आठ माह में नेताओं पर आतंकी हमलों की जांच के आदेश

राज्य ब्यूरो श्रीनगर राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार को विगत आठ माह के दौरान विभिन्न राजनी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 May 2019 04:35 AM (IST) Updated:Fri, 10 May 2019 06:36 AM (IST)
आठ माह में नेताओं पर आतंकी हमलों की जांच के आदेश
आठ माह में नेताओं पर आतंकी हमलों की जांच के आदेश

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार को विगत आठ माह के दौरान विभिन्न राजनीतिक नेताओं पर हुए आतंकी हमलों की जांच के आदेश दिए। इसके साथ ही उन्होंने राज्य में एक सुरक्षित राजनीतिक व प्रशासनिक माहौल बनाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों की एक बैठक बुलाने का भी फैसला किया है। राजनीतिक नेताओं पर हुए हमले की जांच का जिम्मा एडीजीपी सिक्योरिटी मुनीर अहमद खान को सौंपा गया है। वह सभी संबंधित पहलुओं का जिक्र करते हुए सुरक्षा व्यवस्था में सुधार संबंधी सिफारिशों के साथ समग्र रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर देंगे।

संबंधित अधिकारियों ने बताया कि राजभवन में बुधवार को हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य के आतंरिक और बाहरी सुरक्षा परिदृश्य का समग्र जायजा लिया। उन्होंने चुनावों के मद्देनजर किए गए सुरक्षा प्रबंधों, पहली जुलाई से शुरू होने जा रही श्री अमरनाथ यात्रा और राजनीतिक नेताओं व कार्यकर्ताओं की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर अधिकारियों से फीडबैक लिया। बैठक में राज्यपाल के सलाहकार के विजय कुमार, राज्य के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम, राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह, राज्यपाल के प्रमुख सचिव उमंग नरूला, प्रधान सचिव गृह विभाग शालीन काबरा, एडीजीपी सिक्योरिटी मुनीर अहमद खान और आइजीपी कश्मीर एसपी पाणि ने भी भाग लिया।

राज्यपाल ने बीते कुछ महीनों के दौरान राज्य में हुई विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की हत्याओं पर रोष व चिता जताते हुए संरक्षित व्यक्तियों की सुरक्षा को यकीनी बनाने पर जोर दिया। उन्होंने सभी सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया कि वह जमीनी स्तर पर काम करने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं की तर्कसंगत चिताओं पर ध्यान दें और उन्हें दूर करें।

संबंधित अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल के निर्देश पर मौके पर ही राज्य गृह विभाग ने एक आदेश जारी कर एडीजीपी सिक्योरिटी को अक्टूबर 2018 से राज्य में हुई विभिन्न राजनीतिक हत्याओं की जांच करने व सुरक्षित वातावरण प्रदान करने संबंधित सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया। बैठक में पंच-सरंपचों, स्थानीय निकायों के कौंसिलरों व कॉरपोरेटरों की सुरक्षा पर भी विचार विमर्श के बाद तय किया गया कि अगर इनमें से किसी को सुरक्षित आवासीय सुविधा चाहिए तो उन्हें राज्य या जिला स्तर पर एक सुरक्षित आवासीय सुविधा दी जाएगी। संबंधित मंडलायुक्त और आइजीपी संबंधित पंच-सरपंचों के साथ संपर्क कर इस दिशा में तत्काल कार्रवाई करेंगे।

राज्यपाल ने कहा कि राजनीतिक दलों व अन्य संगठनों के नेताओं को अपने सुरक्षा संबधी मामलों को सुरक्षा मुख्यालय जम्मू कश्मीर पुलिस के नोटिस में लाना चाहिए और उन्हें सुरक्षा चक्र प्रदान करने या न करने संबधी किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले खुफिया एजेंसियों को आतंकी खतरे का पूरा आकलन करना चाहिए, ताकि किसी भी तरह की चूक की गुंजायश न रहे। यह है मामला :

आतंकियों ने गत शनिवार को अनंतनाग में भाजपा के जिला उपप्रधान गुल मोहम्मद मीर की हत्या कर दी थी। इसके विरोध में भाजपा ने जोरदार प्रदर्शन किया और राज्य प्रशासन के सियासी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने के फैसले को गलत ठहराया। विरोध स्वरूप भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री अशोक कौल ने सीधे-सीधे राज्य प्रशासन को जिम्मेदारी ठहराते हुए अपनी सुरक्षा भी लौटा दी। इससे पूर्व पीडीपी और नेकां भी नेताओं की सुरक्षा वापसी का विरोध करती रही हैं।

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