जम्मू-कश्मीरः डॉ. जितेंद्र सिंह फिर बन सकते हैं मंत्री, जुगल व जामयांग की दावेदारी भी मजबूत

Dr Jitendra Singh. डॉ. जितेंद्र सिंह को इस बार कैबिनेट में जगह मिल सकती है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Thu, 30 May 2019 02:02 PM (IST) Updated:Thu, 30 May 2019 02:02 PM (IST)
जम्मू-कश्मीरः डॉ. जितेंद्र सिंह फिर बन सकते हैं मंत्री, जुगल व जामयांग की दावेदारी भी मजबूत
जम्मू-कश्मीरः डॉ. जितेंद्र सिंह फिर बन सकते हैं मंत्री, जुगल व जामयांग की दावेदारी भी मजबूत

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीरवार को अपने मंत्रिमंडल के साथ शपथ ले रहे हैं। मोदी मंत्रिमंडल में पिछली बार की तरह इस बार भी जम्मू कश्मीर को प्रतिनिधित्व मिलना तय माना जा रहा है, लेकिन राज्य की तीन सीटों से विजयी भाजपा के तीनों सांसदों में से किसे मौका मिलेगा, यही सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है। पिछली लोकसभा में ऊधमपुर-कठुआ संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित डॉ. जितेंद्र सिंह को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्यमंत्री बनाया गया था। इस बार भी उन्हें ही मंत्री बनाए जाने की संभावना सबसे ज्यादा है। हालांकि राज्य में निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनावों के समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उनके स्थान पर अन्य दो सांसदों में से किसी एक को मौका दिए जाने की अटकलें भी तेजी से चल रही हैं।

राज्य में छह संसदीय सीटों में से भाजपा ने तीन जीती हैं और अन्य तीन पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जीत हासिल की है। भाजपा के जुगल किशोर जम्मू-पुंछ संसदीय सीट से चुनाव जीते हैं और डॉ. जितेंद्र सिंह ने ऊधमपुर-कठुआ सीट पर जीत दर्ज की है। वर्ष 2014 के संसदीय चुनावों में भी इन दोनों सीटों पर जुगल और जितेंद्र सिंह ही जीते थे। लद्दाख प्रांत की सीट पर भाजपा के जामियांग त्सेरिंग नांग्याल ने जीत दर्ज की है।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि डॉ. जितेंद्र सिंह को इस बार कैबिनेट में जगह मिल सकती है। पिछली बार वह राज्यमंत्री थे। आज तक जम्मू कश्मीर से भाजपा का कोई भी सांसद केंद्र में कैबिनेट मंत्री नहीं रहा है। ऐसा कर प्रधानमंत्री पूरे जम्मू प्रांत को संतुष्ट करते हुए लद्दाख से जामियांग नांग्याल को राज्यमंत्री बनाकर सबका साथ सबका विकास के अपने नारे को आगे बढ़ा सकते हैं।

जितेंद्र सिंह की दावेदारी

पिछले पांच साल डॉ. जितेंद्र सिंह ने पीएमओ कार्यालय में ही बिताए हैं। उनके पास पूर्वोत्तर राज्यों का प्रभार भी था और वह एटामिक साइंस, एआरआइ ट्रे¨नग्स विभाग में राज्यमंत्री भी रहे। पांच साल दिल्ली में रहते हुए उन्होंने भाजपा आलाकमान से अपने संबंध मजबूत बनाए हैं। प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ नजदीकियों का भी उन्हें लाभ मिलेगा। बतौर मंत्री पांच साल के कार्यकाल का अनुभव भी उनके पक्ष में जाता नजर आ रहा है।

जुगल किशोर शर्मा की दावेदारी

इस बार जम्मू कश्मीर की तरफ से जुगल किशोर शर्मा भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में दावेदार माने जा रहे हैं। बचपन से ही आरएसएस से जुड़े जुगल किशोर दो बार राज्य विधानसभा में विधायक भी रह चुके हैं। पिछली बार भी सभी को उम्मीद थी कि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन अंतिम समय में डॉ. जितेंद्र सिंह को पीएमओ में मंत्री बनाकर नरेंद्र मोदी ने सभी को हैरान कर दिया था। जुगल किशोर की इस बार दावेदारी को आसानी से नहीं नकारा जा सकता, क्योंकि केंद्र में जब भी भाजपा की सरकार रही है, जम्मू कश्मीर से मंत्री बनने वाला सांसद हमेशा ऊधमपुर-कठुआ क्षेत्र से रहा है। जम्मू-पुंछ संसदीय क्षेत्र की हमेशा इस मामले में उपेक्षा हुई है। यह मुद्दा इस बार प्रदेश भाजपा की बैठकों में ही नहीं आरएसएस की बैठकों में भी कई बार बहस का विषय रहा है।

जामयांग शेरिंग नांग्याल की दावेदारी

लद्दाख प्रांत से चुने गए जामयांग शेरिंग नांग्याल को मंत्री बनाए जाने की संभावना को लेकर लेह-कारगिल के मतदाता बड़ी उम्मीद लगाए बैठे हैं। वहां भी चुनाव प्रचार के दौरान कई बार भाजपा नेताओं ने अपनी बैठकों में कथित तौर यकीन दिलाया कि जीत मिलने पर पहली बार लद्दाख को केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया जाएगा। वह युवा हैं और इसके अलावा चुनाव से पूर्व जिस तरह से लद्दाख प्रांत में हालात पैदा हुए थे, उसे देखते हुए जामयांग को मंत्री बनाने का फैसला हो सकता है। उनकी दावेदारी को मजबूत बनाने वाले कहते हैं कि वर्ष 2014 में लद्दाख से सांसद बने थुप्सतान छिवांग ने जब इस्तीफा दिया था तो उन्होंने मंत्री न बनाए जाने का भी मुद्दा बनाया था।

इसलिए अगर जामयांग को मंत्री नहीं बनाया जाता है तो आने वाले पांच साल बाद ही नहीं, उससे पहले ही जब राज्य में विधानसभा चुनाव होंगे तो भाजपा को नुकसान हो सकता है। लद्दाख प्रांत की चार विधानसभा सीटों में भाजपा ने आज तक एक भी सीट नहीं जीती है। अगर जामयांग को मंत्री बनाया जाता है तो भाजपा को लद्दाख में चार में से तीन सीटों की उम्मीद बंध जाएगी, जो राज्य में भाजपा द्वारा अपने बूते पर या फिर किसी अन्य दल की गठबंधन सरकार में निर्णायक भूमिका में पहुंचाने में मदद करेगी।

कौन सांसद मंत्री बनेगा, यह भाजपा आलाकमान और भाजपा प्रमुख अमित शाह ही तय करेंगे। उनके पास हरेक सांसद का लेखाजोखा, उसकी जनता में पकड़, उसकी योग्यता का पूरा ब्योरा है। हमें उम्मीद है कि वह स्थानीय सियासी समीकरणों के अलावा जनता के हित और उम्मीदों को भी ध्यान में रखकर ही अपना फैसला लेंगे

-रविंद्र रैना, प्रदेश भाजपा प्रदेश अध्यक्ष।

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