राममाधव ने ब्लैक टॉप ऑपरेशन में शहीद हुए नइमा तेनजिन को लेह पहुंचकर दी अंतिम विदाई

Naima Tenzin एसएफएफ के कमांडो नइमा तेनजिन के अंतिम संस्कार में सैन्य अधिकारियों व तिब्बती समुदाय के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव भी शामिल हुए।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 07 Sep 2020 08:05 PM (IST) Updated:Mon, 07 Sep 2020 08:05 PM (IST)
राममाधव ने ब्लैक टॉप ऑपरेशन में शहीद हुए नइमा तेनजिन को लेह पहुंचकर दी अंतिम विदाई
राममाधव ने ब्लैक टॉप ऑपरेशन में शहीद हुए नइमा तेनजिन को लेह पहुंचकर दी अंतिम विदाई

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। Naima Tenzin: पूर्वी लद्दाख में ऑपरेशन ब्लैक टॉप के दौरान शहीद हुए स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) के कमांडो नइमा तेनजिन के सोमवार को अंतिम संस्कार में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों व तिब्बती समुदाय के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव भी शामिल हुए। करीब 58 साल पुरानी भारत में रहने वाले निवार्सित तिब्बतियों की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स को भारतीय सेना ने पहली बार सार्वजनिक किया है। इसे चीन के प्रति भारत की नीति में आए आक्रामक बदलाव का नतीजा बताया जाता है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राममाधव ने शहीद तेनजिन के अंतिम संस्कार में भाग लेने के बाद अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ऐसे बहादुर सिपाहियों के बलिदान से ही भारत-तिब्बत सीमा पर शांति बहाल होगी।

यही सभी शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। हालांकि बाद में राममाधव ने अपने ट्वीट को हटा दिया, लेकिन उनकी मौजूदगी ने चीन और तिब्बत के मुद्दे पर भारत की बदलती आक्रामक नीतियों की पुष्टि कर दी है। राम माधव की मौजूदगी से इस बात की पुष्टि होती है कि पूर्वी लद्दाख में चीन के खिलाफ स्पेशल फ्रंटियर फोर्स जो दलाई लामा, तिब्बती झंडे और भारत के राष्ट्रीय ध्वज के प्रति आस्थावान है, भी पूरी तरह सक्रिय है। इसके अलावा भारत ने चीन को संकेत दिया है कि वह कश्मीर मुद्दे पर अनावश्यक हस्तक्षेप करने और पाकिस्तान का समर्थन करने से परहेज करे, अन्यथा तिब्बत के मुद्दे पर भारत भी चीन का उसी की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार है।

ब्लैक टॉप पर कब्जे के दौरान शहीद हुए थे तेनजिन 

स्पेशल फोर्स के कंपनी कमांडर नइमा तेनजिन गत सप्ताह ऑपरेशन ब्लैक टॉप में शामिल थे। पैंगौंग झील के दक्षिण में स्थित ब्लैक टॉप पहाड़ी पर कब्जा करने के दौरान वह अपने साथियों संग चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रख रहे थे, उसी दौरान एक बारूदी सुरंग की चपेट में आकर वह शहीद हो गए थे। उनका पार्थिव शरीर बीते सप्ताह ही पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके परिजनों को सौंपा गया था। तिब्बती और बौद्ध मान्यताओं के मुताबिक, सभी अनुष्ठान पूरा करने के बाद सोमवार को शहीद तेनजिन का अंतिम संस्कार किया गया।

लेह के बाहरी क्षेत्र चौगलमसर में स्थित तिब्बती कॉलोनी में तेनजिन का परिवार रहता है। शहीद का अंतिम संस्कार सुबह किया गया। इस मौके पर सेना के वरिष्ठ अधिकारियों, लेह प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, तिब्बती समुदाय के गणमान्य नागरिक और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राममाधव शामिल हुए। शहीद को एसएफएफ के जवानों ने अंतिम सलामी दी। राम माधव ने शहीद को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र भेंट किए। भारत माता की जय, तिब्बत देश की जय और विकास रेजिमेंट के जयघोष के बीच शहीद का अंतिम संस्कार संपन्न हुआ।

जानें, क्या है स्पेशल फ्रंटियर फोर्स 

58 साल पुरानी स्पेशल फ्रंटियर फोर्स भारतीय सेना के उन विशिष्ट कमांडो दस्तों में एक है, जिन्हें सार्वजनिक गतिविधियों से पूरी तरह दूर रखा जाता है। सेना में भी हर कोई इसके बारे में नहीं जानता और जो जानता है वह इसे टूटू फोर्से के नाम से जानता है। स्पेशल फ्रंटियर फोर्स में शुरुआत में मुख्य तौर पर भारत में रहने वाले निर्वासित तिब्बतियों को ही शामिल किया जाता रहा है, लेकिन बाद में इसमें लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के नागरिकों को भी भर्ती किया जाने लगा। स्पेशल फ्रंटियर फोर्स उच्च पर्वतीय इलाकों में युद्धक गतिविधियों में विशेषता रखती है। सात वाहिनियों पर आधारित स्पेशल फ्रंटियर फोर्स में करीब 3500 जवान व अधिकारी हैं। 

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