संस्कृत-संस्कृति से दूर हो रहे हम : मंत्री

बोकारो : संस्कृत हमारी देवभाषा है। कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत संस्कृत के श्लोक से होती है। संस्कृत ह

By Edited By: Publish:Mon, 20 Apr 2015 10:56 PM (IST) Updated:Tue, 21 Apr 2015 04:54 AM (IST)
संस्कृत-संस्कृति से दूर हो रहे हम : मंत्री

बोकारो : संस्कृत हमारी देवभाषा है। कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत संस्कृत के श्लोक से होती है। संस्कृत हमें अपनी संस्कृति से जोड़ती है। लेकिन आज हम संस्कृत व संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। इसलिए इसके विकास की दिशा में सकारात्मक प्रयास होना चाहिए। ये बातें मुख्य अतिथि राज्य की मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ.नीरा यादव ने बोकारो क्लब के सभागार में जनपद संस्कृत सम्मेलन में कहीं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि पूरे झारखंड में शिक्षा का अलख जगाना है। एलकेजी के बच्चे 13-14 पुस्तक और इतनी ही कापियों का बोझ ढोते हैं। बच्चों को आगे बढ़ाना है, लेकिन यह कैसे होगा इस पर विचार करना होगा।

अभिभावक अपने बच्चे के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं होते हैं। अगर उनके किसी दोस्त या रिश्तेदार के बच्चे को उनके बच्चे से अधिक अंक आ जाता है तो वे क्रोधित हो जाते हैं। आज नैतिकता के आधार पर शिक्षा को प्रेरित नहीं किया जाता है। आज गुरु-शिष्य का रिश्ता कमजोर पड़ गया है। बच्चों को नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है। शिक्षक बच्चों को विकास के रास्ते पर अग्रसर करें। पहले जो गुरु-शिष्य का रिश्ता था, उसे कायम करें। कुछ अपवाद के कारण यह रिश्ता कलंकित हो गया था उस अपवाद को दूर करें। इससे पूर्व सम्मानित अतिथि विधायक विरंची नारायण, बीएसएल के ईडी शीतांशु प्रसाद, संस्कृत भारती के श्रीश देव पुजारी व डीपीएस की निदेशक सह प्राचार्य डॉ.हेमलता एस मोहन ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। डॉ.एनके राय ने अतिथियों का स्वागत किया। विद्यालयों के विद्यार्थियों ने संस्कृत गान, नृत्य एवं नाटिका का मंचन किया।

संस्कृत हर भाषा की जननी

विधायक विरंची नारायण ने कहा कि संस्कृत भारत की हर भाषा की जननी है। यह ऋषि-महात्मा व विद्वानों की भाषा है। अधिशासी निदेशक शीतांशु प्रसाद ने कहा कि संस्कृत हमारे देश का ही नहीं कई देश की भाषाओं जननी है। इसको अपनाने की आवश्यकता है। डीपीएस की निदेशक सह प्राचार्य डॉ.हेमलता एस मोहन ने कहा कि संस्कृत भाषा में ज्ञान निहित है। नैतिकता को बाहर से लाने की जरूरत नहीं है। यह सुलभ है। क्योंकि संस्कारों में संस्कृत है। उन्होंने शिक्षा मंत्री से औपचारिक संस्कृत शिक्षा को सु²ढ़ बनाने की अपील की। श्रीश देव पुजारी ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में कक्षा तीन से 12 वीं तक संस्कृत शिक्षा उपलब्ध रहना चाहिए। क्योंकि किसी भारतीय भाषा को बोलना या लिखना हो तो इसकी शुद्धता संस्कृत पर निर्भर करती है। हिन्दी मिश्रित भाषा है। संस्कृत से ही सभ्यता आएगी। उर्दू-फारसी आने से कलिष्टता आएगी। कहा कि अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षक अंग्रेजी बोलते हैं। हिन्दी बोलने वाले हिन्दी बोलते हैं। लेकिन संस्कृत पढ़ाने वाले शिक्षक संस्कृत भाषा का प्रयोग नहीं करते हैं। आयुर्वेद की बीएएमएस उपाधि की प्रवेश परीक्षा के लिए ग्यारहवीं एवं बारहवीं में संस्कृत विषय पढ़ने की अर्हता होनी चाहिए। बीएड, एमएड, एलएलबी, एमबीबीएस, एबीएस आदि वृत्तिपरक पाठ्यक्रमों में प्राचीन वैज्ञानिक तथा दार्शनिक ¨चतन धारा का संन्निवेश होना चाहिए।

प्रत्युष व तनीषा रहे अव्वल

भाषण प्रतियोगिता में डीपीएस के प्रत्युष कुमार शांडिल्य पहले, इसी विद्यालय के आर्या वर्णवाल दूसरे, बीआइवी की श्रेया तीसरे एवं गीता श्लोक पाठ में क्रिसेंट पब्लिक स्कूल की तनीषा शर्मा पहले, जीजीपीएस चास के एस महतो दूसरे व डीपीएस के रचैरला अमला व अभिषेक कुमार मोहंती संयुक्त रुप से तीसरे स्थान पर रहे। समूह गान प्रतियोगिता में बोकारो पब्लिक स्कूल पहले स्थान पर रहा। अंत में विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.संतोष कुमार झा व धन्यवाद ज्ञापन डॉ.सत्यदेव तिवारी ने किया। मौके पर जगन्नाथ शाही,जीएम बी मुखोपाध्याय, राम भरोसे गिरि, कैप्टन आरसी यादव, अनिल गुप्ता, शिव कुमार ¨सह, डीके पांडेय, शरत मिश्र, बी झा, रामाधार झा, राजा राम शर्मा, एसके बरियार, रविशंकर मिश्रा, बीके पाठक, रवींद्र प्रसाद ¨सह आदि उपस्थित थे।

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