विकास को पंख देनेवाले 40 पद पर 37 पदाधिकारी का पद खाली

देवघर देवघर अंतरराष्ट्रीय शहर है। झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी होने के नाते इसे स

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 06:30 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 06:30 PM (IST)
विकास को पंख देनेवाले 40 पद पर 37 पदाधिकारी का पद खाली
विकास को पंख देनेवाले 40 पद पर 37 पदाधिकारी का पद खाली

देवघर : देवघर अंतरराष्ट्रीय शहर है। झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी होने के नाते इसे सूबे का दर्पण कहा जाता है। मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव तक प्रतिदिन विकास का पैमाना तय करते हैं। योजनाओं को धरातल पर उतारने की समय सीमा बनाते हैं। पर इस बात की समीक्षा नहीं करते कि देवघर जिला में 40 स्वीकृत पद पर केवल तीन अधिकारी ही पदस्थापित हैं। एक-एक अधिकारी के जिम्मे चार या पांच विभाग का प्रभार है। हैरानी तो इस बात की है कि खाद्य आपूर्ति विभाग के जिला प्रमुख का पद भी रिक्त है। यह तब है जब सरकार की प्राथमिकता में सबको खाद्यान्न पहुंचाने का लक्ष्य प्राथमिकता सूची में है।

समाज कल्याण विभाग की बड़ी जिम्मेदारी है कि वह स्वास्थ्य विभाग से समन्वय बनाकर टीकाकरण कराए। बालबाड़ी ठीक से चले इसके लिए सरकार ने सीडीपीओ का पद सृजित किया है, लेकिन वह भी कई प्रखंडों में रिक्त है।

विधि व्यवस्था व न्यायालय कार्य प्रभावित

अनुमंडल में कार्यपालक दंडाधिकारी का पद विधि व्यवस्था एवं न्यायालय कार्य के निष्पादन के लिए होता है। देवघर अनुमंडल में कार्यपालक दंडाधिकारी का तीन पद स्वीकृत है जिसमें एक पद रिक्त है। मधुपुर अनुमंडल में दो पद स्वीकृत है और दोनों ही रिक्त है। स्थिति यह कि देवघर अनुमंडल से कार्यपालक दंडाधिकारी को भेजकर मधुपुर अनुमंडल का कार्य कराया जा रहा है। समाहरणालय में कार्यपालक दंडाधिकारी का चार पद है, लेकिन आज की तारीख में तीन पद रिक्त है। ऐसे में कार्य का अंदाजा लगाया जा सकता है।

कार्मिक सचिव को डीसी ने लिखा है पत्र

उपायुक्त ने कार्मिक विभाग के प्रधान सचिव को अब तक दो बार स्मार पत्र दिया है। जिसमें कहा गया है कि देवघर में स्वीकृत पद के विरूद्ध पदाधिकारियों की कमी है। जिस कारण एक-एक पदाधिकारी को कई विभाग का प्रभार देकर काम कराया जा रहा है। जिससे कार्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। पत्र में इस बात का विशेष रूप से जिक्र है कि कार्यपालक दंडाधिकारी का पद मधुपुर में पूरी तरह रिक्त है। देवघर समाहरणालय में भी चार की जगह एक पद पर अधिकारी हैं। जिससे दायित्वों के निर्वहन में बहुत परेशानी हो रही है। इतना ही नहीं केंद्र व राज्य सरकार के योजनाओं के पर्यवेक्षण में भी परेशानी हो रही है।

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कौन-कौन से पद पर नहीं हैं पदाधिकारी

देवघर समाहरणालय, देवघर अनुमंडल एवं मधुपुर अनुमंडल में कार्यपालक दंडाधिकारी का नौ पद स्वीकृत हैं। इसमें छह पद रिक्त है। अब बात पदाधिकारियों के पदनाम के साथ की करें। निदेशक राष्ट्रीय नियोजन कार्यक्रम, सचिव जियाडा, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, जिला योजना पदाधिकारी, जिला सांख्यिकी पदाधिकारी, जिला उद्यान पदाधिकारी, जिला खेल पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला कल्याण पदाधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता देवघर एवं मधुपुर, सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा, विशेष भू-अर्जन पदाधिकारी, अवर निर्वाचन पदाधिकारी, उप कोषागार पदाधिकारी मधुपुर, अंचल अधिकारी सोनारायठाड़ी, मारगोमुंडा, करौं, सरवां, सारठ, पालोजोरी एवं मधुपुर। बाल विकास परियोजना पदाधिकारी मोहनपुर, सारवां, सोनारायठाड़ी, सारठ, देवीपुर, करौं एवं मारगोमुंडा।

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