Lok Sabha Polls 2019: बड़ा मुद्दा : अच्छे दिन के लिए तरस रहा आदिवासी छात्रावास

Lok Sabha Polls 2019. बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान लातेहार के आदिवासी छात्रावास की बदहाली बड़ा मुद्दा रही है। लेकिन अब तक इसका समाधान नहीं निकल सका है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 25 Mar 2019 02:17 PM (IST) Updated:Mon, 25 Mar 2019 02:17 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: बड़ा मुद्दा : अच्छे दिन के लिए तरस रहा आदिवासी छात्रावास
Lok Sabha Polls 2019: बड़ा मुद्दा : अच्छे दिन के लिए तरस रहा आदिवासी छात्रावास

लातेहार, [उत्कर्ष पांडेय]। बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान लातेहार के आदिवासी छात्रावास की बदहाली बड़ा मुद्दा रही है। लेकिन अब तक इसका समाधान नहीं निकल सका है। वर्षों से लातेहार के आदिवासी छात्रावास में रहने वाले छात्र बदहाल अवस्था में रहने को विवश हैं।

छात्रावास में न पीने को साफ पानी है, और न ही शौचालय की मुक्कमल व्यवस्था। नतीजा छात्रावास में रह रहे छात्रों को शौच के लिए हाथों में लोटा लिए खुले स्थानों का रूख करना पड़ता है। समाहरणालय भवन से सटे होने के कारण मार्ग से गुजरने वाले नौकरशाहों को भी पूरे मामले की जानकारी है। बावजूद इसके छात्रावास की स्थिति जस की तस बनी हुई है।

आठ कमरे में रहते हैं 60 छात्र

छात्रावास में रहने के लिए आठ कमरे हैं। एक में रसोई है तथा शेष सात कमरों में 60 छात्र रहते हैं। सोने के लिए चौकी भी नहीं है। बच्चों ने अपने पैसे से चौकी खरीदी है। सोना व पढऩा, दोनों इसी पर होता है। यहां पानी की व्यवस्था नहीं है। बच्चों को इधर-उधर से पानी का जुगाड़ करना पड़ता है। छात्रों के अनुसार विभाग को कई बार पत्र लिख कर छात्रावास की समस्या दूर करने की मांग की गई मगर अब तक समाधान नहीं हुआ है।

खुद से तार जोड़कर जलाते हैं बल्ब

छात्रावास में सुरक्षा प्रहरी नहीं हैं। इससे छात्रों में भय व्याप्त रहता है। बिजली आपूर्ति के लिए लगाई गई वायरिंग खराब है। इन सब समस्याओं से निजात के लिए कई बार मांग की गई है। छात्र रात में खाना बनाने एवं पढ़ाई करने के लिए खुद तार जोड़ कर बल्ब जलाते हैं। जब बिजली चली जाती है तो ढिबरी की रोशनी में ही छात्रों को रहना पड़ता है। 

जर्जर है रसोई की छत, लकड़ी से बनाते हैं भोजन

छात्रावास में रसोईया की व्यवस्था नहीं है। यहां छात्रों को अपना भोजन खुद ही बनाना होता है। इन कार्यों में समय बीतने के कारण उनकी पढ़ाई बाधित होती है। रसोई घर की छत जर्जर है। बारिश हो जाने की स्थिति में छत से पानी टपकता है। खाना बनाने के लिए छात्र अपने घर से लकड़ी लेकर आते हैं। जलावन की लकड़ी खत्म होने पर आपस में चंदा कर कोयला का प्रबंध किया जाता है। इससे खाना बनाए जाने की व्यवस्था की जाती है।

शौचालय नहीं होने से खुले में शौच की मजबूरी

छात्रावास में रहने वाले छात्रों को आज के शौचालय क्रांति के युग में भी खुले में शौच करने जाना पड़ता है। छात्रावास का शौचालय बेकार हो गया है। वर्षों पूर्व बनी शौचालय की टंकी फुल हो चुकी है। दूर्गंध के कारण छात्र शौचालय की ओर देखना पसंद नहीं करत। नतीजा सुबह होने पर अंधरे में ही टॉर्च की रोशनी में हाथों में लोटा लिए खुले में शौच जाने के लिए विवश होना पड़ता है।

छात्रों ने जो बताया

छात्रावास में रहने वाले छात्र रोहित अगरिया, सुनील लोहरा, कुलदीप सिंह, शशिकांत उरांव, बंदेव उरांव, अरूण सिंह, विनय उरांव व सुमित कुजूर समेत अन्य छात्रों ने बताया कि छात्रावास की जो व्यवस्था है, वह हमारे गांव के घर से भी काफी खराब है। यहां मन दबाकर सिर्फ इसलिए रहना पड़ता है कि किसी तरह पढ़ाई पूरी हो जाए और हमलोग अपनी मंजिल प्राप्त कर लें। हमलोगों ने समस्या से निदान के लिए कई बार प्रशासनिक पदाधिकारियों से गुहार लगाई है, लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ भी नहीं मिल सका है।

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