Yasin Malik Case : यासीन मलिक ने कभी नहीं चाही कश्मीर की भलाई, पढ़ें मलिक के कारनामों का पूरा चिट्ठा
Yasin Malik Terror Funding Case अगस्त 1990 में यासीन मलिक हिंसा फैलाने के विभिन्न मामलों में पकड़ा गया और 1994 में वह जेल से छूूटा। जेल से छूटते ही उसने कहा कि वह अब बंदूक नहीं उठाएगा लेकिन कश्मीर की आजादी के लिए लड़ेगा।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का चेयरमैन यासीन मलिक कश्मीर की भलाई कभी नहीं चाहता था। आतंकी हिंसा के साथ वह कश्मीर के युवाओं को हमेशा अलगाववाद की राह पर ले गया। वर्ष 1980 में तला पार्टी के नाम से एक अलगाववादी गुट तैयार करने वाले यासीन मलिक ने 1983 में अपने साथियों के साथ मिलकर श्रीनगर के शेरे कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में उस पिच को खोद दिया था, जहां भारत और वेस्टइंडीज के बीच मैच होने जा रहा था।
तला पार्टी 1986 में इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग बनी और मलिक उसका महासचिव था। 1987 में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के बैनर तले अलगाववादी विचाराधारा के विभिन्न संगठनों ने जमात-ए-इस्लामी का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में मलिक व उसके साथ यूसुफ शाह पोलिंग एजेंट थे। यूसुफ शाह ही आज हिजबुल मुजाहिदीन का सुप्रीम कमांडर सैयद सलाहुद्दीन है।
यासीन मलिक कश्मीर के उन चार आतंकियों में एक है, जो तथाकथित तौर पर सबसे पहले आतंकी ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान गया था। इन चार आतंकियों को हाजी ग्रुप कहा जाता रहा है। इनमें हमीद शेख, अश्फाक मजीद वानी, यासीन मलिक और जावेद मीर शामिल थे। हमीद और अश्फाक दोनों ही मारे जा चुके हैं।
यासीन मलिक के कारनामे :