30 साल पुरानी दुकानें तोड़ने के खिलाफ बाजार रखा बंद

आक्रोश- प्रशासन के चाबुक के आगे हर कोई हो रहा बेबस बार एसोसिएशन के सदस्यों ने इन लोगों

By JagranEdited By: Publish:Tue, 04 Sep 2018 07:28 PM (IST) Updated:Tue, 04 Sep 2018 07:28 PM (IST)
30 साल पुरानी दुकानें तोड़ने के खिलाफ बाजार रखा बंद
30 साल पुरानी दुकानें तोड़ने के खिलाफ बाजार रखा बंद

आक्रोश-

प्रशासन के चाबुक के आगे हर कोई हो रहा बेबस

बार एसोसिएशन के सदस्यों ने इन लोगों का किया समर्थन संवाद सहयोगी, बसोहली : जिला उपायुक्त रोहित खजूरिया के दिशा निर्देश पर उपमंडल प्रशासन द्वारा पिछले हफ्ते बस स्टैंड पर अतिक्रमण को हटाने के विरोध में 30 साल पुरानी दुकानें तोड़ी थीं और सारी रेहड़ी, फड़ी वालों को बस स्टैंड पर काम न करने के दिशा-निर्देश दिए गए थे कि यहां पर कोई भी रेहड़ी, फड़ी नहीं लगेगी। उसी के विरोध में रोजगार से बेरोजगार हुए दुकानदार, रेहड़ी, फड़ी वाले, पूरा व्यापार मंडल, बार एसोसिएशन और आम जनता ने उनके समर्थन में मंगलवार को पूरा बाजार बंद रखा। बुधवार को भी बाजार बंद करने का एलान करते हुए बार एसोसिएशन ने कहा कि जब तक इंसाफ नहीं मिलता हड़ताल जारी रही। 10 बजे के करीब लोग पुलिस स्टेशन के समीप इकट्ठा होने के बाद एडीसी कार्यालय में गए। कार्यालय में एडीसी मौजूद नहीं थे। कार्यालय में नायब तहसीलदार केडी शर्मा थे। बार एसोसिएशन के सदस्य एवं पूर्व विधायक जगदीश राज सपोलिया, करतार सिंह एडवोकेट, एडवोकेट हरीष बह्ी, एडवोकेट अनिल पाधा, व्यापार मंडल प्रधान अनिल पाधा, व्यापार मंडल पूर्व प्रधान वेद फंदा, सुनील सोनी, शम्मी सपोलिया सहित अन्य लोगों ने एडीसी के मौजूद न होने पर तहसीलदार बसोहली गौरव शर्मा को एडीसी कार्यालय में बुलाने को कहा। तहसीलदार के आने पर लोगों ने रोजगार से बेरोजगार हुए लोगों को उनका हक देने की बात कही। उन्होंने कहा कि कोई तो ठिकाना उन्हें दो यहां पर वो अपनी रोजी रोटी कमा सकें और अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें। इतने में क्या था कि बेरोजगारों के हक के लिए सारे लोग भड़क उठे और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।

टूटी दुकानों की मार झेल रहे दुकानदारों ने कहा कि अपने हक के लिए अगर जान भी देनी पड़ी तो वह पीछे नहीं हटेंगे। पिछले हफ्ते से दुकानदारों का रेहड़ी, फड़ी का काम बंद पड़ा हुए है। इसके लिए क्या बंदोबस्त है। जानकारी दे और साथ में दुकानें तोड़ने की जो कापी, नोटिस आपको ऊपर से मिले हैं हमें दो। बार एसोसिएशन और लोगों ने रोष प्रकट करते हुए कहा अगर दुकानों को तोड़ना था तो पहले नोटिस जारी करते। दुकानदार अपना बंदोबस्त कर लेते। लोगों के लाख मिन्नतें करने के बाद भी प्रशासन ने एक भी नहीं सुनी थी। ऊपर से प्रेशर की बात बार-बार दोहराई जा रही थी। प्रेशर वाले नोटिस हमें भी दिखाए हम भी पढ़े आखिर उसमें है क्या। ज्ञात रहे कि पिछले हफ्ते 30 सालों से चल रही दुकानों को तोड़ने के लिए जब एडीसी संजय गुप्ता, एसडीपीओ सुनील सिंह, इओ प्रीतम चंद, एसएचओ अनिल शर्मा पुलिस बल एवं म्यूनिसिपल कमेटी कार्यालय की टीम जब बस स्टैंड पर स्थित 30 साल पुरानी दुकानों को तोड़ने का अभियान चलाया था तो वहां के दुकानदारों ने खूब बहस की मगर प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी थी। देखते ही देखते एक दुकान के बाद दूसरी दुकान मलबे में तब्दील हो गई थी।

बेरोजगार हुए दुकानदारों का कहना था कि रोज अपनी दुकान को खोलते थे इस पर ही सारे परिवार का खर्च चलता था। अब सुबह जब उठते हैं तो वहीं ख्याल आता है कि दुकान खोलनी है। तो एक पल में ही सपना टूट जाता है और दिल आंसू के गम में डूब जाता है कि अब दुकान तो टूट चुकी है। ऐसे में घर का खर्च कैसे चलेगा। पूरा परिवार उस दिन से लेकर आज तक गम में डूबा हुआ है। मगर प्रशासन के चाबुक के आगे नाई, छोटी दुकान, सब्जी की दुकान, स्वीट शॉप, ढाबे सब तहस नहस हो गए था।

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