योग प्रशिक्षक संजीव कुमार का कहना, तन-मन स्वस्थ रखने के लिए करें योग

कुंडलिनी योग नियंत्रण करना सिखाता है। इस योग को चमत्कार भी कहा जाता है क्योंकि यह शरीर में वह ऊर्जा पैदा करता है जिससे योग की प्राप्त होती है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 22 Jun 2020 03:13 PM (IST) Updated:Mon, 22 Jun 2020 03:13 PM (IST)
योग प्रशिक्षक संजीव कुमार का कहना, तन-मन स्वस्थ रखने के लिए करें योग
योग प्रशिक्षक संजीव कुमार का कहना, तन-मन स्वस्थ रखने के लिए करें योग

जागरण संवाददाता, जम्मू : दैनिक जागरण के फेसबुक लाइव कार्यक्रम में रविवार को तीसरे दिन भी लोगों को योग और उसके महत्व के बारे में योग प्रशिक्षक संजीव कुमार और डॉ. साक्षी ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि योग हमें आनंद में रहना सिखाता है। इससे रोग प्रतिरोधी क्षमता भी बढ़ती है। योग दिवस के उपलक्ष्य में दैनिक जागरण की ओर से तीन दिन से सहज योग को लेकर फेसबुक लाइव कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा था। इसका समापन रविवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर हुआ।

इस कार्यक्रम के तीसरे सत्र में योग प्रशिक्षक संजीव कुमार ने सहज योग के माध्यम से आसान तरीकों से योग क्रिया के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पुराने जमाने में लोग योग प्राप्ति के लिए घर, परिवार, समाज को छोड़ योगी बनकर वनों में जाते थे लेकिन अब सहज योग के आ जाने से इसकी आवश्यकता नहीं रही। आज योग को लोग अपने घरों के एसी कमरों में बैठकर भी कर रहे हैं और उसका लाभ भी उन्हें मिल रहा है।

उन्होंने बताया कि माता निर्मला देवी ने योग को आसान बनाकर उसे दुनिया तक पहुंचा दिया। आज हजारों लोग सहज योग के साथ जुड़ गए हैं। उन्होंने बताया कि ध्यान ही योग है। ध्यान का मतलब है दिमाग को वर्तमान में रखना न कि उसे आगे या पीछे ले जाना। ध्यान का अर्थ दिमाग को वर्तमान में स्थिर करना है। दिमाग को विचार रहित रखना ही ध्यान है। योग इंसान को उस चक्र तक ले जाता है जहां वह अपने विचारों पर नियंत्रण रखना सीख जाता है। योग नियंत्रण में रहना सिखाता है।

स्वयं पर नियंत्रण करना सिखाता है कुंडलिनी योग

कुंडलिनी योग नियंत्रण करना सिखाता है। इस योग को चमत्कार भी कहा जाता है क्योंकि यह शरीर में वह ऊर्जा पैदा करता है जिससे योग की प्राप्त होती है। सिर से लेकर नाभि तक के सात चक्र इस कुंडलिनी योग से सक्रिय होते हैं जो ऊर्जा का स्नोत हैं। योग प्रशिक्षक संजीव कुमार ने अपने सत्र के दौरान उनसे जुड़े पाठकों को ध्यान भी करवाया। उन्होंने पाठकों को बताया कि प्रसन्ना स्थायी नहीं है। वे हर अच्छे पल पर आती है लेकिन उस पल के गुजर जाने के बाद हम जब उसे भूल जाते हैं या उससे सहज हो जाते हैं तो वह समाप्त हो जाती है।

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