दुर्गापुर में एक दर्जन घरों में दरार

By Edited By: Publish:Fri, 20 Sep 2013 06:55 PM (IST) Updated:Fri, 20 Sep 2013 07:18 PM (IST)
दुर्गापुर में एक दर्जन घरों में दरार

तिसरा, झरिया : कुजामा कोलियरी के अग्नि व भू-धंसान प्रभावित दुर्गापुर कुम्हार बस्ती इलाके में गुरुवार की रात लगभग आधा दर्जन घरों की दीवारों व जमीन में दरारें पड़ गई। आसपास के आधा दर्जन अन्य घर भी प्रभावित हुए हैं। घटना से हड़कंप मच गया है। अनहोनी की आशंका से देर रात लोग घरों से बाहर निकल सुरक्षित स्थान को भागने लगे। नाराज लोगों ने शुक्रवार को घनुडीह परियोजना कार्यालय पर एक घंटा तक जोरदार प्रदर्शन कर परियोजना पदाधिकारी सत्येंद्र कुमार को घेरा।

जमसं के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे शंभूनाथ राम, सेलो पासवान का कहना था कि घनुडीह परियोजना में लगातार हो रही ब्लास्टिंग से ही घरों में दरार हुई हैं। प्रबंधन प्रभावित परिवारों के मुआवजा व पुनर्वास की व्यवस्था करे। वार्ता में आंदोलनकारियों से परियोजना पदाधिकारी ने दो टूक कहा कि घटना स्थल हमारे क्षेत्र में ही नहीं है। न ही ब्लास्टिंग से ऐसा हुआ है। यह बस्ती लोदना क्षेत्र के कुजामा इलाके में पड़ती है। प्रदर्शन में राजेश पासवान, ताराचंद सिंह, बबलू, सूरज निषाद, भोला दास, रामचंद्र साव, चक्रधारी पंडित, नंदलाल झा, पवन पंडित, ओमप्रकाश थे।

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कुम्हार बस्ती में दरार की घटना ब्लास्टिंग से नहीं हुई है। घनुडीह परियोजना से यह बस्ती पांच सौ मीटर की दूरी पर है। यह बस्ती लोदना क्षेत्र के कुजामा इलाके में पड़ती है। लोदना क्षेत्र व कुजामा के अधिकारी ही इस बारे में विस्तार से कुछ बता पायेंगे।

सत्येंद्र कुमार, परियोजना पदाधिकारी

घनुडीह परियोजना

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परियोजना पदाधिकारी को क्षेत्र में जाकर स्थिति की जानकारी लेने का निर्देश दिया है। क्षेत्र अग्नि व भू-धंसान प्रभावित है। यहां के लोगों को पहले ही हटने की नोटिस दे चुके हैं। कंपनी के नियमानुसार कार्रवाई करेगी।

बीसी माजी, जीएम लोदना क्षेत्र

बाक्स :

ब्लास्टिंग के कारण हुई घटना

तिसरा: इलाकाई लोगों का कहना है कि बस्ती के एक ओर घनुडीह परियोजना है तो दूसरी ओर कुजामा आउटसोर्सिग परियोजना। दोनों इलाकों में खनन के लिये ब्लास्टिंग की जाती है। इसी कारण कंपन हुआ। इलाका भी आग व धंसान प्रभावित है। पूर्व में भूमिगत खनन के दौरान यहां से कोयला निकाला गया था। बावजूद बालू भराई नहीं हुई। ऐसे में कंपन और धंसान के कारण जमीन धंसी और कई घरों में दरार पड़ने की घटना सामने आई।

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इनके घरों में पड़ी दरार

तिसरा : कुम्हार बस्ती के रहने वाले रामचंद्र साव, गोपाल साव, जितेंद्र झा, मनोहर पंडित, मनोरमा देवी, दीप नारायण पंडित के घरों में काफी संख्या में दरारें पड़ीं हैं। जबकि आसपास के अन्य आधा दर्जन घर भी प्रभावित हुए हैं। प्रभावित परिवारों का कहना है कि रात में जब हम लोग गहरी नींद में थे। उसी समय जमीन के कुछ आवाज महसूस की। घबरा कर उठे तो देखा कि जमीन व दीवारों मे दरार पड़ गई हैं। घर की अलमारियों का रखा कुछ सामान भी जमीन पर गिरा। तत्काल घर से बाहर भागे।

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पांच वर्ष पहले भी हुई थी घटना

तिसरा : कुम्हार बस्ती के लोगों का कहना है कि जहां घटना हुई उसके कुछ ही दूरी पर पहले कुजामा कोलियरी का एक गहरा चानक था। पांच वर्ष पूर्व भी इस क्षेत्र के दुर्गापुर खटाल बस्ती में इसी तरह की घटना हुई थी। उस समय प्रबंधन ने चानक में पत्थर, बालू व मिट्टी से भराई कराई थी।

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प्रभावितों का जरेडा के तहत हो पुनर्वास

तिसरा : कुम्हार बस्ती में दरार की सूचना

पाकर जमसं नेता केडी पांडेय, उमेश सिंह, शंभू राम, रमेश राम मौके पर पहुंचे। जमसं प्रतिनिधियों ने लोदना जीएम बीसी माजी को दरार के बारे में जानकारी दी। जीएम ने क्षेत्र का निरीक्षण कर आवश्यक कार्रवाई करने की बात कही है। जीएम से यहां के लोगों का जरेडा के तहत पुनर्वास करने की मांग की है।

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बस्ती को खाली करने का दिया जा चुका है अल्टीमेटम:

तिसरा: कुजामा परियोजना दो वर्ष पूर्व जब बस्ताकोला क्षेत्र में थी। तब क्षेत्रीय प्रबंधन ने कुम्हार बस्ती को आग व भू धंसान से खतरनाक बताते हुए यहां के लोगों को आवास खाली कराने का नोटिस दिया था। बावजूद प्रबंधन की ओर से यहां के लोगों को पुनर्वास नहीं किए जाने के कारण लोग यहीं पर बसे रहे।

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