संशो. कर्बला की जंग से पानी की अहमियत का गुमान
जयपुर से पधारे मौलाना मो. शब्बीर हुसैन ने फरमाया कि कर्बला की जंग से पानी की अहमियत का
जयपुर से पधारे मौलाना मो. शब्बीर हुसैन ने फरमाया कि कर्बला की जंग से पानी की अहमियत का गुमान होता है। उस जंग के दौरान बूढ़े, बच्चे, जवान व बीमार के साथ-साथ महिलाओं को भी बूंद-पानी के लिए तरसना पड़ा था। इसलिए लोग किसी भी हाल में पानी की बर्बादी न करें और बारिश की बूंदों को जमीन के अंदर सहेजने में योगदान दें। वे शनिवार की रात मुहर्रम के चहारुम के उपलक्ष्य में पेटरवार प्रखंड की खेतको पंचायत के ख्वाजानगर में आयोजित शोहदा-ए-कर्बला कांफ्रेंस में तकरीर कर रहे थे। उन्होंने फरमाया कि जालिम यजीद ने पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन को पूरे कुनबे के साथ दीक्षा लेने का बहाना कर धोखे से ईराक के कूफा बुलाया था। उक्त कुनबे में हजरत हुसैन समेत कुल 72 लोग थे, जिन्हें नेनवा नामक मैदान पहुंचते ही यजीद के लश्कर ने चारों तरफ से घेरकर पास बह रही फिरात नहर पर पहरा लगा दिया। फिरात नहर से पानी लेने जो भी हजरत हुसैन के रिश्तेदार गए, उन सबको यजीदियों ने शहीद कर दिया। आखिर में हजरत हुसैन ने भी अपनी शहादत पेश कर मजहब-ए-इस्लाम की आन, बान व शान की हिफाजत की। उसी वाकये की याद में हर साल मुहर्रम मनाया जाता है। जयपुर से ही पधारे मौलाना मो. वकारी ने कहा कि कूफा स्थित नेनवा मैदान में हजरत हुसैन एवं उनके कुनबे के लोगों पर यजीदी फौज के लोगों ने इस कदर जुल्म व कहर बरपाया था कि उस मैदान का नाम कर्बला यानी वह जगह जहां कर्ब-ओ-बला की हद कर दी गई थी, पड़ गया। कांफेंस की शुरूआत तिलावत-ए-कलाम पाक से की गई। मंच संचालन मौलाना मो. सफाअत ने किया। जयपुर के शायर लियाकत मेहंदी, पश्चिम बंगाल के चांद राशिद, बोकारो के रैहान रजा, तबारक अंजुम आदि ने एक से बढ़कर एक नात-ए-नबी पेश किया। कांफ्रेंस को सफल बनाने में मुखिया शब्बीर अंसारी, शहबान अंसारी, मो. हामिद, मो. अलाउद्दीन, मो. सज्जाद, हाफिज इलियास, मो. फारूक, मो. सगीर, मो. साजिद, मो. शाहिद, शमीम अख्तर, मो. नसीम आदि का योगदान रहा।