बेटी की किलकारी से मिली खुशियां

संवाद सहयोगी, बसोहली : जिले में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के प्रति लोगों में जागरूकता आने लगी ह

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Mar 2017 11:37 AM (IST) Updated:Fri, 24 Mar 2017 11:37 AM (IST)
बेटी की किलकारी से मिली खुशियां
बेटी की किलकारी से मिली खुशियां

संवाद सहयोगी, बसोहली : जिले में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के प्रति लोगों में जागरूकता आने लगी है। इसके चलते जिनके घर के आंगन में बेटी की किलकारियां नहीं गूंजी हैं, वे अब स्वेच्छा से बेटी को अपनाने के लिए खुद आगे आने लगे हैं, वहीं दूसरी तरफ जिनके घर में बेटियां पहले से हैं और अब बेटी के जन्म पर उसे पहले ही तरह भू्रण हत्या करने की बजाय उसे दुनिया में लाने के लिए पहल कर रहे हैं।

कुछ ऐसा ही बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का उदाहरण कस्बे में देखने को मिला है। जब एक गरीब परिवार मां बाप ने घर में दो बेटियों के बाद तीसरी को मारने की बजाय खुशी से जन्म दिया और उसके बाद उसे बेटी के बिना अपनी गोद सूनी मान रहे परिवार की गोद में डाल दिया। इससे बेटी की चाह रखने वाले मां बाप को भी खुशियां मिलीं, वहीं तीसरी बेटी को बोझ समझने की बजाय उसे जन्म देकर बेटी बचाओ और उसके बाद उसके पालन पोषण के लिए दूसरे को सौंपकर बेटी पढ़ाओ के नारे को व्यवहारिक रूप से बुलंद करने का काम किया है।

बेटी को अपनाने वाला परिवार गांव पलाही का है, जिसमें दंपति पिंकी जसरोटिया एवं विजय ठाकुर ने एक गरीब परिवार से नवजात बेटी अपनाया लिया। हालांकि उनका पहले एक बेटा है और बेटी पाकर अधूरे परिवार को पूरा कर लिया। वहीं बेटी को जन्म देने वाले मां-बाप के पहले दो बेटियां हैं, हालांकि तीसरी बेटी को गोद में देने वाले परिवार ने उसे पालने में असमर्थता जताई, लेकिन बचाकर दूसरे की सौंप कर पढ़ने का मौका दे दिया। बेटी पाकर खुश दंपति ने कुछ कानूनी प्रक्रिया भी पूरी की, जिसके बाद घर लाकर उसके लालन पालन लग गए।

विजय ठाकुर पेशे से शिक्षक हैं और पिंकी उम्मीद समूह नामक संस्था से जुड़ी हैं। दोनों ने बातचीत में बताया कि उनका आंगन बेटी के बिना सूना था। इसलिए वे बेटी को गोद लेने का प्रयास करते आ रहे थे, जिसमें एक दंपति ने उन्हें सौंप कर उनके जीवन अमूल्य खुशियां दी है।

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