नियुक्ति प्रक्रिया में बाधा, राज्य सरकार ने झारखंड उच्च न्यायालय को शपथपत्र देकर किया आश्वस्त

राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय को शपथपत्र देकर आश्वस्त किया है कि शीघ्र ही विधि विज्ञान प्रयोगशाला को और सशक्त बनाया जाएगा। इस दिशा में कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है और रिक्तियों के विरुद्ध नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जानी है।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 03:12 PM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 03:12 PM (IST)
नियुक्ति प्रक्रिया में बाधा, राज्य सरकार ने झारखंड उच्च न्यायालय को शपथपत्र देकर किया आश्वस्त
नियुक्ति प्रक्रिया में बाधा, राज्य सरकार ने झारखंड उच्च न्यायालय को शपथपत्र देकर किया आश्वस्त

रांची, ब्यूरो। राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय को शपथपत्र देकर आश्वस्त किया है कि शीघ्र ही विधि विज्ञान प्रयोगशाला को और सशक्त बनाया जाएगा। इस दिशा में कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है और रिक्तियों के विरुद्ध नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जानी है। लेकिन नियमावली अद्यतन नहीं होने के कारण इस प्रक्रिया में अड़ंगा लग गया है।

वैज्ञानिक सहायकों की नियुक्ति में हाल में सरकार के स्तर से किए गए बदलावों को शामिल करते हुए नियमावली तैयार की जानी है जिसके बाद बहाली की प्रक्रिया शुरू होगी। दरअसल, झारखंड में कई प्रकार की नौकरियों के लिए नियुक्ति नियमावली के कारण ही अड़ंगा लगता रहा है। अभी भी नियमावली तैयार नहीं होने के कारण कई विभागों में प्रक्रिया बाधित है। राज्य सरकार लगभग 150 प्रकार की नियमावली के आधार पर विभिन्न कार्यालयों में कर्मियों को बहाल करती है और वर्तमान में इनमें से 70 के करीब नियमावली को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।

राज्य सरकार ने कुछ दिनों पूर्व निचले स्तर पर वैसे लोगों की नियुक्ति करने का निर्णय लिया था जिन्हें कम से कम स्थानीय भाषा की जानकारी हो। इस निर्णय को अमलीजामा पहनाने के लिए तमाम विभागों को नियुक्ति नियमावली में संशोधन करना होगा। इसके पूर्व भी आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को 10 फीसद आरक्षण देने संबंधी प्रविधान को सभी नियमावलियों में समाहित नहीं किया जा सका है।

ऐसा नहीं होने पर नियुक्ति प्रक्रिया बाधित होती है। इसके पीछे मूल रूप से वे सरकारी अधिकारी दोषी हैं जो समय पर अपने काम को पूरा नहीं करते हैं। पूरे विभाग को कहीं दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग ने समय रहते ही सभी विभागों को आवश्यकता के अनुरूप नियमावली को संशोधित करते हुए अंतिम प्रारूप तैयार कर लेने का निर्देश दिया था।

इस आदेश को नजरअंदाज कर कई विभागों ने इस पर काम भी शुरू नहीं किया है और ऐसे में उन कर्मियों अथवा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जो सीधे तौर पर दोषी हों। ऐसा होने से अन्य अधिकारी भी सतर्कता बरतेंगे और नियुक्ति की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ेगी। बात केवल विधि प्रयोगशाला की नहीं है, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विभागों में बड़े पैमाने पर रिक्तियां हैं जिन्हें भरने का प्रयास किया जाएगा।

नियमावली अद्यतन न होने से नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित

राज्य में कई प्रकार की नौकरियों के लिए नियुक्ति नियमावली के कारण अड़ंगा लगता रहा है। लिहाजा नियमावली तैयार न होने के कारण कई विभागों में प्रक्रिया बाधित है। 

chat bot
आपका साथी