Reverse Migration: पहले बुलाने की गुहार, अब जाने भी दो सरकार; मोटी सैलरी का लालच लेकर सक्रिय हो गए दलाल

झारखंड का गिरिडीह जिला देश भर में सबसे ज्यादा मजदूरों की सप्लाई करता है। लॉकडाउन के बाद झारखंड में सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूरों की वापसी गिरिडीह जिले में ही हुई है।

By MritunjayEdited By: Publish:Wed, 10 Jun 2020 07:18 PM (IST) Updated:Wed, 10 Jun 2020 07:18 PM (IST)
Reverse Migration: पहले बुलाने की गुहार, अब जाने भी दो सरकार;  मोटी सैलरी का लालच लेकर सक्रिय हो गए दलाल
Reverse Migration: पहले बुलाने की गुहार, अब जाने भी दो सरकार; मोटी सैलरी का लालच लेकर सक्रिय हो गए दलाल

गिरिडीह, जेएनएन। अभी ठीक से बाहर रहनेवाले मजदूर अपने घर लौटे भी नहीं हैं कि यहां से पलायन का सिलसिला शुरू हो चुका है। एक तरफ सरकार से अपने घर लौटने की गुहार लगाई जा रही है तो दूसरी तरफ बिना सरकार को जानकारी दिए लोग परदेश भी जाने लगे हैं। मजबूरी जो दोनों तरफ है। लॉकडाउन में जमा-पूंजी खत्म कर घर आने पर रोजगार का कोई साधन नहीं है। दूसरी तरफ जहां से आए हैं वहां के उद्योग-धंधों को भी मजदूरों की जरूरत है। दोनों को मजबूरी का फायदा उठाने के लिए मजदूरों के दलाल भी मोटी सैलरी का लालच लेकर गिरिडीह के गांव-गांव में सक्रिय हो गए हैं। 

झारखंड में सबसे ज्यादा गिरिडीह में प्रवासी मजदूर

दरअसल, झारखंड का गिरिडीह जिला देश भर में सबसे ज्यादा मजदूरों की सप्लाई करता है। लॉकडाउन के बाद झारखंड में सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूरों की वापसी गिरिडीह जिले में ही हुई है। अब यहां आकर भी उनका मन रम नहीं रहा है। आखिर रोजगार या करने के कुछ साधन जो नहीं हैं!  इसी कारण इन दिनों गिरिडीह जिले के सरिया व आसपास के इलाकों में केंद्र व राज्य सरकार के नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। इसको लेकर झारखंड सरकार ने भी निर्देश जारी किया था कि इस लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूर यदि पुन: किसी दूसरे राज्य में जाकर काम करना चाहते हैं, तो पहले इसकी सूचना राज्य सरकार को देनी होगी। रजिस्ट्रेशन के बाद ही वे दूसरे राज्य जा सकेंगे ताकि राज्य सरकार के पास एक आंकड़ा रहे, लेकिन इन दिनों सरिया से होकर राज्य व केंद्र सरकार के आदेशों को धता बताते हुए गिरिडीह जिला लोगों को दर्जनों बड़ी-बड़ी बसों में खचाखच भर कर कोलकाता ले जाया जा रहा है। इसमें न तो शारीरिक दूरी का पालन किया जा रहा है और न ही लॉकडाउन का। प्रत्येक सीट पर सवारी बैठे नजर आते हैं। सामने से पर्दा गिरा रहता है। प्रवासी मजदूर एक बार फिर दूसरे राज्यों की ओर बेरोकटोक कूच करने लगे हैं।


वसूला जा रहा अधिक भाड़ा

बस संचालक अभी सरिया से कोलकाता के लिए प्रत्येक सवारी से करीब एक हजार रुपया किराया ले रहे हैं, जबकि पूर्व में 200-250 रुपये भाड़ा था। लौटते समय कई ऐसे सामान ट्रांसपोर्टिंग कर लाया जाता है जो अधिकांश फर्जी, नकली या फिर राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचाने वाला समान होता है। इस मार्ग से होकर कोलकाता के लिए जाने वाली दर्जनों बसें सरकार के निर्देशों का उल्लंघन तो कर ही रही हैं, सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचाकर कई प्रतिबंधित सामानों की ढुलाई कर रही हैं। बिना रजिस्ट्रेशन के प्रवासी मजदूरों को पुन: दूसरे राज्य पहुंचाने का गोरखधंधा मोटी कमाई के चक्कर में किया जा रहा है।

बसों के पास नहीं होता रोड परमिट
 जानकारी के अनुसार इस मार्ग में चलने वाली अधिकांश बसों के पास रोड परमिट भी नहीं होता है। टूरिस्ट परमिट के सहारे बसों का परिचालन किया जा रहा है। अगर जल्द ही राज्य सरकार इस दिशा में गंभीर नहीं होती है तो कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर काफी मुश्किलों का सामना पड़ सकता है। अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी विनोद कुमार महतो ने बताया कि राजधनवार, सरिया व बगोदर होते हुए कोलकाता के लिए मोटर वाहन व बसें चल रहे हैं, जिनमें मजदूर लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। इसकी जानकारी उन्हें मिली है, लेकिन परिवहन का मामला जिला परिवहन पदाधिकारी का बनता है। उन्हें सूचना दे दी गई है। यथाशीघ्र इस पर कार्रवाई की जाएगी।

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