राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने यरुशलम पर कश्मीर बंद की उड़ाई खिल्ली

हुर्रियत के कश्मीर बंद की खिल्ली उड़ाते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये कौन से उनके मामा लगते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Mon, 11 Dec 2017 10:42 AM (IST) Updated:Mon, 11 Dec 2017 10:42 AM (IST)
राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने यरुशलम पर कश्मीर बंद की उड़ाई खिल्ली
राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने यरुशलम पर कश्मीर बंद की उड़ाई खिल्ली

कठुआ, [जागरण संवाददाता] । यरुशलम को इजरायल की राजधानी बनाने के विरोध में हुर्रियत के कश्मीर बंद की खिल्ली उड़ाते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये कौन से उनके मामा लगते हैं। अपने घर की समस्याएं नहीं देख रहे हैं, यरुशलम में क्या हो रहा है उसकी इन्हें चिंता लगी है। ऐसा लग रहा है कि अब इनके पास कोई मुद्दा नहीं रहा है।

उन्होंने कहा कि हैरानी इसकी है कि इस मामले राज्य की वह पार्टी भी हुर्रियत का समर्थन कर रही है जिसके तीन-तीन मुख्यमंत्री राज्य के रह चुके हैं। डॉ. जितेंद्र ने नेकां का नाम लिए बिना उस पर हमला बोलते हुए कहा कि कश्मीर में कुछ बोली तो जम्मू में दूसरी बात और दिल्ली जाकर भारत माता की जय बोल देते हैं। जब कुर्सी पास होती है तो कश्मीर भारत का अटूट अंग है, लेकिन जब कुर्सी चली जाती है तो गुलाम कश्मीर पाक का बोलना शुरू कर देते हैं। इस तरह की बयानबाजी पर राज्य की अन्य पार्टियां क्यों चुप हैं? लेकिन इस तरह दोहरी राजनीति अब नहीं चलने वाली है।

उन्होंने कहा कि आज का युवा सब जानता है। वह इंटरनेट चलाना जानता है। रियल रिपोर्टिग का जमाना है। जबकि यरुशलम के मामले उन्हें इससे कुछ लेना देना नहीं है। ये विदेश मंत्रालय का फैसला है। अवैध खनन मामले को सरकार के समक्ष उठाएंगेडॉ. जितेंद्र सिंह ने रावी में जारी बड़े पैमाने पर अवैध खनन से निर्माणाधीन किडि़यां गंडयाल पुल को बने खतरे पर कहा कि इसका कड़ा संज्ञान लिया जाएगा। अगर इससे पुल को खतरा बन रहा तो इसे राज्य सरकार से उठाया जाएगा ताकि करोड़ों की लागत से बन रहे पुल को खतरा न बने।

राज्य में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बन रही 1400 किलोमीटर सड़कों के निर्माण में अधिकांश में वन विभाग की क्लियरेंस न मिलने से वर्ष 2019 तक सभी गांव सड़क से जोड़ने का सपना कैसे पूरा होगा के सवाल पर कहा कि राज्य सरकार को इसके लिए सहयोग करना चाहिए, अगर कहीं डीपीआर चेंज करने की जरूरत पड़ रही है तो उसे बनाकर जल्द केंद्र के पास भेजना चाहिए ताकि तय समय पर सड़कों का निर्माण हो और लोगों को उसका लाभ मिले। विकास के लिए फंडों की कोई कमी नहीं है।

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