाए। जो अब हरियाली बिखेर रहे हैं।

कम समय में तैयार होता जंगल

एके सिन्हा ने बताया कि शहरी क्षेत्र में जमीन की कमी होती है। यहां हर घर से कचरा निकलता है। इसका प्रबंधन जरूरी है। इस पद्धति से कम समय में घना जंगल तैयार हो जाता है।

चास नगर निगम का नया कार्यालय भवन बन रहा है। इसके परिसर में मियावाकी तकनीक से पौधे लगाए। चास सदर बाजार परिसर में भी इस पद्धति से पौधे लगाए गए। इस तकनीक के प्रयोग से कचरा प्रबंधन हो रहा है।

-शशि प्रकाश झा, अपर नगर आयुक्त, चास नगर निगम

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