व्यवस्था पर भारी सावन की पहली सोमवारी

देवघर : अनुमान तो था, लेकिन ऐसी उम्मीद नहीं थी कि श्रावणी मेला के तीसरे दिन पहली सोमवार को ऐसी भीड़ उ

By Edited By: Publish:Mon, 03 Aug 2015 07:14 PM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2015 07:14 PM (IST)
व्यवस्था पर भारी सावन की पहली सोमवारी

देवघर : अनुमान तो था, लेकिन ऐसी उम्मीद नहीं थी कि श्रावणी मेला के तीसरे दिन पहली सोमवार को ऐसी भीड़ उमड़ेगी कि प्रशासन की सारी रणनीति व व्यवस्था बौनी साबित होगी।

हालांकि झलक रविवार रात में ही मिल गई थी, रात 10 बजे तक कांवरियों की कतार बाबा मंदिर से 5 किमी दूर बरमसिया चौक तक पहुंच गई थी। सुबह होते ही भक्तों की कतार नंदन पहाड़, बेलाबगान होते हुए देवघर-जसीडीह मुख्य मार्ग में डढ़वा नदी के आगे निकल गई। पूरी रात के बाद भी शिवभक्तों को बाबा मंदिर पहुंचने में 5 से 10 घंटे का इंतजार करना पड़ा। परिणाम यह हुआ कि कई बार कांवरियों का धैर्य जवाब दे गया और अफरातफरी व भगदड़ की स्थिति रही। सबसे ज्यादा अराजक स्थिति वन विभाग के समीप बेलाबगान मोड़, बरमसिया में नंदन पहाड़ मोड़ तथा बरमसिया चौक पर बनी रही। बेलाबगान मोड़ पर भी कांवरियों का जत्था रोड पर बैठ गया था, जिसके कारण जाम की स्थिति बन गई। नंदन पहाड़ मोड़ व बरमसिया चौक पर भी यही स्थिति बनी। सत्संग-बैद्यनाथपुर बायपास मार्ग तो लगभग तीन घंटे तक कांवरियों के कब्जे में रहा। पूरे रोड पर कांवरिया बैठे थे, जिसके चलते आवागमन बाधित रहा। बीआईटी मेसरा की बस को वापस होकर दूसरा मार्ग पकड़ना पड़ा। यहां डीएसपी दीपक कुमार पांडेय, डीएसपी मुख्यालय नवीन शर्मा, अंचलाधिकारी शैलेश कुमार व इंस्पेक्टर एके उपाध्याय के नेतृत्व में पुलिस बल के जवानों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। कांवरियों को नियंत्रित करने के लिए लाठी भी भांजी गई। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए फायर बिग्रेड की गाड़ी को यहीं स्थापित कर दिया गया। अफरा-तफरी व भगदड़ के कारण कई कांवरियों को आंशिक रूप से चोट भी लगी, जबकि बरमसिया चौक के समीप कांवरिया व पुलिस में ही भिड़ंत हो गई। पुलिसवालों के बीच-बचाव के बाद मामला शांत हुआ। कतार में लगे कांवरियों ने डीएसपी से भी शिकायत की कि वह पिछले दस घंटे से लाइन में लगे है और लाइन तेज गति से नहीं बढ़ रही है।

कतार रोककर किया गया नियंत्रित: बरमसिया में नंदन पहाड़ मोड़ के समीप कतार रोककर भीड़ को नियंत्रित किया गया। काफी देर के बाद सुबह 9.25 पर एक बार फिर से कतार बढ़ना शुरू हुआ तो नंदन पहाड़ मोड़ पर कतार को रोककर सड़क पर बैठे कांवरियों को धीरे-धीरे कतार में प्रवेश कराते हुए स्थिति को नियंत्रित किया गया। हालांकि इसमें काफी मशक्कत करनी पड़ी। क्योंकि कतार में व सड़क पर जमे कांवरिया एक साथ आगे बढ़ने लगे थे।

कतार व्यवस्था ध्वस्त: बरमसिया चौक से आगे कतार व्यवस्था ध्वस्त नजर आई। नंदन पहाड़ मोड़ से आगे कुमुदिनी घोष मोड़ के समीप तक कांवरियों की दो कतार लगी थी। बेलाबगान मोड़ व आगे भी कमोबेश यही स्थिति थी, जबकि देवघर-जसीडीह मुख्य मार्ग में आधी सड़क पर कांवरियों का कब्जा था। बीएड कालेज पंडाल में भी यही स्थिति बनी हुई थी। यहां पांच पंडाल में तो कतार व्यवस्था थी लेकिन इसके बाद कांवरियां ठूंस-ठूंसकर भरे थे।

मौका मिलते घुसपैठ, कई ने छोड़ी कतार: प्रशासन जहां जितनी भी व्यवस्था कर ले घुसपैठ पर अंकुश लगाना मुश्किल है। तीसरी सोमवारी को उमड़ी भीड़ में भी घुसपैठ होते रही। यह काम मौका देखकर हो रहा था। कांवरिया कतार में लगने के लिए आगे बढ़ रहे थे, जैसे ही पुलिस वालों से नजर बचती थी मौका देखकर घुस जा रहे थे, हालांकि जो पकड़ में आ रहे थे, उन्हें बाहर भी निकाला जा रहा था। भीड़ को देखकर कई कांवरियों की हिम्मत जवाब दे गई। खासतौर से बरमसिया चौक के आगे लगे कई कांवरियों ने घंटों कतार में बिताने के बाद कतार छोड़ दिया और

8 किमी बाद कतार: बाबा के जलाभिषेक के लिए न केवल कांवरियों को 8 किमी की दूरी तय करनी पड़ी बल्कि कतार में लगने के लिए भी कांवरियों ने यह दूरी तय की। सुल्तानगंज से बाबाधाम पहुंचने के बाद कांवरिया शिवगंगा में डुबकी लगाते हैं, यहां से कांवरियों को कतार में लगने के लिए 8 किमी की दूरी तय कर डढ़वा नदी पहुंचना पड़ रहा था।

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