Jammu: सपने छोड़ कोविड मरीजों की देखभाल मे जुटे युवा डाक्टर, कहा- कोरोना ने जिंदगी की बदल दी
डा. शेफाली का कहना है कि हर दिन 12 घंटे डयूटी देती हैं। जब डयूटी नहीं होती तो सरकार द्वारा मुहैया करवाए गए आइसोलेशन वाले कमरों में रहती हैं।ज्यादा समय सोने में वीडियो कांफ्रेंस में घर वालों से बात करने में ही बीत जाता है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: ज्वाइन करने के पहले पांच मिनट में ही मैंने एक कोविड मरीज को गंभीर परिस्थितियों में दम तोड़ते देखा। मैं वहां थी, मैंने वह सब किया जो मैं कर सकती थी लेकिन वह काफी नहीं था। मुझे अभी भी उस दिन की याद बार-बार आती है।
यह कहना है डा. शेफाली वर्मा का जो इस समय राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू में कोविड केयर वार्ड में सेवारत है। हाल ही में उसने एमबीबीएस पास की है। उसके साथ एक और डा. निदा डार कोविड महामारी के समय में असाधारण सेवाएं दे रही हैं। दाेनों अन्य कई युवा डाक्टरों के साथ अब लगभग एक महीने से सेवा कर रही हैं।
दोनों का कहना है कि वह गंभीर रूप से बीमार कोविड मरीजों की देखभाल कर रही है। हर दिन उनकी बीपी, पल्स, आक्सीजन स्तर सहित अहम टेस्ट देखती हें। बाइपेप मशीन चलाती हैं। आक्सीजन फ्लो को देखती हें। अगर जरूरत पड़े तो वरिष्ठ डाक्टरों की मदद लेती हैं। डा. शेफाली का कहना है कि हर दिन 12 घंटे डयूटी देती हैं। जब डयूटी नहीं होती तो सरकार द्वारा मुहैया करवाए गए आइसोलेशन वाले कमरों में रहती हैं।ज्यादा समय सोने में, वीडियो कांफ्रेंस में घर वालों से बात करने में ही बीत जाता है।
वहीं डा. निदा का कहना है कि जब वह काम नहीं करती है तो प्रयास रहता है कि आठ घंटे तक कम से कम सो ले। वहीं कपड़े धोने में भी बहुत समय लगता है। कोविड के मरीज को तो सिर्फ 14 दिनों के लिए ही आइसोलेट होना पड़ता है लेकिन डाक्टर को लंबे समय तक आइसोलेट होना पड़ता है।
दोनों का कहना है कि जब परिजनों से बात होती है तो कोविड पर ही चर्चा होती है। अभिभावक संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी कदम उठाने को कहते हैं। डा. शेफाली ने कहा कि उन्हें अपने दादा-दादी की बड़ी चिंता रहती है। जब भी घर पर फोन करती है तो उनसे जरूर बात करती है।
डा. निदा अभी सकारात्मक नजर आई। उसका कहना है कि नए वार्ड, नए डाक्टर और नए वेंटीलेटर सब कुछ लगाया जा रहा है। हम यहां पर अपनी डयूटी करने आए हैं। पीपीई किट में पूरा दिन बिताना आसान नहीं। सांस लेने से लेकर खाने तक में दिक्कत आती है। कुछ साथियों को तो इससे शरीर में पानी की कमी हो गई। जब हम पीपीई किट पहनते हें तो खाते नहीं।
हमारा दिन का खाना अब फलों का जूस, लिक्यूड फूड और पानी तक ही सीमित होकर रह गया है। डा. निदा का कहना हैकि वह सर्जन बनना चाहती है। लेकिन जिस प्रकार से हालात बने हुए है, सभी एंट्रेस अभी स्थगित हैं। उसे नहीं पता कि कब वे अपनी पीजली और सुपर स्पेशलाइजेशन कोर्स कर सके। वहीं डा. शेफाली का कहना है कि अभी उसने आगे यह नहीं सोचा है कि किस विषय में पीजी करेगी। लेकिन जिसमें भी पीजी करूगी, मरीजों के साथ सीधे चर्चा होगी।