जो थामते थे कभी पाक के झंडे, आज कह रहे जय¨हद

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : सालभर पहले तक पाक के स्वतंत्रता दिवस पर पड़ोसी मुल्क के झंडे लेकर रैलियां निक

By Edited By: Publish:Fri, 17 Feb 2017 02:21 AM (IST) Updated:Fri, 17 Feb 2017 02:21 AM (IST)
जो थामते थे कभी पाक के झंडे, आज कह रहे जय¨हद
जो थामते थे कभी पाक के झंडे, आज कह रहे जय¨हद

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : सालभर पहले तक पाक के स्वतंत्रता दिवस पर पड़ोसी मुल्क के झंडे लेकर रैलियां निकालने वाले किशोर आज कश्मीर में जय¨हद का जयघोष करते दिख रहे हैं। राज्य पुलिस के महानिदेशक डॉ. एसपी वैद ने दावा किया कि कश्मीरी युवकों को आतंकी संगठनों में भर्ती होने से रोकने के लिए पुलिस की ओर से शुरू किया गया अभियान रंग ला रहा है। इसके लिए बकायदा पुलिस की ओर से गुमराह बच्चों की काउंसलिंग की जा रही है। यह कार्यक्रम वादी के सभी 10 जिलों में शुरू किया गया है और इसके उत्साहव‌र्द्धक परिणाम भी सामने आ रहे हैं।

डॉ. वैद ने ट्वीटर पर पत्थरबाजी और आतंकी गतिविधियों में परोक्ष रूप से लिप्त वादी के गुमराह नाबालिगों और युवाओं को मुख्यधारा के साथ जोड़ने के लिए काउंसलिंग का सहारा लेने की पुष्टि की। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा, अपनी सामान्य ड्यूटी से आगे बढ़कर जम्मू-कश्मीर पुलिस वादी के युवाओं को उनके दिलों में देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव की भावना पैदा कर बदल रही है। पुलिस ने अपने इन प्रयासों में कुछ सफलता भी पाई है। शोपियां में गुमराह युवकों का एक दल जो गत वर्ष पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक रैली में शामिल था, पिछले माह 26 जनवरी को जय¨हद का जयघोष करते हुए गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हुआ।'

डॉ. वैद ने एक वीडियो भी अपलोड किया है। इसमें कुछ किशोर हरे-सफेद रंग के कपड़े पहने और हाथों में पाकिस्तानी ध्वज के साथ मारे गए आतंकी कमांडर बुरहान वानी के होर्डिग के सामने से सलामी देते गुजरते नजर आते हैं। यह वीडियो 14 अगस्त 2016 को शोपियां जिले के नागबल में तैयार हुआ था। इस वीडियो के दूसरे हिस्से में यही बच्चे हिमपात के बावजूद गणतंत्र दिवस समारोह की परेड में शामिल दिखाए गए हैं।

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बच्चों को करवाई जा रही सही और गलत की पहचान :

पुलिस महानिदेशक ने कहा कि बच्चों के दिलो दिमाग पर दुष्प्रचार का जल्द असर होता है। हमने ऐसे कई बच्चों को चिन्हित किया और उन्हें छोटे-छोटे समूहों में काउंसलिंग दे रहे हैं, ताकि वह आतंकियों के मंसूबों की बली न चढ़ें। हम काउंसलिंग में इन बच्चों की हर बात सुनते हैं, उनसे चर्चा करते हैं। उसके आधार पर ही हम उन्हें सही और गलत की पहचान कराते हैं।

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