जम्मू-कश्मीर के लिए आवंटित 18527 करोड़ रुपये का मात्र 10 प्रतिशत ही अभी तक हुआ जारी

Jammu Kashmir Budget मनरेगा जैसी योजनाओं में जहां उपयोगिता प्रमाणपत्र कोई मुददा नहीं है क्योंकि ऐसी परियोजनाओं में पैसा सीधे लाभार्थियों के खाते में जाता है। इसके बावजूद इस परियोजना के लिए भी निधि जारी करने में देरी हो रही है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 13 Nov 2021 11:14 AM (IST) Updated:Sat, 13 Nov 2021 11:14 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर के लिए आवंटित 18527 करोड़ रुपये का मात्र 10 प्रतिशत ही अभी तक हुआ जारी
धन की कमी के कारण कई परियोजनाओं अधर में लटकी हुई हैं।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश सरकार को मौजूदा वित्त वर्ष के पहले सात माह के दौरान केंद्र प्रायोजित याेजनाओं के लिए आवंटित धनराशि का 10 प्रतिशत से भी कम मिला है। इससे विभिन्न विकास योजनाओं का काम प्रभावित हो रहा है। केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 के लिए केंद्रीय योजनाओं की मद में जम्मू-कश्मीर के लिए 1857 करोड़ रूपये की राशि आवंटित की है, लेकिन अक्टूबर के अंत तक सिर्फ 1809 करोड़ रूपये ही मिले हैं।

संबधित अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश मेें जल शक्ति , आपदा प्रबंधन, राहत ,पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण, ऊर्जा विकास, नागरिक उड्डयन, सूचना प्रौद्योगिकी से संबधित विभिन्न केंद्रीय योजनाओं को कार्यान्वित कर रहे 25 विभागों को अक्टूबर के अंत तक कोई धनराशि नहीं मिली थी। उन्होंने बताया कि केंद्र से निधि न मिलने का एक बड़ा कारण अप्रैल-मई के दौरान कोविड-19 की दूसरी लहर से उपजे हालात भी हैं। कोरोना के कारण कई विभाग मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में काम नहीं कर सके हैं। इसके अलावा कई विभागों ने उपयोगिता प्रमाणपत्र भी जमा नहीं कराया है।

केंद्र प्रायोजित योजनाओं में कार्यान्वयन के मद में तभी पैसा मिलता है जब संबधित काम की गति बनाते हुए उसके लिए आबंटित राशि का उपायोगिता प्रमाणपत्र समय पर सौंपा जाए। इसके अलावा कुछ विभागों के मामले में निधि पिछले खर्च के लेखा परीक्षण के आधार पर जारी की जाती है। मनरेगा जैसी योजनाओं में जहां उपयोगिता प्रमाणपत्र कोई मुददा नहीं है, क्योंकि ऐसी परियोजनाओं में पैसा सीधे लाभार्थियों के खाते में जाता है। इसके बावजूद इस परियोजना के लिए भी निधि जारी करने में देरी हो रही है।

वित्त विभाग के अनुसार, वर्ष 2021-22 के बजटीय अनुमानों के मुताबिक जल शक्ति विभाग का परिव्यय अन्य विभागों से ज्यादा है। उसका परिव्यय 5477 करोड़ है। केंद्र द्वारा 2747.17 करोड़ के आबंटन के वाबजूद प्रदेश सरकार केंद्र सरकार से संबधित निधि को प्राप्त नहीं कर पायी है। इसके अलावा 107 करोड़ रूपये की बकाया राशि है जो खर्च नहीं हुई है। इसका भी इस्तेमाल निविदाओं के विखंडन पर प्रतिबंधों के कारण नहीं हो पाया है।

उन्होंने बताया कि स्थानीय ठेकेदार संबधित कार्याें के लिए पूरी तरह सक्षम नहीं है जबकि बाहरी ठेकेदार जम्मू कश्मीर में काम करने के लिए हिचकते हैं। इसके अलावा इ, स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा, स्कूल शिक्षा, समाज कल्याण विभाग और लोक निर्माण विभागों को परिव्यय अनुमान एक हजार करोड़ रूपये से अधिक है और इन विभागों को अक्टूबर के अंत तक क्रमश: 9.4 प्रतिशत, 18.6 प्रतिशत, 21 प्रतिशत और 27.4 प्रतिशत राशि प्राप्त हुई थी।

जम्मू कश्मीर राज्य में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में केबिनेट मंत्री रहे एक वरिष्ठ नेता ने अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि हम पहले से ही कह रहे हैं कि यहां विकास योजनाओं को लेकर सिर्फ शोर मचाया जा रहा है, हकीकत अलग है। धन की कमी के कारण कई परियोजनाओं अधर में लटकी हुई हैं।

जम्मू कश्मीर योजना एवं निगरानी औार वित्त विभाग से जुढ़े अधिकारियों ने बताया कि यह सही है कि केंद्रीय योजनाओं पर खर्च के मामले में मौजूदा वित्त वर्ष में अब तक जम्मू कश्मीर का प्रदर्शन खराब रहा है, क्योंकि पिछले वर्षाें की तुलना में मौजूदा वित्त वर्ष में हमारा ध्यान परियोजनाओं को पूरा करने पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि अभी भी पांच माह शेष हैं। हम काम की गति बढ़ा रहे हैं और बजटीय आवंटन के मुताबिक, संबधित परियोजनाओं पर धनराशि खर्च करते हुए उन्हें पूरा कर लिया जाएगा। इस संदर्भ में सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं। केंद्र सरकार के साथ प्रदेश सरकार इस संदर्भ में लगातार संवाद कर रही है।

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