Bakrid Mubarak: धनबाद में कोरोना प्रोटोकाल के तहत मनाई जा रही बकरीद, जानें इसका महत्व

Eid al-Adha 2021 बकरीद के त्योहार को कुर्बानी के दिन के रूप में भी याद किया जाता है। इसको लेकर बीते कई दिनों से तैयारियां चल रही थी। कोरोना काल चल रहा है। झारखंड सरकार ने कोरोना प्रोटोकॉल के तहत बकरीद मनाने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर रखा है।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 10:55 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 08:45 AM (IST)
Bakrid Mubarak: धनबाद में कोरोना प्रोटोकाल के तहत मनाई जा रही बकरीद, जानें इसका महत्व
विधि-व्यवस्था पर बैठक करते डीडीसी दशरथ चंद्र दास और अन्य ( फोटो जागरण)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। पूरे देश के साथ ही धनबाद कोयलांचल में भी बुधवार को ईद-अल-अजहा बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक रमजान के दो महीने बाद कुर्बानी का त्योहार बकरीद मनाया जाता है। बकरीद के त्योहार को कुर्बानी के दिन के रूप में भी याद किया जाता है। इसको लेकर बीते कई दिनों से तैयारियां चल रही थी। कोरोना काल चल रहा है। झारखंड सरकार ने कोरोना प्रोटोकॉल के तहत बकरीद मनाने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर रखा है। इसके अनुसार यह त्योहार मनाया जा रहा है। सार्वजनिक रूप से ईदगाह और मस्जिदों में मनाज नहीं पढ़ी जाएगी।

घरों में पढ़ी जा रही नमाज

धनबाद कोयलांचल में बुधवार, 21 जुलाई  को ईद-उल-अजहा मनाई जा रही है। इस वर्ष भी कोविड-19 को देखते हुए ईदगाह और मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की नमाज नहीं अदा की जाएगी। धनबाद के मुस्लिम बहुल क्षेत्र वासेपुर, के साथ-साथ पूरे कोयलांचल में, ईद उल अजहा, की तैयारियां पूरी हो गई हैं। बाजारों में ईद उल अजहा को लेकर मुस्लिम धर्मावलंबियों द्वारा मंगलवार रात तक खरीदारी की गई। वासेपुर के मुख्य सड़क और बाईपास में बकरों का हॉट लगा था, यहां हर साहिबे निसाब कुर्बानी के लिए लोगों ने खरीदारी की। मुख्य सड़क पर ईद उल अजहा को लेकर काफी भीड़ भाड़ देखी गई। लोखरीदारी करने के लिए और महिलाएं अपनी सिंगार के सामान की खरीदारी के लिए बाजारों में उमड़ पड़ी। दूसरी तरफ धनबाद जिला प्रशासन ने मंगलवार को बैठक कर विधि व्यवस्था की समीक्षा की। शांति-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जिले भर में दंडाधिकारियों के नेतृत्व में पुलिस बदल की तैनाती की गई है। इंटरनेट मीडिया की विशेष निगरानी की जाएगी। धार्मिक भावना भड़काने वाले पोस्ट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

कोविड गाइडलाइन के तहत अदा की जाएगी नमाज

कोविड-19 व सरकार की गाइडलाइन के तहत ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की जाएगी। लोग ईदगाह और मस्जिदों के बजाय घरों में नमाज पढ़ेंगे। मुस्लिम भाई अपने अपने घरों में ही ईद उल अजहा की 2 रकात नफिल नमाज अदा करेंगे। इस्लाम धर्म में ईद का त्योहार बहुत खास माना जाता है, साल में ईद दो बार आती है, एक बार मीठी ईद और इसके बाद बकरीद, मीठी ईद को ईद उल फितर कहा जाता है, जबकि, बकरीद को ईद उल अजहा कहा जाता है,ईद उल अजहा में भी लोग मीठी ईद की तरह सुबह 2 रकात नफिल नमाज ईदगाह में या मस्जिदों में अदा करते हैं, इसके बाद आपस में, गले मिलकर एक दूसरे को ईद उल अजहा की बधाई देते हैं, और अपने-अपने घर जाकर बकरे की कुर्बानी देते हैं।

बकरे की दी जाती कुर्बानी

ईद-अल-अजहा को बकरीद नहीं कहा जाता है. आज के दिन आमतौर पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है, इसलिए हमारे देश में इसे बकरीद भी कहते हैं। आज के दिन बकरे को अल्लाह के लिए कुर्बान कर दिया जाता हैं। इस धार्मिक प्रक्रिया को फर्ज-ए-कुर्बान कहा जाता है। इस खास मौके पर ईदगाहों और प्रमुख मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज अदा की जाती है। लेकिन  कोरोना संक्रमण की भयावयता की वजह से लोगों को घर से ही नमाज अदा करनी पड़ रही है।

ईद-अल-अजहा का महत्व

रमजान की ईद के 70 दिनों बाद बकरीद मनाई जाती है। बकरीद को ईद-अल-अजहा या फिर ईद-उल-जुहा भी कहा जाता है। आज के दिन नमाज अदा करने के बाद बकरों की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी पर गरीबों का खास ख्याल रखा जाता है। कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं। जिसका एक हिस्सा गरीबों को दिया जाता है, दूसरे हिस्से को दोस्तों, सगे संबंधियों में बांटा जाता है। वहीं तीसरे हिस्से को खुद के लिए रखा जाता है। ईद-अल-अजहा या बकरीद मनाए जाने के पीछे मुसलमानों का मानना है कि पैगंबर इब्राहिम की कठिन परीक्षा ली गई थी. इसके लिए अल्लाह ने उनको अपने बेटे पैगम्बर इस्माइल की कुर्बानी देने को कहा था। इसके बाद इब्राहिम आदेश का पालन करने को तैयार हुए। वहीं बेटे की कुर्बानी से पहले ही अल्लाह ने उनके हाथ को रोक दिया। इसके बाद उन्हें एक जानवर जैसे भेड़ या मेमना की कुर्बानी करने को कहा गया।  इस प्रकार उस दिन से लोग बकरीद को मनाते आ रहे हैं।

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