लोगों के दिलों को नहीं जीता तो हिंदोस्तान का नारा नहीं लगाएंगे

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने र

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Oct 2017 03:01 AM (IST) Updated:Mon, 30 Oct 2017 03:01 AM (IST)
लोगों के दिलों को नहीं जीता 
तो हिंदोस्तान का नारा नहीं लगाएंगे
लोगों के दिलों को नहीं जीता तो हिंदोस्तान का नारा नहीं लगाएंगे

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि जब तक जम्मू-कश्मीर के लोगों के दिलों को नहीं जीता जाता तब तक वह हिंदोस्तान का नारा नहीं लगाएंगे। उनके दिलों को जीतना है तो हमें स्वायत्तता दे दो।

फारूक नेशनल कांफ्रेंस के एक सम्मेलन में पार्टी अध्यक्ष के पद पर दोबारा चुने जाने के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कश्मीर के मौजूदा हालात के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय किया था तो हिंदोस्तान को सिर्फ करंसी, डिफेंस और कम्यूनिकेशन का अधिकार दिया था। अन्य मामलों में हम खुद मुख्तार थे, लेकिन आपने तो हमारा सबकुछ छीन लिया।

उन्होंने दिल्ली की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आज हम अपने हक की बात करते हैं तो क्या हम गद्दार हैं। हम तो मुहब्बत के साथ तुम्हारे साथ जुड़े थे, लेकिन आपने तो हमारी मुहब्बत को समझा नहीं। आपने तो हमारा सबकुछ छीन लिया। उसके बाद कहते हो कि जम्मू, कश्मीर व लद्दाख में कोई हिंदोस्तान का नारा क्यों नहीं लगाता। जब तक आप जम्मू-कश्मीर के लोगों के दिलों को जीत कर हमें स्वायत्तता नहीं लौटाओगे, यहां कोई हिंदोस्तान का नारा नहीं लगाएगा।

उन्होंने थलसेना प्रमुख जनरल विपिन रावत के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि कश्मीरियों को ताकत से नहीं दबाया जा सकता और न उन्हें बंदूक से डराया जा सकता है। हम अपने हक के लिए हमेशा लड़ते रहेंगे, कभी झुकेंगे नहीं। कश्मीर एक सियासी मसला है और यह ताकत या बंदूक से नहीं सिर्फ सियासी तरीके से हल होगा। जब तक इसका सियासी हल नहीं निकलेगा, अमन नहीं होगा।

डॉ. फारूक ने केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई बातचीत और पी चिदंबरम के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि जख्म तो कांग्रेस ने भी खूब दिए हैं। हमारी स्वायत्तता को समाप्त करने में उसकी भूमिका सबसे अधिक रही है। हम बातचीत के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन बातचीत पर स्पष्ट रवैया होना चाहिए। बंदूक के दम पर कोई बातचीत नहीं हो सकती। हमें बातचीत करनी होगी, लेकिन पहले धारा 370 को मजबूत बनाना होगा।

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जगमोहन ने भगाया कश्मीरी पंडितों को

डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीरी पंडितों की वापसी पर जोर देते हुए कहा कि कश्मीर पंडितों को कश्मीरी मुस्लिमों ने नहीं बल्कि जगमोहन ने निकाला था। उस समय उसने कश्मीरी पंडितों से कहा था कि दो तीन माह की बात है, लेकिन आज 28 साल बीते गए पर कश्मीरी पंडित अपने घरों में वापस नहीं आए हैं। उन्हें और कितने साल इंतजार करना है, यह पता नहीं, लेकिन उन्हें आना ही है और होमलैंड या अलग कॉलोनी में आकर नहीं रहना है। यह संभव नहीं है। वह यहां आकर पहले की तरह अपने कश्मीरी मुस्लिमों के साथ ही रह सकेंगे क्योंकि किसी की हिफाजत फौज नहीं कर सकती, आम अवाम ही कर सकता है। इसलिए यह बात याद रखो जब कश्मीरी पंडित यहां से गए थे तो जम्मू में सरकार ने नहीं बल्कि जम्मू के लोगों ने उनके लिए अपने घरों के दरवाजे खुले रखे थे।

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नोटबंदी से बढ़ा आतंकवाद

डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने नोटबंदी और जीएसटी के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि जीएसटी के जरिये हमारी आर्थिक स्वायत्तता समाप्त कर दी गई। इसके लिए एक दिन वित्तमंत्री डॉ. हसीब द्राबू को जवाब देना होगा। यही हाल नोटबंदी का है। उस समय हमारे केंद्रीय वित्तमंत्री और अन्य बड़े नेताओं ने कहा था कि नोटबंदी से कश्मीर में आतंकवाद समाप्त हो जाएगा, लेकिन जब से नोटबंदी हुई है, कश्मीर में आतंकी हिंसा लगातार बढ़ रही है। आतंकियों से निपटने के लिए सुरक्षाबलों की तादाद बढ़ाई जा रही है। नोटबंदी से यहां आतंकवाद बढ़ा ही है।

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भाजपा ने दिया था अंग्रेजों का साथ

डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि आज भाजपा और आरएसएस ने यहां सेंध लगाई है। पीडीपी भी उसकी ही एक जमात है। यह हम लोगों को भी बांटने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे बीच भी आरएसएस के एजेंट हैं, हमें उन्हें बेनकाब करना है। आज खुद को हिंदोस्तान का झंडाबरदार कहने वाली भाजपा जो आजादी की लड़ाई की बात करती है, कभी भी आजादी की लड़ाई में शामिल नहीं थी। महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला जिस समय अंग्रेजों से लड़ रहे थे, उस समय भाजपा के नेता अंग्रेजों के साथ थे। यह लोग कहते थे कि अंग्रेज बहुत अच्छे हैं।

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महाराजा एक आजाद राष्ट्र चाहते थे

डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जो यहां पाकिस्तान का नारा देते हुए आजादी की बात करते हैं, उन्हें शायद पूरा इतिहास पता नहीं है। महाराज बहादुर हरि सिंह तो जम्मू-कश्मीर को एक आजाद मुल्क बनाना चाहते थे, वह इस रियासत को सांप्रदायिक सौहार्द और अमन का घर बनाकर भारत-पाक के बीच एक पुल बनाना चाहते थे। लेकिन जिन्ना जो कहता था कि जम्मू-कश्मीर मेरी जेब में है, ने पहले कबायलियों को भेजा और उसके पीछे पाकिस्तानी फौज को। पाकिस्तानी फौज ने जब यहां कत्लोगारत शुरू की, औरतों की अस्मत लूटना शुरू की। बारामुला में ईसाई साध्वियों के साथ बलात्कार की घटनाएं हुर्ई तो महाराजा ने हिंदोस्तान के साथ इलहाक किया। शेख अब्दुल्ला तो उस समय जेल में थे।

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