Jammu Kashmir: परगवाल इंद्रीपतन पुल बनने से परगवाल से खौड़ का सफर दो घंटे के बजाय मात्र 15 मिनट में होगा, अब बेखौफ महसूस करेंगे ग्रामीण

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस पुल के निर्माण को फिर से गति मिलते देख युवाओं से लेकर नौकरीपेशा लोगों में उम्मीद बंधी है कि अब उनका 60 किलोमीटर का सफर मात्र 15 मिनट में तय हो जाएगा। यह छह पंचायतों के 32 हजार ग्रामीणों के लिए लाइफ लाइन होगा।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Sun, 10 Jan 2021 08:04 AM (IST) Updated:Sun, 10 Jan 2021 08:04 AM (IST)
Jammu Kashmir: परगवाल इंद्रीपतन पुल बनने से परगवाल से खौड़ का सफर दो घंटे के बजाय मात्र 15 मिनट में होगा, अब बेखौफ महसूस करेंगे ग्रामीण
सरकार ने पुलों और सड़कों के निर्माण के लिए 1010.55 करोड़ रुपये की राशि जारी कर विकास को गति दी।

जम्मू, जागरण संवाददाता : परगवाल-इद्रीपतन पुल के रुके निर्माण कार्य के लिए धन राशि जारी होने से परगवाल टापू में रहने वाले ग्रामीण खुद को सुरक्षित महसूस करने लगे हैं। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस पुल के निर्माण को फिर से गति मिलते देख युवाओं से लेकर नौकरीपेशा लोगों में उम्मीद बंधी है कि अब उनका 60 किलोमीटर का सफर मात्र 15 मिनट में तय हो जाएगा। परगवाल की छह पंचायतों के करीब 32 हजार ग्रामीणों के लिए यह पुल लाइफ लाइन से कम नहीं है।

बीते दिनों सरकार ने जम्मू संभाग के पुलों और सड़कों के निर्माण के लिए 1010.55 करोड़ रुपये की राशि जारी कर विकास को गति दी है। इस संबध में स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन का आभार जताया है। ग्रामीण शमशेर सिंह मन्हास का कहना है कि अगर दरिया चिनाब पर पुल बन जाता है, तो इससे पाकिस्तानी गोलाबारी से परगवाल के लोग खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे। यह एक लाइफ लाइन से कम नहीं है। सरपंच पंडित राम स्वरूप शर्मा का कहना है कि परगवाल के लोगों की यह चिर प्रतीक्षित मांग रही है।

अगर यह दरिया चिनाब पर पुल बन जाता है, तो ग्रामीण क्षेत्रों की बच्चियां उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों की बच्चियों जिन्हें अखनूर और जम्मू के डिग्री कालेज में पढ़ाई के पूरा दिन लग जाता है। उनको अब उम्मीद बंधी है कि वे अपनी शिक्षा को आगे बढ़ा सकेंगी। सरपंच भूपेंद्र सिंह का कहना है कि खौड़ तहसील में जो लोग नौकरी कर रहे हैं, उन्हें अखनूर होकर खौड़ पहुंचने में जो 60 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। वे अब 15 मिनट में तय हो जाएगा। इस सफर के लिए उन्हें एक नंबर सुए से पहले अखनूर और फिर खौड़ पहुंचने में दो घंटे का समय लग जाता था।

पाकिस्तान की फायरिंग से सुरक्षित रह सकेंगे ग्रामीण : स्थानीय निवासी गोपाल दास शर्मा का कहना है कि इंद्रीपतन से परगवाल के ग्रामीणों की चिरप्रमीक्षित मांग करीब 50 वर्ष पुरानी है। जब पाकिस्तान की ओर से फायरिंग होती है, तब यहां ग्रामीण फंस कर रह जाते हैं। फायरिंग के दौरान सुरक्षित जल्दी निकलने के लिए निर्माणाधीन पुल तैयार होना ही एक मात्र विकल्प है, जो लोगों की जान बचा सकता है। हालांकि बाढ़ और फायरिंग के दौरान वायुसेना हमेश लोगों की मदद के लिए आगे रही है। अगर यह पुल बन जाता है तो इसका श्रेय नरेंद्र मोदी का जाता है, जिन्होंने गांववासियों की सुनी। परगवाल के सरपंच नितिन शर्मा ने इस पुल के लिए फिर से फंड्स दिए जाने का नरेंद्र मोदी का स्वागत किया है।

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