प्रगटियो खालसा परमात्म की मौज
जागरण संवाददाता, धनबाद : जिस धर्म के गुरु ने हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु अपना शीश कटा दिया था। जिस धर्म के गुरु ने धर्म और सत्य के लिए अपने पूरे परिवार को न्योछावर कर दिया था। उसी महान धर्म का सृजना दिवस सोमवार को हर्षोल्लास एवं श्रद्धा के साथ मनाया गया। सिख धर्म का नाम सुनते ही हमें उनकी कुरबानी याद आती है, 'पंज प्यारों' की तस्वीर हमारे सामने आ जाती है। पूरे विश्व में खालसा पंथ का 315वां सृजना दिवस वैशाखी पर्व मनाया गया। बैंक मोड़ स्थित बड़ा गुरुद्वारा साहिब में तीन दिनों तक चले विशेष समागम का समापन सोमवार को गुरु प्रसाद से हुआ। पूरा परिसर 'वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह' और 'सतश्री अकाल, बोले सो निहाल' के जयकारे से गूंजता रहा। यहां सुबह दस बजे से विशेष दीवान सजाया गया। सर्वप्रथम माता गुजरी जत्था के बच्चों ने शबद-कीर्तन कर संगतों को निहाल कर दिया। जत्था ने 'प्रगटियो खालसा परमात्म की मौज' और 'सुन-सुन मान तुम्हारा प्रीतम' शबद गायन कर भावविभोर कर दिया। इसके उपरांत फतेहगढ़ साहिब के रागी जत्था समनदीप सिंह तान ने 'सुर नर अमृत खोज दे', 'अमृत नाम निधान हे, मिल वियो भाई', 'रहनी रहे सोई सिख मेरा', 'बिन बोल्यां सब कुछ जान दां', 'किस आगे किचे आरदास', 'अमृत पिवे अमर सो होए' और 'पूर्ण जौत जगे घट में' शबद कीर्तन कर संगतों को गुरु चरणों से जोड़ा। इस दौरान ढाडी जत्था जसपाल सिंह तान ने गुरु साहिबान का बखान कर संगतों को उनका उपदेश पालन करने पर जोर दिया। कार्यक्रम की समाप्ति पर गुरु का अटूट लंगर वितरित किया। इसमें बड़ी संख्या में धनबाद, जामाडोबा, जोड़ापोखर, निरसा, चिरकुंडा, रानीगंज, आसनसोल, बोकारो के संगतों ने गुरु प्रसाद ग्रहण किया। मौके पर गुरुद्वारा के प्रधान पलविंदर सिंह, महासचिव मनजीत सिंह गुरदत्ता, दलबारा सिंह, गुरुचरण सिंह, माजा, राजिंदर सिंह चहल, दविंदर सिंह गिल, गुरजीत सिंह, जगजीत सिंह, तेजिंदर सिंह, दिलजोन सिंह, राजिंदर सिंह, दर्शन सिंह, मनजीत सिंह सलूजा, एसएस मेहता, बलबीर सिंह दुआ, सतपाल सिंह उपस्थित थे।