बीआइटी के प्रशासनिक व शैक्षणिक स्वायत्तता का किया विरोध

सिदरी बीआइटी सिदरी झारखंड सरकार का एकमात्र इंजीनियरिग कालेज के प्रशासनिक व शैक्षणि

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Aug 2020 02:35 AM (IST) Updated:Tue, 25 Aug 2020 02:35 AM (IST)
बीआइटी के प्रशासनिक व शैक्षणिक स्वायत्तता का किया विरोध
बीआइटी के प्रशासनिक व शैक्षणिक स्वायत्तता का किया विरोध

सिदरी : बीआइटी सिदरी झारखंड सरकार का एकमात्र इंजीनियरिग कालेज के प्रशासनिक व शैक्षणिक स्वायत्तता का स्टॉफ फैकल्टी और विद्यार्थियों ने विरोध शुरू कर दिया है। शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कर्मचारियों ने कहा कि प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता से उनका कैरियर प्रभावित होगा। जबकि विद्यार्थियों ने कहा है कि वित्तीय स्वायत्तता से फीस सहित अन्य शुल्कों में भारी बढ़ोतरी होगी। आदिवासी व पिछड़ा बहुल राज्य में इस वर्ग के विद्यार्थियों का इंजीनियर बनने का सपना टूट जाएगा। बीआइटी सिदरी प्रशासन ने मई में संस्थान के प्रशासनिक व वित्तीय स्वायत्तता का प्रस्ताव उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग झारखंड सरकार को भेजा था। स्टॉफ, फैकल्टी व विद्यार्थियों का कहना है कि स्वायत्तता का प्रस्ताव भेजने से पूर्व फैकल्टी की राय नहीं ली गई। संस्थान के निदेशक डॉ.डीके सिंह ने कहा कि स्वायत्तता प्रस्ताव से फैकल्टी सदस्यों को घबराने की जरूरत नहीं है। स्वायत्तता विश्व बैंक के टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इंप्रुवमेंट प्रोग्राम (टेक्यूप) के वित्तीय सहायता की प्रारंभिक शर्तें हैं। कहा कि स्वायत्तता के प्रस्ताव को उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग झारखंड सरकार को भेजने से पूर्व बीआइटी के बोर्ड ऑफ गवर्नेंस से स्वीकृति ली गई थी। शिक्षकों का कहना है कि उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा स्वायत्तता के संबंध में कुछ जानकारियां मांगी गई थी। तब शिक्षकों को पर्दे के पीछे रख स्वायत्तता के लिए चल रहे खेल की जानकारी मिली। सोमवार को संस्थान के शैक्षणिक कर्मियों की बैठक में विरोध किया गया। बीआइटी के प्रशासनिक व वित्तीय स्वायत्तता के लिए पूर्व निदेशक डॉ. एसके सिंह के कार्यकाल 2010 में भी प्रयास किया गया था। इसके लिए नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिएशन की टीम आई थी। फैकल्टी ने स्वायत्तता का कड़ा विरोध किया था। इससे तत्काल स्वायत्तता के प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं लिया गया था।

बीआइटी की स्वायत्तता को लेकर निदेशक व शिक्षक आमने-सामने : बीआइटी सिदरी की स्वायत्तता प्रस्ताव को लेकर निदेशक और शिक्षक आमने-सामने हो गए हैं। शिक्षकों ने संयुक्त सचिव उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग झारखंड सरकार को स्मार पत्र देकर निदेशक डॉ. डीके सिंह पर मनमानी करने का आरोप लगाया है। शिक्षकों ने एकेडमिक कैलेंडर का प्रकाशन नहीं करने का भी आरोप लगाया है। कहा कि स्वायत्तता प्रस्ताव भेजने से पूर्व निदेशक ने स्टेक होल्डर की बैठक नहीं की और न ही स्टॉफ कांउसिल की बैठक बुलाई। बीआइटी के प्रशासनिक व वित्तीय स्वायत्तता संस्थान हित में नहीं होगा। वित्तीय स्वायत्तता से शुल्क में बेतहाशा बढ़ोतरी होगी। राज्य के आदिवासी, पिछड़े विद्यार्थी इंजीनियरिग की शिक्षा से वंचित रह जाएंगे। यह तय हो जाना चाहिए कि स्वायत्तता के साथ आंतरिक व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हो।

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