मूसा है कश्मीर में आतंकवाद का नया चेहरा

सरगना जाकिर मूसा पूरी तरह से आतंकवाद का नया चेहरा और पोस्टर ब्वाय बन चुका है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Tue, 07 Nov 2017 04:26 PM (IST) Updated:Tue, 07 Nov 2017 04:26 PM (IST)
मूसा है कश्मीर में आतंकवाद का नया चेहरा
मूसा है कश्मीर में आतंकवाद का नया चेहरा

श्रीनगर, [नवीन नवाज] । कश्मीर में अल-कायदा के संगठन अंसार गजवा उल हिंद ने बेशक अभी तक जमीन पर कोई बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम नहीं दिया है और वह फिलहाल सोशल मीडिया पर ही ज्यादा सक्रिय है। लेकिन उसका सरगना जाकिर मूसा पूरी तरह से आतंकवाद का नया चेहरा और पोस्टर ब्वाय बन चुका है। 

गौरतलब है कि  दक्षिण कश्मीर में जिला पुलवामा के अंतर्गत नूरपोरा त्राल का रहने वाला जाकिर अहमद बट उर्फ मूसा कश्मीर में वर्ष 2012 के बाद तैयार हुई स्थानीय आतंकियों की पौध का हिस्सा है। वह गत वर्ष मारे गए हिज्ब के पोस्टर ब्वाय बुरहान वानी के करीबियों में एक गिना जाता है। वह वर्ष 2013 में हिजबुल मुजाहिदीन का हिस्सा बना था। 

गत वर्ष आठ जुलाई को दक्षिण कश्मीर के बोमडूरा कोकरनाग में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में हिज्ब के पोस्टर ब्वाय बुरहान वानी की मौत के बाद से ही विभिन्न आतंकी संगठन एक ऐसे चेहरे की तलाश में थे,जो पोस्टर ब्वाय बन, उनके एजेंडे को आगे बढ़ा सके। इसके लिए उनके पास जाकिर मूसा, हमाद, सब्जार, बशीर लश्करी के अलावा लश्कर कमांडर अबु दुजाना थे। 

मूसा को आतंकी संगठनों ने आगे बढ़ाना भी शुरु कर दिया। लेकिन उसने गत वर्ष अक्तूबर में जब कश्मीरी पंडितों को घर वापसी की दावत देते हुए अपना वीडियो जारी किया था तो उसी समय कश्मीर में ही नहीं सरहद पार बैठे आतंकयें को लग गया था कि यह रिमोट से नहीं चलेगा। इसके बाद उसने दिसंबर माह में दूसरा वीडियो जारी किया था। 

उसके तेवरों को देखते हुए आतंकी सरगनाओं ने सब्जार,रियाज नायकू,हमाद, बशीर लश्करी व  दुजाना को लेकर अपने तंत्र का इस्तेमाल किया। लेकिन कोई भी अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाया। सब्जार,बशीर लश्करी, दुजाना सभी इस साल अगस्त माह तक मारे गए। लेकिन तब तक मूसा खुलेआम हिजब, हुर्रियत,लश्कर और पाकिस्तान को चुनौती देते हुए अपना कद बढ़ाने के साथ साथ कश्मीर में अंसार गजवा उल हिंद की नींव रख चुका था। 

कश्मीर में सक्रिय विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर आतंकवाद विशेषज्ञ भी  उसकी बड़ती पैठ और असर से हैरान हैं। किसी को उम्मीद नहीं थी कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़कर आतंकवाद की राह चुनने वाला यह लड़का कश्मीर में कश्मीर में आतंकवाद का नया इतिहास शुरु करने में समर्थ होगा। 

अनंतनाग के एसएसपी अल्ताफ खान जो बीते 17 सालों से कश्मीर में जारी आतंकरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं,के मुताबिक जाकिर मूसा को बुरहान का रैपलिका नहीं कहा जा सकता। वह उससे आगे जा चुका है। जिस तरह से उसने सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया है या फिर उसने अल-कायदा के साथ नाता जोडऩे की बात की है,उससे आतंकी संगठन भी हिले हुए हैं। अन्य आतंकी संगठन इस समय उसके मुकाबले में अपने किसी कमांडर को प्रचार भी नहीं दे पा रहे हैं। 

कश्मीर में तैनात एक खुफिया अधिकारी के मुताबिक,जाकिर मूसा जिसे सभी शुरु में  नजर अंदाज कर रहे थे, अब बहुत बड़ा खतरा बन चुका है। लश्कर और हिज्ब के कई आतंकी उसके साथ जा चुके हैं। जैश ए मोहम्मद ने भी उसके समर्थन का संकेत दियाहै।  त्राल में हिज्ब के डीविजनल कमांडर रियाज नायकू उर्फ जुबैर इस्लाम और लश्कर के एक कमांडर ने गत दिनों अलग अलग वीडियो जारी कर जिस तरह से मूसा के प्रति नरम रवैया अपनाया है, उससे उसके असर का ेसमझा जा सकता है। बेशक उसने अभी तक कोई बड़ी वारदात अंजाम नहीं दी है,लेकिन बीते छह माह के दौरान 40 से ज्यादा ऐसे स्थानीय लड़को को चिन्हित किया गया है जिन्होंने जाकिर मूसा से प्रभावित होकर ही आतंकवाद का रासता चुना है। 

कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ और पत्रकार मुख्तार बाबा ने कहा कि अगर यह कहा जाए कि बुरहान ने मंद पड़ चुकी मिलीटेेंसी को हवा दी है तो मूसा ने उसका पूरा रंग रुप बदल दिया है। कश्मीर में लोग किसी न किसी रुप में हिज्ब, लश्कर ,हुर्रियत और पाकिस्तान से नाराज हैं, मूसा ने उनको ललकारा है,इससे भी नौजवानों उसका आधार बड़ा है। इसके अलावा उसने खिलाफत और शरिया की बात सीधे शब्दों में की है, जो आतंकी संगठन करने से बचते रहे हैं। कहीं न कहीं कश्मीर में जो मिलटेंसी है,उसकी बुनियाद में इस्लाम और खिलाफत की बात है और यही सच है। 

उन्होंने कहा कि अगर जाकिर मूसा के असर का अंदाजा इसी बात से आप लगा सकते हैं कि कश्मीर एयरपोर्ट पर भी उसके हक में नारे लगे हैं। कश्मीर में जहां भी हिंदोस्तान के खिलाफ नारा लगता है,वहां जाकिर मूसा गंूजता है। कश्मीर की मिलिटेंसी के फ्रंट पर जब से वह उभरा है, कश्मीर में कई आतंंकियों के जनाजे पर पाकिस्तान या हिज्ब के झंडे नहीं बल्कि तौहीद के झंडे नजर आए हैं। 

कश्मीर में तैनात सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि इस साल अब तक वादी में सुरक्षाबलों के भी 73 लोग शहीद हुए हैं। हम 180 से ज्यादा आतंकियों को मार गिरा चुके हैं,जिनमें दो दर्जन से ज्यादा नामी कमांडर हैं। लेकिन आतंकी संगठनों में स्थानीय युवकों की भर्ती नहीं रुक रही है और इसका मुख्य कारण जाकिर मूसा ही है,क्योंकि उसने यहां कश्मीर की आजादी के बजाय आईएसआईएस और अल कायदा की विचारधारा से प्रभावित आतंकियों के लिए  लिए रास्ता  तैयार किया है। 

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