Water Save:पशु-पक्षियों की प्यास न देखी गई तो उठाया जल संरक्षण का बीड़ा

एक दिन लगभग सूख चुके तालाब के पेंदी में बचने पानी से प्यास बुझाने आए मवेशियों की पीड़ा न देखी गई तो जल संरक्षण की ठानी। कदम बढ़ाया तो और भी जुड़ते गए।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Sat, 04 Jan 2020 09:32 AM (IST) Updated:Sat, 04 Jan 2020 09:32 AM (IST)
Water Save:पशु-पक्षियों की प्यास न देखी गई तो उठाया जल संरक्षण का बीड़ा
Water Save:पशु-पक्षियों की प्यास न देखी गई तो उठाया जल संरक्षण का बीड़ा

जम्मू, विकास अबरोल। सांबा जिला के बडोढ़ी गांव निवासी बलकार सिंह पहले ठेकेदारी करते थे। एक दिन लगभग सूख चुके तालाब के पेंदी में बचने पानी से प्यास बुझाने आए मवेशियों की पीड़ा न देखी गई तो जल संरक्षण की ठानी। कदम बढ़ाया तो और भी जुड़ते गए। अब तो जल संरक्षण पर कई कविताएं और कहानी भी लिख चुके हैं। पिछले 18 वर्ष से जल संरक्षण का संदेश देने वाले बलकार सिंह को उनके साथी संदेश तखल्लुस नाम से पुकारते हैं। और यह तखल्लुस बलकार को इतना प्यारा लगा कि उन्होंने इसको अब अपने नाम के साथ ही जोड़ लिया है।

18 वर्ष से जल संरक्षण का संदेश

18 साल पहले वह जम्मू-कश्मीर पर्यावरण संस्था के साथ जुड़े। इसके बाद नाबार्ड की ओर से वर्ष 2001 में पर्यावरण पर छह माह की ट्रेनिंग देहरादून स्थित पीपुल्स स्कूल ऑफ इंस्टीट्यूट में ली। खत्म हो रहे तालाबों के संरक्षण के लिए इंडियन वॉटरशेड मैनेजमेंट प्रोग्राम के तहत तीन वर्षीय योजना का लाभ उठाने के लिए संपर्क किया।

कभी-कभी तो संबंधित विभाग द्वारा तालाबों के संरक्षण में सहयोग मिल जाता लेकिन जब कोई इसके लिए आगे नहीं आता तो वह स्वयं अपनी जेब से खर्च कर तालाबों के संरक्षण में उतर आते। उनके अथक प्रयास से ही अब तक 13 तालाबों का संरक्षण हो चुका है। इनमें बडोढ़ी में तीन तालाब, बड़ी खड्ड में चार तालाब, बरजानी, सुचैनी और पटियारी काटला में तालाबों को बचाया जा चुका है। धीरे-धीरे उनके साथ उनके गांव बडोढ़ी के ही राजीव सिंह जसरोटिया, राजीव कुमार, पवनदेव सिंह, दर्शन सिंह और स्मैलपुर के राजू जुड़ गए। उनके जल संरक्षण का मोह देख उनकी धर्मपत्नी अनु जम्वाल, बड़ी बेटी आकांक्षा जम्वाल और छोटा बेटा आशीष भी काफी सहयोग करते हैं।

गर्मी में तीन तालाबों के संरक्षण का प्रण

गर्मियां आने से पहले तीन तालाबों का संरक्षण करने का प्रण लिया है। घग्वाल, बरजानी और पटियारी के भीतरी इलाकों में स्थित पुराने तालाबों का जलस्तर काफी कम हो गया है। इन तालाबों के आसपास सबसे पहले पिचिंग (पत्थरों को बैठाना) की जाएगी। अक्सर जब मवेशी तालाब में पानी पीने उतरते हैं तो तालाब के आसपास के पत्थर भीतर गिर जाते हैं। इससे तालाब को नुकसान पहुंचता है। अब तक संरक्षित किए गए 13 तालाबों में से अधिकतर की पिचिंग की गई ताकि इन तालाबों को लंबे अर्से तक बचाया जा सके।

जल संरक्षण करते-करते बने कवि

जल संरक्षण के साथ बलकार सिंह ने इस विषय पर कविताएं और कहानियां लिखनी भी शुरू कर दी। जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी की त्रैमासिक पत्रिका शिराजा में भी उनकी कविताएं, कहानियां और लेख बलकार सिंह संदेश के नाम से प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी प्रसिद्ध कहानी तालाबों की रूपाणी तो जल संरक्षण का संदेश देती है..

तालाब मजहब का नहीं, जो चाहे धर्म अपना ले।

जो भी आए इसकी शरण, उसे यह अपना बना ले।

पास इसके पक्षियों का डेरा, झूम-झूम के नाचे गाएं।

दे संदेश यह एक-दूसरे को, मिलकर यह रौनक लाएं।

तालाबों का काम कितना, वृक्षों को नमी दे जितना।

खुश जानवर भी होते हैं, पास रहें तालाबों के जितना।

पानी की बर्बादी रोकने के लिए पानी के मीटर लगाने की कवायद 

जम्मू-कश्मीर में पानी की बर्बादी रोकने के लिए पानी के मीटर लगाने की कवायद पूरी कर ली गई है। पहले चरण में जम्मू और श्रीनगर शहरों में 30 लाख घरों में पानी के मीटर लगाए जाएंगे। इनका किराया 6 महीने के अंतराल में चुकता करना होगा। योजना के फलीभूत होने के बाद उपभोक्ताओं को हर तीन महीने में किराये का भुगतान करना होगा। बिलों के भुगतान के लिए जेके बैंक से पेयजल विभाग ने कांट्रेक्ट किया है। अप्रैल से कंप्यूटर बिलिंग सुविधा मिलेगी।

चिनाब वाटर परियोजना शुरू होने की उम्मीद:

जम्मू के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की प्यास बुझाने के लिए इस वर्ष चिनाब जल परियोजना शुरू होने की उम्मीद है। नव वर्ष में दरिया चिनाब के पानी को साफ कर उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप लाइनों से पहुंचाया जाएगा। यह परियोजना काफी समय से अधर में है। इस परियोजना पर करोड़ों रुपयों की लागत आएगी। इस परियोजना के सुचारू होने से सैकड़ों गैलन पानी ग्रामीण क्षेत्रों के कंडी इलाकों में पहुंचाया जाएगा जहां गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत बनी रहती है। इन ग्रामीण क्षेत्रों में सांबा, अखनूर, ज्यौड़ियां, बिश्नाह, आरएसपुरा, रामगढ़, घगवाल आदि शामिल हैं।

यह परियोजनाएं पूरी:

जम्मू एवं कश्मीर आर्थिक पुनर्निर्माण एजेंसी ने 170 वित्त पोषित बुनियादी ढांचा परियोजनाएं पूरी कर ली हैं। परियोजनाओं को क्रियान्वित 53 भंडारण जलाशयों का निर्माण का काम नव वर्ष में भी जारी रहेगा। इस परियोजना के तहत जलाशयों का जीर्णोंद्धार किया जाएगा। जम्मू में 38 नलकूपों का पुनर्विकास, श्रीनगर में 5 जल उपचार संयंत्रों के पुनर्विकास का काम शुरू होगा।

देविका नदी के संरक्षण के लिए 30 करोड़ जारी :

गंगा की बड़ी बहन मानी जाने वाली राज्य की देविका नदी के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय ने तीस करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी कर दी है। देविका को साफ-सुथरका बनाने के लिए 30 महीने की समय सीमा तय की गई है। ऐसे में 31 मार्च 2021 तक यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा। केंद्र व राज्य सरकार इस प्रोजेक्ट की पूरी निगरानी करेगी। 

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