अनुच्छेद 35ए सहित अन्य मुद्दो पर विशेष सत्र बुलाया जाए : फारूक

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने धारा 35ए समेत राज्य की विभिन्न चुनौतियो और मुद्दो पर विधानमंडल के दोनो सदनो का एक विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Tue, 05 Sep 2017 11:03 AM (IST) Updated:Tue, 05 Sep 2017 11:03 AM (IST)
अनुच्छेद 35ए सहित अन्य मुद्दो पर विशेष सत्र बुलाया जाए : फारूक
अनुच्छेद 35ए सहित अन्य मुद्दो पर विशेष सत्र बुलाया जाए : फारूक

श्रीनगर, [राज्य ब्यूरो] । नेशनल कांफ्रेस के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व मे सोमवार को गैर सलााधारी दलो के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल एनएन वोहरा से भेट कर धारा 35ए समेत राज्य की विभिन्न चुनौतियो और मुद्दो पर विधानमंडल के दोनो सदनो का एक विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।

करीब सवा घंटे तक प्रतिनिधिमंडल की राज्यपाल के साथ राज्य के मौजूदा राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और प्रशासकीय परिदृश्य मे विचार विमर्श चला।

राज्यपाल से मुलाकात के बाद प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर संग पत्रकारो से बातचीत मे फारूक ने कहा कि हमने राज्यपाल से आग्रह किया है कि वह राज्य विधानमंडल के दोनो सदन का सत्र बुलाएं, क्योकि जुलाई मे हुआ सत्र सिर्फ जीएसटी पर चर्चा के लिए था। वह एक ही दिन का सत्र था। राज्य के लोगो द्वारा चुने गए विधायक अपने क्षेत्रो की समस्याओ को नही उठा पाए थे। राज्य मे कई समस्याएं लगातार पैदा हो रही है। विकास योजनाएं ठप है। प्रशासनिक स्तर पर भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। लोगो के कई मुद्दे है, जिन्हे विधानसभा मे ही उठाया जा सकता है।

उन्होने कहा कि हमने राज्यपाल से आग्रह किया है कि वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर विधानमंडल का एक वर्षाकालीन सत्र जो कम से कम एक पखवाड़े का हो, यहां ग्रीष्मकालीन राजधानी मे जल्द बुलाएं।

डॉ. फारूक ने कहा कि मौजूदा राज्य सरकार अपनी जनविरोधी नीतियो के चलते बेनकाब हो चुकी है। वह अपनी जवाबदेही से बचने के लिए सत्र बुलाने से पीछे हट रही है। इससे पूर्व उनके नेतृत्व मे गैर सलााधारी दलो के प्रतिनिधियो ने राज्यपाल को रियासत के मौजूदा हालात से अवगत कराते हुए बताया कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार लोगो को एक कर्मठ व जवाबदेह प्रशासन व सरकार देने मे नाकाम रही है। मौजूदा गठबंधन सरकार की नीतियो के चलते लोगो मे असुरक्षा और हताशा की भावनाएं बढ़ रही है। विकास कार्य लगभग ठप हो चुके है और प्रशासनिक स्तर पर भ्रष्टाचार व भाई भतीजावाद चरम पर है। उन्होने पंचायत व स्थानीय निकायो के चुनावो की तरफ भी राज्यपाल का ध्यान दिलाया।

उन्होने राज्यपाल से कहा कि विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाया जाए ताकि लोगो की दिक्कतो और धारा 35ए पर दायर याचिका से पैदा हुए हालात पर विचार विमर्श कर आगे की रणनीति तय किया जाए। उन्होने कहा कि इस समय जम्मू-कश्मीर की विशिष्ट पहचान पर लगातार आघात हो रहे है, लेकिन गठबंधन सरकार राज्य के विशेष दर्जे को बचाने की दिशा मे कोई ठोस कदम उठाती नजर नही आ रही है। मौजदा सरकार का एक ही ध्येय है रियासत के विशेष दर्ज को समाप्त करते हुए सलाा का लाभ लेना। सभी सार्वजनिक उपक्रमो को पीडीपी-भाजपा ने अपनी जागीर की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

सोमवार सुबह फारूक के नेतृत्व मे राज्यपाल से मिलने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल मे नेकां महासचिव अली मुहम्मद सागर, पूर्व विलामंत्री अब्दुल रहीम राथर, नेकां विधायक मुहम्मद शफी उड़ी व मुहम्मद अकबर लोन के अलावा प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर, कांग्रेस विधायक उस्मान मजीद, माकपा प्रदेश सचिव और विधायक मुहम्मद यूसुफ तारीगामी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के चेयरमैन हकीम मुहम्मद यासीन, डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट के अध्यक्ष गुलाम हसन मीर शामिल थे।

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