उमर और फारूक ने सियासी गतिविधियां तेज कीं

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए बनते माहौल के बीच नेशनल कांफ्रेंस

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jan 2019 01:52 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jan 2019 01:52 AM (IST)
उमर और फारूक ने सियासी गतिविधियां तेज कीं
उमर और फारूक ने सियासी गतिविधियां तेज कीं

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए बनते माहौल के बीच नेशनल कांफ्रेंस ने अपनी गतिविधियों में तेजी लाई है। पार्टी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जहां गंडीपोरा बीरवाह में जनसभा को संबोधित किया तो उनके पिता व पार्टी प्रधान डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने बटमालू में कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित किया। उमर ने कहा कि अन्य दलों ने जब भी रियासत में सत्ता संभाली उन्होंने राज्य की विशिष्ट पहचान और स्वायत्तता को ही नुक्सान पहुंचाया है। वर्ष 1953 से 1974 तक राज्य के संविधान में 37 संशोधन हुए। इस दौरान नेशनल कांफ्रेंस सत्ता से बाहर रही। यही स्थिति वर्ष 2002 से 2008 और उसके बाद वर्ष 2015 स 2018 में भाजपा-पीडीपी सरकार के सत्तासीन रहने तक थी। रियासत में 90 के दशक में राष्ट्रपति शासन के समय भी यही कुछ हुआ। आज जम्मू कश्मीर का अवाम समझ चुका है कि नेशनल कांफ्रेंस ही उसकी संरक्षक है। रियासत को बचाने के लिए हमें एकजुट होकर आगामी चुनावों में नेकां की जीत को यकीनी बनाते हुए कश्मीरी दुश्मन ताकतों को नाकाम करना है। श्रीनगर के बटमालू में डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि इस समय जम्मू कश्मीर एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है। हमारे लिए आगे कुआं और पीछे खाई जैसी स्थिति पैदा हो गई। लोगों को बहुत ही समझदारी के साथ अपने मुस्तकिबल की हिफाजत के लिए आगामी चुनावों में वोट डालना है। हमें एकजुट रहते हुए सांस्कृतिक व संवैधानिक पहचान को बनाए रखना है। लोकतंत्र का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। लेाकतंत्र में एक-एक ¨जदगी मायने रखती है। यहां लोग अमन और तरक्की चाहते हैं। मुझे पूरा यकीन है कि इस बार चुनावों में हमें ही सरकार बनाने का मौकामिलेगा और उमर के नेतृत्व में इस रियासत का और इसके लोगों का मुस्तकबिल सुरक्षित रहेगा, यह रियासत तरक्की और अमन के रास्ते पर आगे बढ़ेगी। लेकिन इसके लिए सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को मेहनत करनी होगी।

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