Jammu : पंजाबी भाषा के लिए लेखकों, कलाकारों ने निकाला कैंडल मार्च

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की राजभाषाओं में पंजाबी भाषा को शामिल न किए जाने के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन जारी है। सिख संगठनों के साथ पंजाबी साहित्यिक संगठन भी भाषा को इंसाफ दिलाने के लिए आगे आए हैं। पंजाबी लेखक सभा के बैनर तले ने कैंडल मार्च निकाला।

By VikasEdited By: Publish:Tue, 03 Nov 2020 06:18 PM (IST) Updated:Tue, 03 Nov 2020 06:18 PM (IST)
Jammu : पंजाबी भाषा के लिए लेखकों, कलाकारों ने निकाला कैंडल मार्च
पंजाबी लेखक सभा के बैनर तले पंजाबी के लेखकों, कलाकारों, शोधकर्ताओं ने कैंडल मार्च निकाला।

जम्मू, राज्य ब्यूरो । केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की राजभाषाओं में पंजाबी भाषा को शामिल न किए जाने के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन जारी है। सिख संगठनों के साथ साथ पंजाबी साहित्यिक संगठन भी भाषा को इंसाफ दिलाने के लिए आगे आ गए हैं। पंजाबी लेखक सभा के बैनर तले पंजाबी के लेखकों, कलाकारों, शोधकर्ताओं ने कैंडल मार्च निकाला। गांधी नगर जम्मू गोल मार्केट में निकाले गए कैंडल मार्च में पंजाबी भाषा को सम्मान दिए जाने की मांग की गई। पंजाबी लेखक सभा के प्रधान डा. बलजीत रैना ने कहा कि जम्मू कश्मीर में पंजाबी भाषा को सिर्फ सिख समुदाय नहीं बोलता है बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के लोग पंजाबी भाषा को प्रयोग करते हैं।

वर्ष 1901 की जनगणना में पंजाबी भाषा बोलने वालों की संख्या अधिक थी

वर्ष 1901 की जनगणना में पंजाबी भाषा बोलने वालों की संख्या अधिक थी। उस समय पंजाबी भाषा को स्कूलों में लागू किया गया। वर्ष 1931 की जनगणना में भी पंजाबी भाषा को जम्मू कश्मीर की क्षेत्रीय भाषा बनाया गया था, तो फिर क्यों पंजाबी भाषा को लेकर उससे भेदभाव किया जा रहा है। सच तो यह है कि जम्मू कश्मीर में इस समय पंजाबी भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या अन्य भाषाएं बोलने वाले लोगों से अधिक है इसलिए हम चाहते हैं कि केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की राजभाषाओं में पंजाबी भाषा को भी शामिल कर उसे उचित सम्मान दिया जाना चाहिए।

पंजाबी लेखक सभा के प्रधान डा. बलजीत रैना ने कहा कि हमारा कैंडल मार्च निकालने का मकसद यह है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सरकार हमारी जायज मांग को सुने और पंजाबी भाषा को जम्मू कश्मीर की राजभाषाओं में शामिल करें। हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पंजाबी भाषा को इंसाफ दिलाने का मुद्दा केंद्र सरकार के समक्ष उठाएंगे। अब पंजाबी भाषा बोलने वालों की सभी उम्मीदें पूरी तरह से प्रदेश के उपराज्यपाल पर टिकी हैं।

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