अपना मकान बनाने में श्रम करने पर भी मिलेगी मनरेगा से दिहाड़ी

मनरेगा कार्य प्रशासन द्वारा शुरू करने के आदेश के बाद जहां विकास की शुरूआत हो गई हैवहीं स्थानीय लोगों को दो माह से बिना काम धंधे के बाद रोजगार मिल गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 May 2020 05:18 AM (IST) Updated:Sat, 23 May 2020 06:16 AM (IST)
अपना मकान बनाने में श्रम करने पर भी मिलेगी मनरेगा से दिहाड़ी
अपना मकान बनाने में श्रम करने पर भी मिलेगी मनरेगा से दिहाड़ी

जागरण संवाददाता, कठुआ : लॉकडाउन के कारण जिले में बंद पड़े मनरेगा के विकास कार्यो को प्रशासन ने शुरू करवा दिया है। इससे दो माह से बेरोजगार बैठे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल गया है। ग्रामीण विकास विभाग ने जिले के 19 ब्लॉकों में काम शुरू करवा दिया है, जिसमें हजारों लोगों को अपने गांव में ही इस मुसीबत की घड़ी में रोजगार मिलने लगा है।

सबसे अहम बात यह है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब लाभार्थी को अपने मकान में भी काम करने पर मनरेगा के तहत 95 दिन का रोजगार मिलेगी। अपना मकान बनाने के लिए सरकार से सहायता भी और उसमें श्रम करने पर रोजगार भी। इसके अलावा सबसे ज्यादा काम गर्मी को देखते हुए जल संरक्षण के कार्य मनरेगा के तहत हो रहे हैं। इसमें तालाब, कुएं और बावलियों को साफ करने का काम जोरशोर से चल रहा है। नये कुएं भी तैयार किए जा रहे हैं। सहार पंचायत के शेरकोटला गांव में जारी मनरेगा कार्य के दौरान नया कुआं खोदा जा रहा है। वहां पर काम करने वाले गांववासी ही हैं। जहां पर 15 के करीब ग्रामीणों को रोजगार मिला है। कंडी क्षेत्र के इस गांव में कुएं से पानी निकलने से गांव में पेयजल सहित अन्य समस्या का भी समाधान हो रहा है। गांव में ऐसे दो कुएं निकाले गए हैं। इन कार्यो के दौरान शरीरिक दूरी का पालन किया जा रहा है। इससे ग्रामीण भी जागरूक हुए हैं। एहतियात बरत कर रहे हैं।

-------------- ब्लॉक में कोरोना संकट के दौरान अधूर पड़े कार्य शुरू कराए गए हैं। इसमें 10 कार्य पीएम आवास योजना के तहत हो रहे हैं। ब्लॉक की सभी 18 पंचायतों में प्रत्येक कार्य के दौरान काम करने वालों और देखरेख करने वाले को शारीरिक दूरी का विशेष पालन करने की हिदायत दे रखी है। इसके अलावा सैनिटाइज का भी विशेष ध्यान देने को कहा गया है। गत वित्तीय वर्ष 19-20 के दौरान की मनरेगा कायों की लंबित पेमेंट भी उनके खातों में आनलाइन ट्रांसफर कर दी गई है।

- वीरेंद्र बावा, बीडीओ, कठुआ

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