Exclusive : कृषि ऋण माफी की शेष राशि देने में नाबार्ड ने खड़े किए हाथ, पिछले 11 सालों से नहीं मिली 50 फीसद राशि

धनबाद सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक लिमिटेड को शेष 50 फीसद राशि का भुगतान अभी तक नहीं मिली है। इसपर नाबार्ड का कहना है कि राशी के भुगतान का फैसला अब केंद्र व राज्य सरकार को करना है।

By Sagar SinghEdited By: Publish:Fri, 01 Nov 2019 12:25 PM (IST) Updated:Fri, 01 Nov 2019 12:38 PM (IST)
Exclusive : कृषि ऋण माफी की शेष राशि देने में नाबार्ड ने खड़े किए हाथ, पिछले 11 सालों से नहीं मिली 50 फीसद राशि
Exclusive : कृषि ऋण माफी की शेष राशि देने में नाबार्ड ने खड़े किए हाथ, पिछले 11 सालों से नहीं मिली 50 फीसद राशि

धनबाद, जेएनएन। सरकार द्वारा वर्ष 2007-08 में किसानों का करीब 35 करोड़ रुपये कृषि ऋण माफ कर दिया गया था। इस एवज में सरकार से नाबार्ड के माध्यम से दी धनबाद सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक लिमिटेड धनबाद को 50 फीसद राशि का भुगतान किया गया। जबकि अभी तक शेष राशि बैंक को नहीं मिली है। अब इस राशि को देने में नाबार्ड ने हाथ खड़े कर दिए हैं।

पिछले 15 दिनों से नाबार्ड के डीजीएम एसी गर्ग के नेतृत्व में कॉपरेटिव बैंक की जांच चल रही थी। गुरुवार को जांच पूरी हुई। इस दौरान मामले को लेकर पूछे जाने पर गर्ग ने बताया कि कृषि ऋण माफी का 50 फीसद भुगतान करने के बाद गलत दावों के निष्पादन का मामला सामने आया था। कई ऐसे किसानों के भी ऋण माफ कर दिए गए थे, जो कृषि ऋण के दायरे में नहीं आते थे।

भुगतान करने का अधिकार राज्य और केंद्र सरकार को

उन्होंने कहा कि इसके तहत कुल 1.46 करोड़ रुपये की राशि गलत ढंग से माफ कर दी गई थी। इस मामले की जांच वित्त विभाग की अंकेक्षण टीम से कराया गया। टीम ने अब अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। शेष 50 फीसद राशि का भुगतान करने का अधिकार राज्य और केंद्र सरकार को है।

उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी बैंक प्रबंधन

इधर, इस मामले को लेकर बैंक प्रबंधन समिति के निदेशक बिसेश्वर सिंह ने कहा कि नाबार्ड के लिखित आदेश पर ही किसानों का कर्ज माफ करने की कार्रवाई की गई थी। माफ की गई राशि का भुगतान भी नाबार्ड के माध्यम से ही हुआ था। अब यदि नाबार्ड हाथ खड़े करती है तो बैंक प्रबंधन उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी।

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