तिरंगे में लिपटे शहीदों के पार्थिव शरीर परिजनों के पास भेजे

श्रीनगर के पांडच इलाके में बुधवार को आतंकी हमले में शहीद हुए सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) के दो जवानों को वीरवार सुबह एक भावपूर्ण समारोह में श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद तिरंगे में लिपटे दोनों शहीदों के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ हवाई जहाज के जरिए उनके परिजनों के पास मुर्शिदाबाद पश्चिमी बंगाल भेज दिए गए।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 May 2020 11:52 PM (IST) Updated:Fri, 22 May 2020 06:19 AM (IST)
तिरंगे में लिपटे शहीदों के पार्थिव शरीर परिजनों के पास भेजे
तिरंगे में लिपटे शहीदों के पार्थिव शरीर परिजनों के पास भेजे

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : श्रीनगर के पांडच इलाके में बुधवार को आतंकी हमले में शहीद हुए सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) के दो जवानों को वीरवार सुबह एक भावपूर्ण समारोह में श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद तिरंगे में लिपटे दोनों शहीदों के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ हवाई जहाज के जरिए उनके परिजनों के पास मुर्शिदाबाद, पश्चिमी बंगाल भेज दिए गए।

बीएसएफ की 37वीं वाहिनी में जिया उल हक और राना मोंडल दोनों गहरे दोस्त थे। वे बुधवार को ड्यूटी के लिए अपने शिविर से निकले थे। दिनभर की रोजदारी के बाद शाम को इफ्तारी की तैयारी करनी थी। इसलिए ड्यूटी स्थल से करीब 300 मीटर दूर एक दुकान पर सामान लेने चले गए, जहां आतंकियों ने हमला कर दिया था। हमले की जिम्मेदारी द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) जम्मू कश्मीर नामक आतंकी संगठन ने ली है।

बीएसएफ के प्रवक्ता एनएस बोपाराय ने बताया कि श्रद्धांजलि समारोह में बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों व जवानों ने शहीदों के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र और फूलमालाएं भेंट की। श्रद्धांजलि समारोह में मौजूद बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि दोनों पक्के रोजदार थे। दोनों ने सुबह से पानी का एक बूंद भी नहीं पीया था। इससे पहले कि वह रोजा खोलते, यहां इस्लाम के नाम पर निर्दाेषों का कत्ल करने वाले आतंकियों ने उन्हें शहीद कर दिया।

बीएसएफ के प्रवक्ता ने बताया कि जिया उल हक वर्ष 2009 में बीएसएफ में शामिल हुआ था। उसके परिवार में उसकी पत्नी नफसीना खातून और दो बेटियां हैं। उसकी छोटी बेटी जेनिफर जियुल छह माह और बड़ी बेटी जेशलीन चार साल की है। जेशलीन दिव्यांग हैं। वह मुर्शिदाबाद से करीब 30 किलोमीटर दूर रेजीनगर में रहता था। मोंडल का परिवार मुर्शिदाबाद के पास साहेब रामपुर में रहता है। उसके परिवार में उसके बुजुर्ग मां-बाप, पत्नी जेशमिन खातून और छह माह की बेटी रह गई है। यह दोनों अगस्त 2019 के दौरान कश्मीर में तैनात हुए थे।

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