हरकत का पूर्व कमांडर भाजपा के टिकट पर लड़ रहा चुनाव

नवीन नवाज, श्रीनगर भारतीय संविधान को सबसे बड़ा दुश्मन मानने और जिहाद व कश्मीर की आजादी को

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Oct 2018 01:56 AM (IST) Updated:Fri, 05 Oct 2018 03:03 AM (IST)
हरकत का पूर्व कमांडर भाजपा  के टिकट पर लड़ रहा चुनाव
हरकत का पूर्व कमांडर भाजपा के टिकट पर लड़ रहा चुनाव

नवीन नवाज, श्रीनगर

भारतीय संविधान को सबसे बड़ा दुश्मन मानने और जिहाद व कश्मीर की आजादी को एकमात्र मकसद मानने वाले फारूक अहमद खान आज धारा 370 और धारा 35-ए को कश्मीर व कश्मीरियों की तरक्की का सबसे बड़ा दुश्मन बताने वाली भाजपा के सिपाही बनकर निकाय चुनावों में हिस्सा ले रहे हैं। फारूक खान को आज भी कश्मीर के आतंकी संगठनों और अलगाववादी हलकों में हरकत-उल-मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर सैफुल्ला के नाम से जाना जाता है।

श्रीनगर नगर निगम के वार्ड-33 में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे फारूक अहमद खान वर्ष 1989 में आतंकी ट्रे¨नग लेने के लिए पाकिस्तान गया था और दो साल बाद हरकत कमांडर सैफुल्ला बनकर लौटा था। बर्बरशाह श्रीनगर का रहने वाले फारूक अहमद खान उर्फ सैफुल्ला ने कहा कि मैं यह चुनाव बहुत सोच समझकर लड़ रहा हूं। मैं यहां सभी की असलियत जानता हूं। आतंकियों को शहीद बताने वाले हमारे अलगाववादी नेता, सड़कों पर रोजी रोटी के लिए रोज संघर्ष कर रहे मेरे जैसे पुराने आतंकी कमांडरों से क्या सुलूक कर रहे हैं, मैं जानता हूं। न पाकिस्तान को कश्मीरियों से कोई मतलब है और न हुर्रियत को कश्मीर की आजादी से कोई सरोकार। इनका मकसद सिर्फ कश्मीरियों की तबाही की सियासत है। जब सियासत ही करनी है तो फिर कश्मीरियों की बेहतरी और तरक्की की सियासत क्यों न की जाए। यही सोचकर मैंने चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला किया है।

बंदूक को नमस्ते कहकर मुख्यधारा में शामिल होने वाले और जेल से रिहा होने के बाद नए सिरे से ¨जदगी शुरू करने को प्रयासरत पूर्व आतंकियों और उनके परिजनों के कल्याण के लिए संघर्षरत एक संगठन को चला रहे फारूक खान ने कहा कि जब तक मैंने बंदूक उठा रखी, सभी बहुत तारीफ करते थे। एक दिन मैं पकड़ा गया और जब 1997 में जेल से रिहा हुआ तो मैंने एक अलग ही दुनिया को सामने पाया। पाकिस्तान और जिहाद की हकीकत को मैं पहले ही समझ चुका था, लेकिन दिल नहीं मानता था। जेल से रिहा होने के बाद मैंने देखा जो लोग पहले मुझे नायक मानते थे, मेरी तरफ ऐसे देखते थे जैसे मैं उनकी ¨जदगी का सबसे बड़ा खलनायक हूं। कोई मेरी मदद को आगे नहीं आया। बड़ी मुश्किल से एक दुकान पर जाकर सेल्समैन की नौकरी तलाश की। दुकान मालिक ने मुझे चार हजार महीने पर नौकरी दी, लेकिन कुछ ही दिन बाद उसने मुझे घर बैठने को कहा। मैं बेकार हो गया, कुछ दिन बाद पता चला कि मेरे ही एक जानने वाले ने दुकान मालिक को मेरे अतीत के बारे में बताया और मेरी नौकरी चली गई।

उसने बताया कि मैं अलगाववादी नेताओं से भी मिला। मैंने जब उनसे पूछा कि मेरे जैसे आतंकियों के लिए वह क्या कर रहे हैं तो कोई जवाब नहीं मिला। पूर्व आतंकियों और मुठभेड़ में मरने वाले आतंकियों के परिजनों के लिए जो मदद आती है, वह भी इनके घर से आगे नहीं जाती। इसलिए मैंने बंदूक छोड़ने वाले पूर्व आतंकियों की बेहतरी के लिए जेएंडके हयूमन वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन बनाई।

फारूक अहमद ने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी ने हुíरयत कांफ्रेंस व अन्य अलगाववादी संगठनों की तरह चुनाव बहिष्कार कर रखा है। कांग्रेस की राजनीति मुझे पसंद नहीं है। इसलिए भाजपा का विकल्प बेहतर और सही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियां स्पष्ट हैं। वैसे भी यह चुनाव कश्मीर मसले के हल के लिए नहीं, लोगों के रोजमर्रा के मसलों के हल के लिए हो रहा है। अगर मैं जीता तो लोगों के विकास के लिए ही काम करूंगा। पूर्व आतंकियों की बेहतरी के लिए और अच्छे तरीके से काम कर सकूंगा। पैलेट पीड़ितों की स्थानीय स्तर पर मदद को यकीनी बनाया जाएगा।

चुनाव लड़ने वालों को कौम का गद्दार बताने के लिए अलगाववादियों और आतंकियों को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि मैं कौम का कैसे गद्दार हो सकता हूं। मैंने अपनी जवानी में आजादी और जिहाद के झूठे नारे पर बंदूक उठाई थी। मैं इस नारे की असलियत को समझ चु़का हूं। जो चुनाव लड़ने वालों को गद्दार कह रहे हैं, वही कश्मीर और कश्मीरियों के दुश्मन हैं। उन्हें पता है कि उनकी असलियत सबके सामने आ रही है। इसलिए वह अब अपने को बचाने के लिए हम जैसे लोगों को जो लोगों की बेहतरी के लिए आगे आ रहे हैं, उन्हें गद्दार बता रहे हैं।

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