किसी को समर्थन नहीं, नए सिरे से चुनाव कराए केंद्र
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : नेशनल कांफ्रेंस के कार्यवाहक अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : नेशनल कांफ्रेंस के कार्यवाहक अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के भंग होने पर सरकार बनाने की अटकलों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि न हमारे पास वर्ष 2014 में जनादेश था और न आज है। हम राज्य में राज्यपाल शासन लागू करने और जल्द चुनाव कराने के पक्षधर में हैं। उमर ने कहा कि बेहतर होता मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती उसी समय अपने पद से इस्तीफा देतीं जब भाजपा आलाकमान ने अपने मंत्रियों और नेताओं को दिल्ली तलब किया था।
मंगलवार को अपने निवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उमर ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में हम किसी भी दल के साथ राज्य में नई सरकार बनाने के विषय में सपंर्क में नहीं हैं। न हमने किसी से कोई संपर्क किया है और न किसी ने समर्थन का आग्रह किया।
राज्यपाल एनएन वोहरा के साथ मुलाकात की पुष्टि करते हुए उमर ने कहा कि हां मैं उनसे कुछ ही देर पहले राजभवन में मिला हूं। मैं वहां सरकार बनाने का दावा लेकर नहीं गया था। उन्हें अपनी तरफ से मौजूदा परिस्थितियों में हर संभव सहयोग का यकीन दिलाया है। राज्य में राज्यपाल शासन जल्द लागू किया जाना चाहिए, लेकिन लंबे समय तक नहीं। लोगों को नई और कर्मठ सरकार चुनने का मौका मिले। इसलिए नए चुनाव जल्द कराए जाएं। उनमें जो जनादेश आएगा वह हमें मंजूर होगा। 25 जून को राज्यपाल का सेवा काल समाप्त हो रहा
उमर ने कहा कि राज्यपाल एनएन वोहरा 25 जून को हमारी रियासत में बतौर राज्यपाल दस साल का सेवाकाल पूरा करने वाले हैं। वह यहां के हालात को अच्छी तरह समझते हैं। हमें उनकी समझदारी और योग्यता पर यकीन रखना चाहिए। उम्मीद करते हैं कि वह जल्द राज्य में लोगों की चुनी हुई नई सरकार बहाल करेंगे। उन्होंने कहा कि हम उनमें से नहीं हैं जो पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के गिरने पर जश्न मनाएंगे। हम तो रियासत में लोकतंत्र की मौत का शोक मना रहे हैं। कश्मीर के बिगड़े हालात के लिए पीडीपी-भाजपा जिम्मेदार
भाजपा-पीडीपी गठबंधन के भंग होने के कारणों पर कुछ ज्यादा कहने से इन्कार करते हुए उमर ने कहा कि अगर कारणों को सही माना जाए तो कश्मीर में लगातार बिगड़ रहे हालात के लिए यही दो दल जिम्मेदार हैं। मुझे लगता था कि यह गठबंधन इस साल के अंत तक टूट जाएगा इसलिए मुझे आज कोई ज्यादा हैरानी नहीं हुई है। यह इतनी जल्दी टूटेगा, इसका मुझे अंदाजा नहीं था। यह गठबंधन क्यों टूटा, इसका जवाब तो सिर्फ भाजपा दे सकती है या पीडीपी। चार साल तक चला गठजोड़ सिर्फ कुर्सी की हवस में था। बेहतर होता कि महबूबा कुर्सी पर चिपके रहने के बजाय पहले इस्तीफा दे देतीं। मैंने कई बार महबूबा से कहा कि मेहरबानी करके आगे बढ़ो और इस्तीफा दो। अगर उन्होंने पहले ही इस्तीफा दे दिया होता तो आज वह कुछ इज्जत और मान के साथ सरकार से बाहर होतीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। भाजपा ने उसके पैरों तले जमीन छीन ली। भाजपा और पीडीपी दोनों उसूलों के बजाय सिर्फ कुर्सी के लिए गठजोड़ में थे। महबूबा को उसी समय इस्तीफा देना था जब भाजपा के मंत्री दिल्ली बुलाए गए थे।