कलश यात्रा के साथ श्रीमद्भागवत कथा आरंभ

जागरण संवाददाता राजौरी डूंगी में ज्ञान गंगा आश्रम में बुधवार से श्रीमद्भागवत कथा शुरू हुई

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Apr 2019 12:37 AM (IST) Updated:Thu, 25 Apr 2019 06:37 AM (IST)
कलश यात्रा के साथ श्रीमद्भागवत कथा आरंभ
कलश यात्रा के साथ श्रीमद्भागवत कथा आरंभ

जागरण संवाददाता, राजौरी: डूंगी में ज्ञान गंगा आश्रम में बुधवार से श्रीमद्भागवत कथा शुरू हुई है जो एक सप्ताह तक जारी रहेगी।

इस दौरान पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर 1008 राजगुरु स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती जी महाराज कथा से संगत को निहाल करेंगे। बुधवार की सुबह माता के मंदिर से लेकर आश्रम तक कलश यात्रा निकाली गई जो कि विभिन्न बाजारों व मार्गों से होती हुई कलश यात्रा आश्रम पहुंची। यहां पर कलश स्थापित करने के बाद कथा को शुरू किया गया।

कथा के पहले दिन कथा करते हुए पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर 1008 राजगुरु स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि बिनु परतीती होई नहीं प्रीति अर्थात माहात्म्य ज्ञान के बिना प्रेम चिरंजीव नहीं होता, अस्थायी हो जाता है। धुंधकारी चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आत्मसात कर लें तो जीवन से सारी उलझने समाप्त हो जाएगी। द्रौपदी, कुन्ती महाभागवत नारी है। कुन्ती स्तुति को विस्तारपूर्वक समझाते हुए परीक्षित जन्म एंव शुकदेव आगमन की कथा सुनाई। स्वामी जी महाराज ने कहा कि भगवान की लीला अपरंपार है। वह अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। श्रीमदभागवत कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की। भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानन्द की प्राप्ति होती है। भागवत श्रवण प्रेतयोनी से मुक्ति मिलती है। चित्त की स्थिरता के साथ ही श्रीमदभागवत कथा सुननी चाहिए। भागवत श्रवण मनुष्य के सम्पूर्ण कलेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है। उन्होंने अच्छे ओर बुरे कर्मो की परिणिति को विस्तार से समझाते हुए आत्मदेव के पुत्र धुंधकारी ओर गौमाता के पुत्र गोकरण के कर्मो के बारे में विस्तार से वृतांत समझाया ओर धुंधकारी द्वारा एकाग्रता पूर्ण भागवत कथा श्रवण से प्रेतयोनी से मुक्ति बताई तो वही धुंधकारी की माता द्वारा संत प्रसाद का अनादर कर छल,कपट से पुत्र प्राप्ती ओर उसके बुरे परिणाम को समझाया। स्वामी जी महाराज ने कहा कि मनुष्य जब अच्छे कर्मो के लिए आगे बढता है तो सम्पूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित होकर मनुष्य के पीछे लग जाती है ओर हमारे सारे कार्य सफल होते है। ठीक उसी तरह बुरे कर्मो की राह के दौरान सम्पूर्ण बुरी शक्तियां हमारे साथ हो जाती है। इस दौरान मनुष्य को निर्णय करना होता कि उसे किस राह पर चलना है। छल ओर छलावा ज्यादा दिन नहीं चलता। छल रूपी खटाई से दुध हमेशा फटेगा। छलछिद्र जब जीवन में आ जाए तो भगवान भी उसे ग्रहण नहीं करते है- निर्मल मन प्रभु स्वीकार्य है। छलछिद्र रहित ओर निर्मल मन भक्ति के लिए जरूरी है। इस अवसर पर काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ मौजूद थी।

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