झारखंड में तेज होगी भाषाई राजनीति, संताली को राज्य की प्रथम भाषा घोषित करने की उठी मांग

आदिवासी सेंगेल अभियान के केंद्रीय महासचिव पंकज कुमार हांसदा ने कहा कि यह साल जनगणना का वर्ष है। आदिवासी हिंदू मुस्लिम जैन व बौद्ध नहीं हैं। आदिवासी की प्राकृतिक पूजा धर्म सरना कोड को मान्यता दी जाए। भूमि और भाषा के संरक्षण से आदिवासियों का अस्तित्व बचा रह सकता है।

By MritunjayEdited By: Publish:Sat, 09 Oct 2021 08:48 AM (IST) Updated:Sat, 09 Oct 2021 08:48 AM (IST)
झारखंड में तेज होगी भाषाई राजनीति, संताली को राज्य की प्रथम भाषा घोषित करने की उठी मांग
झारखंड के संताल में बोली जाती संताली भाषा ( सांकेतिक फोटो)।

जागरण संवाददाता, दुमका। झारखंड में भाषा की राजनीति तेज होगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा भोजपुरी, मगही और मैथली के खिलाफ टिप्पणी और इसे नियुक्ति की परीक्षाओं में स्थान न दिए जाने को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा था। अब संताली को प्रथम राजभाषा घोषित करने की आवाज उठी है। इसके लिए शुक्रवार को झारखंड के संताल के जिला मुख्यालयों पर धरना दिया गया। उपायुक्तों के माध्यम से राष्ट्रपति और झारखंड सरकार को मांग पत्र साैंपा गया। इस दाैरान हिंदी के साथ संताली को राज्य की भाषा घोषित करने की वकालत की गई। 

भाषा से ही बचेगा आदिवासियों का अस्तित्व

संताली को राज्य की प्रथम भाषा बनाने के अलावा सात सूत्री मांग को लेकर शुक्रवार को आदिवासी सेंगेल अभियान के सदस्यों ने पुराने समाहरणालय परिसर में धरना दिया। साथ ही उपायुक्त को राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन सौंपा। केंद्रीय महासचिव पंकज कुमार हांसदा ने कहा कि यह साल जनगणना का वर्ष है। आदिवासी हिंदू  मुस्लिम, जैन व बोध नहीं हैं। करीब 15 करोड़ आदिवासी की प्राकृतिक पूजा धर्म सरना कोड को मान्यता दी जाए। भूमि, भाषा व रोजगार के संरक्षण व संवर्धन से आदिवासियों का अस्तित्व बचा रह सकता है। जिलाध्यक्ष सुनील मुर्मू ने कहा कि जनगणना में प्राकृतिक पूजक आदिवासियों को सरना धर्म कोड प्रदान किया जाए। संताली को हिंदी साथ राज्य की पहली भाषा बनाया जाए और हो, मुंडा, कुडूख व खडिय़ा आदि भाषाओं को संविधान की आठवीं सूची में शामिल किया जाए। प्रमंडलीय अध्यक्ष कमिश्नर मुर्मू ने कहा कि सीएनटी और एसपीटी एक्ट कानून की रक्षा करते हुए वीर शहीद सिदो कान्हु और बिरसा मुंडा के वंशजों को सम्मान देकर समृद्धि के लिए दो ट्रस्ट का गठन किया जाए। असम व अंडमान आदि के झारखंडी आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाए। सिदो कान्हु के वंशज रामेश्वर मुर्मू की मौत की भी सीबीआइ जांच कराई जाए।

आदिवासी सेंगल अभियान ने दिया धरना

अपनी मांगों को लेकर आदिवासी सेंगल अभियान के सदस्यों ने शुक्रवार को साहिबगंज जिला कलेक्ट्रेट के निकट धरना दिया। इसका नेतृत्च अभियान के जिला अध्यक्ष दुखु मुर्मू ने किया। धरना के बाद राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन उपायुक्त को सौंपा गया। जिला अध्यक्ष दुखु मुर्मू ने बताया कि 2021 की जनगणना में आदिवासियों को सरना धर्म कोड प्रदान किया जाए। संथाली को हिंदी के साथ झारखंड की प्रथम राजभाषा बनायी जाए और हो, मुंडा, कुडूक खडिया आदि भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। झारखंडी डोमिसाइल और अन्य संवैधानिक कानूनी अधिकार की रक्षा की जाए। इस मौके पर मानिक टूडृ, महेश मुर्मू, सनत हांसदा, मोजीलाल मुर्मू, सनातन बास्की, निशा प्रिया हेम्ब्रम, मेरी टुडू, परवती किस्कू आदि मौजूद थे।

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