फारूक चुनाव नहीं लड़ते तो इख्वानी कमांडर कूका पार्रे होते जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री

कूका पार्रे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए उस समय दिल्ली तैयार बैठी थी। यहां यह बताना असंंगतनहीं होगा कि कूका पार्रे का असली नाम मोहम्मद युसुफ पार्रे था।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 15 Jan 2019 06:39 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jan 2019 06:39 PM (IST)
फारूक चुनाव नहीं लड़ते तो इख्वानी कमांडर कूका पार्रे होते जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री
फारूक चुनाव नहीं लड़ते तो इख्वानी कमांडर कूका पार्रे होते जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक को रियासत की सियासत में हस्ताक्षेप न करने की सलाह देते हुए कहा कि अगर 1996 में नेकां चुनाव में नहीं उतरती तो कूका पार्रे जैसा इख्वान कमांडर जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनता। ऐसी स्थिति में रियासत के हालात क्या होते, यह समझा जा सकता है।

आज दक्षिण कश्मीर के चवलगाम,कुलगाम में आयोजित एक रैली में भाग लेने के बाद एक पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इस बात को साबित तो नहीं कर सकता, लेकिन मेरा और डा. फारुक साहब का पूरे यकीन के साथ मानना है कि अगर 1996 में नेशनल कांफ्रेंस चुनाव नहीं लड़ती तो आतंकी से इख्वानी कमांडर बने कूका पार्रे ही मुख्यमंत्री बनता। एक इख्वानी के मुख्यमंत्री बनने पर रियासत में क्या हालात होते, कितने मासूम मारे जाते। कोई इस तथ्य को स्वीकारे या अस्वीकारे, मगर सच यही है। कूका पार्रे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए उस समय दिल्ली तैयार बैठी थी। यहां यह बताना असंंगत नहीं होगा कि कूका पार्रे का असली नाम मोहम्मद युसुफ पार्रे था।

वह उत्तरी कश्मीर के हाजिन बांडीपोरा का रहने वाला था और 1990 की शुरुआत में वह हिज्ब का आतंकीथा। लेकिन आतंकवाद से मोहभंग होने के बाद उसने आतंकियों के खिलाफबंदूक उठाते हुए इख्वान नामक एक संगठन बनाया था। इस संगठन ने भारतीय सुरक्षाबलों के साथ मिलकर आतंकवाद को कुचलने मेंअहम भूमिका निभाई और बाद उसने अवामी लीग नामक सियासी संगठन बनाया था। अवामी लीग के टिकट पर वह चुनाव जीत 1996 में विधायक बना था। वह 13 सितंबर 2003 को आतंकियों द्वारा किए गए बारुदी सुरंग विस्फोट में मारे गए थे।

गत दिनों नौकरी से इस्तीफा देने वाले आईएएस टॉपर शाह फैसल के नेकां में शामिल होने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किस सियासी जमात में जाना है और किसमें नहीं,यह तो शाह फैसल को ही तय करना है। शाह फैसल ने कहा कि उसने कश्मीर के लोगों के लिए नौकरी छोड़ी है, इसलिए अब उसे ही तय करना हैकि वह लोगों के लिए कैसे काम करेगा। हां,अगर वह नेशनल कांफ्रेंस में आना चाहेंगे तो हम जरुर इस पर चर्चा करेंगे।

आगामी विधानसभा चुनावों में नेकां की जीत की उम्मीद जताते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पीडीपी और भाजपा की गठबंधन सरकार से पूरी रियासत में लोग दुखी थे। लोगों का इन दलों से मोहभंग हो चुका है और वह नेकां से बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। इसलिए हमें यकीन है कि रियासत में जब भी लोसभा और विधानसभा चुनाव होंगे,लोग हमें बहुमत के साथ जिताएंगे। हमें किसी दूसरे के सहारे सरकार बनाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा राज्य में आप्रेशन ऑल आऊट से इंकार करने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यहां कश्मीर में लोग भ्रम में हैं कि आखिर यहां हो क्या रहाहै। एक तरफसेना कहती है कि आप्रेशन ऑल आऊट चल रहाहै,जिसमें आतंकी मारे जा रहे हैं। दूसरी तरफ राज्यपाल कहते हैं कि यहां कोई आप्रेशन ऑल आऊट नहीं चल रहा है। आखिर यहां चल कया रहा है, यह लोगों को बताया जाए। सरकार क्यों भ्रम पैदा कर रही है।

नेकां उपाध्यक्ष ने कहा कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक का काम नहीं हैकि वह रियासत की सियासत में या यहां के सियासी मुददों में दखल दें। उन्हें चाहिए कि वह यहां चुनाव लायक साजगार माहौल बनाएं ताकि आम लोग बिना किसी डर पूरे विश्वास के साथ वोट डालने के लिए घरों से बाहर आ सकें। उन्होंने कहा कि सियासत करना तो हम जैसे सियासी लोगों का काम है। राज्यपाल और उनके प्रशासन की जिम्मेदारी यहां हालात को बेहतर बनाना,लोगों के प्रशासनिक व अन्य बुनियादी मसले हल करना है।

इससे पूर्व रैली को संबोधित करते हुए उमर अब्दुल्ला ने पीडीपी,भाजपा और केंद्र सरकार को निशाना बनाते हुए उन पर कश्मीर व कश्मीरियों की विशिष्ट पहचान मिटाने की साजिश का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के बाद पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के रियासत में सत्तासीन होने के बाद रियासत पूरी तरह तबाह होकर रह गई। आज बेशक इन दोनों दलों की सरकार नही है,लेकिन जो नुक्सान हुआ है,वह आज पूरी रियासत भुगत रही है। उन्होंनेकहा कि आज पूरी रियासत में हर जगह लोग नेकां से उम्मीद लगाएं बैठे हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं को चुनावों के लिए पूरी तरह तैयार रहने और पार्टी की जीत को यकीनी बनाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि आज पूरी रियासत में सिर्फ हल ही हल लोगों को नजर आ रही है। हल ही रियासत को हिंसा, तनाव और तबाही के चक्र से बाहर निकालते हुए रियासत के सभी मसलों को हल कर सकती है। यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि हल ही नेशनल कांफ्रेंस का निशान है।

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