'चौकीदार' के चमत्कार से सुनील सोरेन का चमका सितारा... अनाम योद्धाओं का भी बढ़ा कद
Dumka मतगणना से पहले हर कोई मानकर चल रहा था कि झामुमो अध्यक्ष और आदिवासियों के सबसे बड़े नेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन की ही जीत होगी। परिणाम आया तो पासा पलट गया।
धनबाद, जेएनएन। लोकसभा चुनाव- 2019 में पूरे देश की तरह झारखंड में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और काम की अंडरकरंट चली। नतीजतन, भाजपा ने झारखंड में 2014 के चुुनाव के दाैरान लोकसभा की 14 सीटों में 12 पर जीत की टैली 2019 में भी बरकरार रखी। इस जीत श्रेय सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी को ही जाता है। भाजपा गठबंधन के लिए दुमका और गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में जीत बहुत खास रही। इन क्षेत्रों में जीत से क्रमशः भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य जियाडा के स्वतंत्र निदेशक सत्येंद्र कुमार और धनबाद नगर निगम के मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल का कद बढ़ा है।
दुमका लोकसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन की जीत अप्रत्याशित रही है। 23 मई को मतगणना से पहले हर कोई मानकर चल रहा था कि झामुमो अध्यक्ष और आदिवासियों के सबसे बड़े नेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन की ही जीत होगी। लेकिन, परिणाम आया तो पासा पलट गया। भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन ने झामुमो प्रत्याशी शिबू सोरेन को 47, 590 मतों के अंतर से पराजित कर इतिहास लिख दिया। दुमका लोकसभा क्षेत्र से 8 बार चुनाव जीत चुके शिबू सोरेन का नौवीं बार संसद में जाने का सपना बिखर गया। दुमका में शिबू सोरेन की हार और सुनील सोरेन की जीत मोदी के पक्ष में चल रही अंडरकरंट का ही परिणाम रहा। वैसे, मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी दुमका में कम मेहनत नहीं की। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने सबसे ज्यादा दाैरा दुमका क्षेत्र में ही किया। दुमका के विकास पर विशेष ध्यान दिया। जीत का यह भी एक कारण है। दुमका में जीत की रणनीति तैयार की लोकसभा प्रभारी सत्येंद्र कुमार ने। प्रदेश भाजपा कार्यसमिति के सदस्य और जियाडा के स्वतंत्र निदेश सत्येंद्र कुमार पिछले छह महीने से दुमका में बूथ मैनेजमेंट से लेकर चुनाव की एक-एक रणनीति बनाने में जुटे थे। प्रत्याशी सुनील सोरेन की नाम की घोषणा नहीं होने से पहले से दुमका में भाजपा की जीत के ताने-बाने बुन रहे थे। कुमार कहते हैं-दुमका में भाजपा की जीत सचमुच किसी चमत्कार से कम नहीं है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और काम के साथ ही दुमका में मुख्यमंत्री रघुवर दास की मेहनत से संभव हो सका है।
दुमका के साथ ही गिरिडीह लोकसभा सीट पर भी भाजपा-आजसू गठबंधन की जीत महत्वपूर्ण है। गिरिडीह लोकसभा सीट भाजपा की परंपरागत सीट रही है। भाजपा ने गठबंधन के तहत गिरिडीह सीट आजसू को साैंप दी। यहां से भाजपा के पांच बार के सांसद रवींद्र पांडेय बेटिकट हो गए। नेतृत्व के इस फैसले से पांडेय के साथ ही भाजपा के नेता और कार्यकर्ता भी अंदर ही अंदर नाखुश थे। आजसू ने राज्य के मंत्री चंद्रप्रकाश चाैधरी को प्रत्याशी बनाया तो शुरू में भाजपा कार्यकर्ता और नेता चुनावी अभियान से दूर-दूर दिख रहे थे। इस विकट परिस्थिति में गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के भाजपा प्रभारी धनबाद के मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल ने मोर्चा संभाला। आजसू प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चाैधरी चुनाव लड़े रहे थे लेकिन बूथ मैनेजेंट का पूरा जिम्मा अग्रवाल ने संभाला। उन्होंने गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के तहत धनबाद जिले के टुंडी, बाघमारा, बोकारो जिले के गोमिया और बेरमो तथा गिरिडीह जिले के गिरिडीह और डुमरी विधानसभा में बूथ मैनेजमेंट की ऐसी रणनीति तैयार की कि झामुमो प्रत्याशी विधायक जगरनाथ महतो अपने विधानसभा क्षेत्र डुमरी में भी बढ़त नहीं बना पाए। आजसू के चंद्रप्रकाश चाैधरी ने 2,48,347 मतों के अंतर से झामुमो के जगरनाथ महतो को शिकस्त देकर साबित कर दिखाया कि भाजपा-आजसू के बीच गठबंधन का निर्णय सही था।
लोकसभा प्रभारी अग्रवाल कहते हैं- न सिर्फ गिरिडीह बल्कि पूरे देश और झारखंड में चाैकीदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चमत्कार कर दिखाया है। जीत का श्रेय मोदी को ही जाता है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने के लिए भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के मुकाबले जनता आगे थी। केंद्र की नरेंद्र मोदी और झारखंड की रघुवर सरकार विकास की राजनीति करती है। इसका फायदा चुनाव में भाजपा गठबंधन को मिला।
दुमका लोकसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन की जीत अप्रत्याशित रही है। 23 मई को मतगणना से पहले हर कोई मानकर चल रहा था कि झामुमो अध्यक्ष और आदिवासियों के सबसे बड़े नेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन की ही जीत होगी। लेकिन, परिणाम आया तो पासा पलट गया। भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन ने झामुमो प्रत्याशी शिबू सोरेन को 47, 590 मतों के अंतर से पराजित कर इतिहास लिख दिया। दुमका लोकसभा क्षेत्र से 8 बार चुनाव जीत चुके शिबू सोरेन का नौवीं बार संसद में जाने का सपना बिखर गया। दुमका में शिबू सोरेन की हार और सुनील सोरेन की जीत मोदी के पक्ष में चल रही अंडरकरंट का ही परिणाम रहा। वैसे, मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी दुमका में कम मेहनत नहीं की। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने सबसे ज्यादा दाैरा दुमका क्षेत्र में ही किया। दुमका के विकास पर विशेष ध्यान दिया। जीत का यह भी एक कारण है। दुमका में जीत की रणनीति तैयार की लोकसभा प्रभारी सत्येंद्र कुमार ने। प्रदेश भाजपा कार्यसमिति के सदस्य और जियाडा के स्वतंत्र निदेश सत्येंद्र कुमार पिछले छह महीने से दुमका में बूथ मैनेजमेंट से लेकर चुनाव की एक-एक रणनीति बनाने में जुटे थे। प्रत्याशी सुनील सोरेन की नाम की घोषणा नहीं होने से पहले से दुमका में भाजपा की जीत के ताने-बाने बुन रहे थे। कुमार कहते हैं-दुमका में भाजपा की जीत सचमुच किसी चमत्कार से कम नहीं है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और काम के साथ ही दुमका में मुख्यमंत्री रघुवर दास की मेहनत से संभव हो सका है।
दुमका के साथ ही गिरिडीह लोकसभा सीट पर भी भाजपा-आजसू गठबंधन की जीत महत्वपूर्ण है। गिरिडीह लोकसभा सीट भाजपा की परंपरागत सीट रही है। भाजपा ने गठबंधन के तहत गिरिडीह सीट आजसू को साैंप दी। यहां से भाजपा के पांच बार के सांसद रवींद्र पांडेय बेटिकट हो गए। नेतृत्व के इस फैसले से पांडेय के साथ ही भाजपा के नेता और कार्यकर्ता भी अंदर ही अंदर नाखुश थे। आजसू ने राज्य के मंत्री चंद्रप्रकाश चाैधरी को प्रत्याशी बनाया तो शुरू में भाजपा कार्यकर्ता और नेता चुनावी अभियान से दूर-दूर दिख रहे थे। इस विकट परिस्थिति में गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के भाजपा प्रभारी धनबाद के मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल ने मोर्चा संभाला। आजसू प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चाैधरी चुनाव लड़े रहे थे लेकिन बूथ मैनेजेंट का पूरा जिम्मा अग्रवाल ने संभाला। उन्होंने गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के तहत धनबाद जिले के टुंडी, बाघमारा, बोकारो जिले के गोमिया और बेरमो तथा गिरिडीह जिले के गिरिडीह और डुमरी विधानसभा में बूथ मैनेजमेंट की ऐसी रणनीति तैयार की कि झामुमो प्रत्याशी विधायक जगरनाथ महतो अपने विधानसभा क्षेत्र डुमरी में भी बढ़त नहीं बना पाए। आजसू के चंद्रप्रकाश चाैधरी ने 2,48,347 मतों के अंतर से झामुमो के जगरनाथ महतो को शिकस्त देकर साबित कर दिखाया कि भाजपा-आजसू के बीच गठबंधन का निर्णय सही था।
लोकसभा प्रभारी अग्रवाल कहते हैं- न सिर्फ गिरिडीह बल्कि पूरे देश और झारखंड में चाैकीदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चमत्कार कर दिखाया है। जीत का श्रेय मोदी को ही जाता है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने के लिए भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के मुकाबले जनता आगे थी। केंद्र की नरेंद्र मोदी और झारखंड की रघुवर सरकार विकास की राजनीति करती है। इसका फायदा चुनाव में भाजपा गठबंधन को मिला।
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