सरकारी तंत्र में बैठे अलगाववादी समर्थकों पर कसेगा शिकंजा

राज्य ब्यूरो श्रीनगर कश्मीर घाटी में जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी लगाने और कई मजहबी व अलगाववा

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Mar 2019 02:26 AM (IST) Updated:Sat, 16 Mar 2019 02:26 AM (IST)
सरकारी तंत्र में बैठे अलगाववादी समर्थकों पर कसेगा शिकंजा
सरकारी तंत्र में बैठे अलगाववादी समर्थकों पर कसेगा शिकंजा

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर घाटी में जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी लगाने और कई मजहबी व अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद राज्य सरकार अब सरकारी तंत्र में बैठे आतंकियों और अलगाववादियों के समर्थकों व मददगारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी में है।

विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत लगभग 200 ऐसे लोगों की सूची तैयार की गई है, जो जमात, हुíरयत व अन्य अलगाववादी संगठनों के साथ प्रत्यक्ष-परोक्ष से जुड़े हैं या फिर आतंकियों के साथ सहानुभूति रखते हुए उनके एजेंडे को हवा देने में लिप्त हैं।

सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल प्रशासन ने सरकारी तंत्र में बैठे राष्ट्रविरोधी तत्वों की सफाई की योजना तैयार कर ली है। उचित समय पर इसकी शुरुआत करते हुए इन तत्वों को सरकारी सेवा से मुक्त करने के साथ ही इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होगी।

उन्होंने बताया कि सरकारी तंत्र में मौजूद यह लोग न सिर्फ आतंकी व अलगाववादी संगठनों को वित्तीय व अन्य प्रकार की मदद करते हैं बल्कि नौजवानों में अलगाववादी व जिहादी मानसिकता को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस संदर्भ में जब राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने ऐसी किसी भी सूची या योजना से अनभिज्ञता जताई, लेकिन यह जरूर कहा कि राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई हमेशा की जाती है। राज्य गृह विभाग के अधिकारियो ने भी इस विषय में कुछ बोलने से इन्कार किया है।

सूत्रों ने बताया कि राज्य प्रशासन सरकारी तंत्र में बैठे अलगाववादियों और राष्ट्रविरोधी संगठनों के एजेंटों की सूची पर कई माह से काम कर रहा है। इन लोगों के खिलाफ सभी आवश्यक तथ्य जुटाए गए हैं। उन्होंने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि सरकारी तंत्र में बैठे इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई के जरिए ही कश्मीर घाटी में आतंकवाद व अलगाववाद की रीढ़ को सही तरीके से तोड़ा जा सकता है। इसके अलावा राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के सफल आयोजन के लिए भी यह जरूरी है। इस सूची में शामिल सरकारी अधिकारियों व कर्मियों में अधिकांश का संबंध शिक्षा विभाग से है। यह लोग अपने ड्यूटी स्थल से ही अपने साथियों, सहयोगियों व छात्रों में जिहाद व अलगाववाद के बीज बो रहे हैं।

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