विश्व में उत्थान का गुणगान है भारत, हमारी आन है भारत..

जागरण संवाददाता, बोकारो : राष्ट्रीय कवि संगम, बोकारो महानगर इकाई की मासिक कवि गोष्ठी र

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Aug 2018 07:57 AM (IST) Updated:Mon, 13 Aug 2018 07:57 AM (IST)
विश्व में उत्थान का गुणगान है भारत, हमारी आन है भारत..
विश्व में उत्थान का गुणगान है भारत, हमारी आन है भारत..

जागरण संवाददाता, बोकारो : राष्ट्रीय कवि संगम, बोकारो महानगर इकाई की मासिक कवि गोष्ठी रविवार को साई मंदिर सेक्टर छह के सभागार में आयोजित की गई। अरुण पाठक ने देशभक्ति पर आधारित गोपाल दास नीरज का एक गीत प्रेम के पुजारी हम हैं रस के भिखारी. सुनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। काव्य गोष्ठी की शुरुआत डॉ. निरुपमा कुमारी ने समूचे विश्व में उत्थान का गुणगान है भारत, हमारी आन है भारत, हमारी शान है भारत.., अनंत महेन्द्र ने सांस थम जाये मेरी मुझे गम नहीं, फिर भले जिन्दगानी रहे न रहे.,तुषार कश्यप ने आदमी कितना शैतान हो गया, लड़ने को ¨हदू और मुसलमान हो गया.,ब्रजेश पांडेय ने त्याग धर्म व प्रेम मिलता कहां' शीर्षक कविता, कुमार केशवेन्द्र ने नागिन सी बलखाती या फिर यूं ही चलती जाती है., डॉ. रणजीत कुमार झा ने भ्रष्ट मिल सब एक भई, निक अकेला आज.., डॉ रंजना श्रीवास्तव ने लुप्त हो रही मानवता, इस जहर भरे परिवेश में, एक बार तुम जन्म लो बापू, फिर से अपने देश में.., विधान शर्मा ने दिलों की नफरत को निकालो, वतन के इन दुश्मनों को मारो.., भावना वर्मा ने शतदल के पंखुड़ियों जैसे सौ सपने खिल जाये तो क्या होगा तुम कहो संभल के.., उषा झा ने जनगण मन की भाषा क्यूं न ही समझ पाते हो, नरपिशाच बनने से बेहतर, पैदा होते ही क्यूं नहीं मर जाते हो., ज्योति वर्मा ने हर घर में रावण बैठा है, इतने रावण को मार सको वो राम कहां से लाओगे. एवं राम नारायण उपाध्याय ने दहेज प्रथा पर केंद्रित भोजपुरी कविता सुनाकर सबकी प्रशंसा पाई। मौके पर ममता कर्ण, पंकज, मयंक अग्रवाल, राकेश श्रीवास्तव, विनय कुमार श्रीवास्तव, प्रमोद पांडेय आदि उपस्थित थे।

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